Budget 2024 में कैंसर की इन तीन दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटी, जानें कितनी सस्ती हुईं
फाइनेंशियल ईयर 2024-25 का बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कैंसर की तीन दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने का एलान किया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को साल 2024-25 का बजट पेश किया (Nirmala Sitharaman Budget 2024). इसमें किए गए एक एलान से सबको ख़ुशी हुई, खासकर कैंसर के मरीज़ों और उनके परिवार वालों को. दरअसल इस बजट में कैंसर की तीन अहम दवाओं पर कस्टम ड्यूटी पूरी तरह खत्म कर दी गई है.
डिटेल में सब समझाते हैं, पर उससे पहले जल्दी से ये समझ लीजिए कि कस्टम ड्यूटी (Customs Duty) होती क्या है? जब भी हम विदेश से कोई सामान मंगवाते हैं. जैसे दवा, गहनें, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी चीज़ें. तब हमें सरकार को एक टैक्स देना पड़ता है. इसको कहते हैं कस्टम ड्यूटी. फ़र्ज़ कीजिए आपने 1000 रुपये की कोई चीज़ मंगवाई. सरकार ने उस पर 500 रुपये की कस्टम ड्यूटी लगाई. तो आपका टोटल खर्चा होगा 1500 रुपये.
अब कैंसर की जिन तीन दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाई गई है, वे भारत में नहीं बनतीं. इन्हें कुछ विदेशी कंपनियां बनाती हैं. इसलिए इन्हें बाहर से ही मंगवाना पड़ता है. विदेशी दवाइयां हैं, इसलिए महंगी हैं. ऊपर से अभी तक इन पर 10 पर्सेंट कस्टम ड्यूटी भी लगती थी. नतीजा? ये दवाएं और महंगी पड़ती थीं. कितनी? 5 से 6 लाख रुपये प्रति महीना.
अब खुद सोचिए, कैंसर का कुल इलाज मरीज़ और उसके घर वालों को कितना महंगा पड़ता होगा. ऐसे में आज हम कैंसर की इन्हीं तीन ज़रूरी दवाओं पर बात करेंगे.
सोनीपत के एंड्रोमेडा कैंसर हॉस्पिटल के डॉक्टर दिनेश सिंह (चेयरमैन, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी) और डॉक्टर रमन नारंग (सीनियर कंसल्टेंट, ऑन्कोलॉजी) से जानेंगे कि ये दवाएं कौन-सी हैं, किस तरह के कैंसर में काम आती हैं, इनकी मौजूदा कीमत क्या है और कस्टम ड्यूटी हटने के बाद, इनकी कीमत कितनी कम हो जाएगी.

इसे TDxd के नाम से भी जाना जाता है. ये एक तरह की टारगेटेड थेरेपी है. यानी ये एक ख़ास तरह के कैंसर सेल्स पर हमला करती है. ये HER2 सेल्स पर काम करती है. इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer) में होता है. खासकर उन मामलों में जब बाकी थेरेपी काम न कर रही हों.
इसके अलावा, इस दवा का इस्तेमाल अमाशय या पेट के कैंसर में भी किया जाता है. एक प्रकार के फेफड़ों के कैंसर में भी ये दवा इस्तेमाल होती है. अभी इस दवा की कीमत 6 लाख रुपये प्रति माह है, जिसमें 10 प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी भी शामिल है. अब इस कस्टम ड्यूटी को सरकार ने हटा दिया है, जो 60 हजार के आसपास बनती है.
Osimertinibओसिमर्टिनिब भी एक तरह की टारगेटेड थेरेपी में इस्तेमाल होती है. ये EGFR सेल्स पर काम करती है. इसका सबसे ज़्यादा प्रयोग फेफड़ों के कैंसर (Lung cancer) में होता है. इसके अलावा, जो कैंसर ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार कर दिमाग में फैल चुका है, उनमें भी ये काम आती है. ब्लड-ब्रेन बैरियर यानी सेल्स की एक मज़बूत परत जो दिमाग को नुकसान से बचाती है. अभी इस दवा की कीमत 4 लाख रुपये प्रतिमाह है. इसमें भी 10 प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी लगी हुई है, जो अब खत्म हो जाएगी. करीब 40 हजार रुपये की कमी.

तीसरी दवा है Durvalumab (ड्यूरवालुमैब) है. ये एक तरह की इम्यूनोथेरेपी है जो शरीर के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करके कैंसर के सेल्स को खत्म करती है.
ये गॉल ब्लैडर, गर्भाशय, लिवर, फेफड़ों और कुछ ब्रेस्ट कैंसर में, जिन्हें टीएनबीसी भी कहते हैं, उनमें इस्तेमाल की जाती है. इस दवा की कीमत अभी लगभग 2 लाख रुपये प्रतिमाह है. इस दवा में भी कस्टम ड्यूटी जुड़ी हुई है जो अब खत्म हो जाएगी. करीब 20 हजार रुपये की कमी.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
वीडियो: सेहतः स्किन आइसिंग क्या होती है? डॉक्टर से जानिए, करें कैसे?