कहीं आप फ्लू को सर्दी-ज़ुकाम तो नहीं समझ रहे?
इन दोनों में क्या फर्क होता है, जान लीजिए
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कोल्ड में या तो बुखार नहीं होगा या माइल्ड रहेगा. जबकि फ्लू में तेज़ बुखार आता है.
यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.सेहत पर हाल-फ़िलहाल में हमने बात की थी ठंड में होने वाले सर्दी ज़ुकाम के बारे में. डॉक्टर्स ने हमें बताया था कि ठंड के मौसम में हमें कॉमन कोल्ड ज़्यादा क्यों होता है. पर इस मौसम में सिर्फ़ कॉमन कोल्ड ही आम नहीं है. फ्लू भी है. इस कोरोनाकाल में ज़रूरी है कि आप जितना हो सके, फ्लू से बचकर ही रहें. आइए सबसे पहले तो ये पता कर लेते हैं कि फ्लू आख़िर होता क्या है, और ये कॉमन कोल्ड यानी सर्दी, ज़ुकाम से अलग कैसे है.
क्या होता फ्लू?
ये हमें बताया डॉक्टर राजीव ने.

-फ्लू एक वायरल इन्फेक्शन है
-ये इन्फ्लुएंजा वायरस से होता है
-फ्लू किसी भी सीज़न में हो सकता है लेकिन आमतौर पर फ्लू सर्दियों में ज़्यादा होता है
-फ्लू होने के बाद मरीज़ में कई तरह के लक्षण आते हैं. जैसे नाक जाम होना, गले में दर्द होना, गले में ख़राश होना, साथ में तेज़ बुखार आना
-मरीज़ को बदन में दर्द होता है
-कमज़ोरी बहुत होती है
-कफ़ होता है
-कई मरीजों में ये एक गंभीर रूप ले लेता है
-जिसमें मरीज़ को निमोनिया हो जाता है
-सांस भी फूलने लगती है
फ्लू और कॉमन कोल्ड में क्या फ़र्क है?
-कॉमन कोल्ड और फ्लू दोनों ही वायरस से होने वाली बीमारी हैं
-लेकिन कुछ लक्षण फ्लू में ज़्यादा आते हैं जबकि कॉमन कोल्ड में वो या तो होते नहीं हैं या बहुत ही कम होते हैं
-जैसे कोल्ड में या तो बुखार नहीं होगा या माइल्ड रहेगा जबकि फ्लू में तेज़ बुखार आता है
-बदन दर्द, खांसी, सीने में तकलीफ़, सांस फूलना. ये सब ज़्यादातर फ्लू में होता है. कॉमन कोल्ड में ये लक्षण नहीं दिखते हैं

-फ्लू में मरीज़ को वायरल निमोनिया होने का रिस्क या तबियत बिगड़ने का रिस्क रहता है
-कॉमन कोल्ड में ऐसा नहीं होता है
-फ्लू के लिए वैक्सीन आती है जबकि कॉमन कोल्ड के लिए कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है
समझ लिया दोनों के बीच का फ़र्क? देखिए फ़र्क जानना इसलिए ज़रूरी है ताकि आपको पता रहे, आपको खुद को बचाना किस चीज़ से है. अब जानिए बचाव की कुछ टिप्स और फ्लू का इलाज.
बचाव
-फ्लू एक वायरस से होने वाली बीमारी है
-मरीज़ के छींकने, खांसने से जो ड्रॉपलेट्स निकलते हैं, उसे सांस में अंदर लेने से फ्लू फैलता है
-संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट्स अगर किसी और के संपर्क में आते हैं तो भी फ्लू फैलता है
-फ्लू से बचने के लिए हाथ बार-बार धोएं
-साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखें
-भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचें
-फ़ेस मास्क पहनें
-छींकने या खांसने से पहले चेहरे पर रुमाल रख लें
-कई लोग एक रजाई इस्तेमाल न करें
-घर में ताज़ी हवा आने दें
-इम्युनिटी मज़बूत रखने के लिए डाइट सही रखें
इलाज
-इसका इलाज ज़्यादातर सिम्टोमैटिक ट्रीटमेंट के द्वारा किया जाता है
-जिस हिसाब से लक्षण आते हैं, मरीज़ को उसी हिसाब से दवाई दी जाती है
-मरीज़ को बुखार या बदन दर्द है तो बुखार, बदन दर्द की दवाई दी जाती है

-गले की ख़राश के लिए दवाई दी जाती है
-उसके अलावा नाक जाम होना, नाक बहने पर नेज़ल ड्राप या स्प्रे दिए जाते हैं
-मरीज़ को कफ़ आता है तो कफ़ सिरप इस्तेमाल किए जाते हैं
-साथ ही डॉक्टर की सलाह से एंटी बायोटिक दवाई भी दी जाती है
-अगर मरीज़ को लगता है उसे एंटी बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो गया है तो एंटी बायोटिक दी जाती है
-कुछ केसेज़ में अगर बीमारी ज़्यादा सीवियर होती है तो एंटी वायरल मेडिसिन दी जाती है
-फ्लू में वायरल निमोनिया हो सकता है. ऐसे में फ़ेफ़ड़ों में इन्फेक्शन हो जाता है. सांस फूलने लगती है
-ऐसी अवस्था आने पर मरीज़ को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए
-ज़रुरत पड़ने पर इमरजेंसी सहायता भी लें
डॉक्टर साहब ने जो टिप्स बताई हैं, उनका ख़याल ज़रूर रखिएगा.
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