शकुंतला देवी: वो ह्यूमन कंप्यूटर, जिन पर बनी फिल्म अब Amazon पर रिलीज़ हो रही
विद्या बालन ने रोल किया है. कौन थीं शकुंतला देवी? उन्हें 'ह्यूमन कंप्यूटर' क्यों कहते हैं?

डिजिटल प्लेटफॉर्म 'एमेज़ॉन प्राइम वीडियो' पर सात इंडियन फिल्में रिलीज़ होने वाली हैं. सबसे पहले अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की 'गुलाबो सिताबो' को लेकर ऐलान हुआ था. अब छह फिल्मों के नाम और सामने आ गए हैं. इनमें विद्या बालन की 'शकुंतला देवी' भी शामिल हैं. फिल्म में विद्या ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ और ‘मेंटल कैल्कुलेटर’ कहलाने वाली शकुंतला बनी हैं. सान्या मल्होत्रा, अमित साध और जिशु सेनगुप्ता भी अहम रोल में हैं. फिल्म रिलीज़ के बारे में बताते हुए विद्या ने इंस्टाग्राम पर लिखा,
'ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आप लोग बहुत जल्द 'शकुंतला देवी' को एमेज़ॉन प्राइम वीडियो पर देख पाएंगे. अपने सभी प्रियजनों के साथ. ये सोचकर कि ऐसे अजीब वक्त में हम आपका मनोरंजन कर पाएंगे, खुशी हो रही है.'
हालांकि एमेज़ॉन ने अभी तक ये नहीं बताया है कि ये फिल्म रिलीज़ किस तारीख को हो रही है, केवल जल्द आने की बात कही है. 'गुलाबो सिताबो' 12 जून को रिलीज़ होगी. इन दो फिल्मों के अलावा एक तमिल फिल्म, दो कन्नड फिल्म, एक तमिल-तेलुगू (बाइलिंग्वल) और एक मलयालम फिल्म भी रिलीज़ होंगी, एमेज़ॉन पर.
शकुंतला ह्यूमन कंप्यूटर कहलाती थीं, दिमाग एकदम तेज़ तर्रार था. क्या है उनकी कहानी, फिल्म के पहले हम बता देते हैं-
शकुंतला देवी के पापा सर्कस में ट्रैपीज़ आर्टिस्ट का काम करते थे. एक बार जब वो शकुंतला को कार्ड ट्रिक सिखा रहे थे, तब उन्हें रियलाइज़ हुआ कि बच्ची नंबर्स काफी तेजी से याद कर लेती है. वो भी 3 साल की उम्र में. पापा ने सर्कस वाली नौकरी छोड़ी और अपनी बच्ची के कैल्कुलेशन का रोड शो करने लगे. छह साल में शकुंतला ने कॉलेज लेवल के मैथ्स प्रॉब्लम सॉल्व करना शुरू कर दिया था. 1944 में 16 साल की उम्र में शकुंतला अपने पापा के साथ लंदन चली गईं. इसके बाद दुनियाभर में उन्होंने कई शोज़ किए. वो बड़े से बड़े नंबर वाले सवालों के जवाब सेकंडों में बता देती थीं. वो भी सिर्फ दिमाग में कैल्कुलेट कर के. ऐसे ही एक करतब के लिए 1982 में उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया. इसके अलावा उन्होंने कई नॉवल्स, नंबर्स वाली किताबें और कुक बुक (खाना बनाने से जुड़ी किताब) भी लिखी हैं. लेकिन नंबर्स के अलावा उन्हें जिस चीज़ के लिए जाना जाता है, वो है होमोसेक्शुएलिटी पर लिखी किताब की वजह से.

अपने शुरुआती दिनों में शकुंतला देवी. शकुंतला ने 84वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें ट्रिब्यूट दिया था.
होमोसेक्शुएलिटी से पर्सनल कनेक्शन
शकुंतला के लिए इस किताब को लिखने की वजह बहुत पर्सनल थी.1944 में जाने के बाद वो 1960 के दशक में वो वापस इंडिया आईं. यहां उनकी शादी हुई परितोष बैनर्जी नाम के एक शख्स से. लेकिन काफी साल तक साथ रहने के बाद दोनों अलग हो गए. शकुंतला के पति होमोसेक्शुअल थे. इसलिए इस चीज़ को और करीब से जानने के लिए शकुंतला देवी ने 1977 में ‘वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्शुल्स’ नाम की एक किताब लिखी. इसमें कुछ होमोसेक्शुअल कपल्स के इंटरव्यू वगैरह थे. लोगों की राय थी. और उस दौर में ही इसे क्राइम की सूची से निकालने की बात थी. इसे इंडिया में होमोसेक्शुएलिटी पर बात करने वाली पहली स्टडी माना गया. क्योंकि तब के समय में इंडिया में गेशिप को घोर टैबू माना जाता था. शकुंतला देवी सिर्फ इतने पर नहीं रुकीं.

शकुंतला देवी पर विदेशों में कई रिसर्च पेपर और किताबें लिखी जा चुकी हैं.
इंदिरा गांधी को हराने के लिए चुनाव लड़ा
1980 में शकुंतला ने साउथ बॉम्बे और तेलंगाना के मेडक लोक सभा सीट से इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. उनका मानना ये था कि इंदिरा मेडक के लोगों को बेवकूफ बना रही हैं, उन्हें बचाने के लिए वो चुनाव लड़ रही हैं. हालांकि उस चुनाव में शकुंतला 9वें नंबर पर रहीं. और अपनी सियासी पारी वहीं खत्म कर वापस बेंगलुरु आ गईं. उनकी ज्योतिषशास्त्र में भी दिलचस्पी थी. 2013 में सांस लेने में दिक्कत के बाद उन्हें बेंगलुरु के ही एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया. अगले कुछ हफ्तों में उनके हार्ट और किडनी की परेशानी भी शुरू हो गई. 21 अप्रैल, 2013 को अस्पताल में ही उनकी मौत हो गई. वो 83 साल की थीं.
वीडियो देखें: विद्या बालन अगली फिल्म में मैथ्स जीनियस शकुंतला देवी बनने जा रही हैं