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लड़कियों का अपना कोई घर नहीं होता, ये कहने वाले सुप्रीम कोर्ट ये फैसला पढ़ लें

एक शख्स ने अपने बेटे-बहू को घर से निकाल दिया, ट्रिब्यूनल और बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि बेटा-बहू अलग घर में ही रहें. पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी महिला से उसके उस घर में रहने का अधिकार नहीं छीना जा सकता है जिस घर में उसकी शादी हुई है.

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maintenance and welfare of parents, Woman’s right to live in mother and MIL’s homes
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- औरत का अपनी मां और सास दोनों के घर में रहने का पूरा अधिकार (सांकेतिक फोटो-आजतक)
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ऑडनारी
1 जून 2022 (Updated: 1 जून 2022, 09:17 PM IST) कॉमेंट्स
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक महिला को अपनी मां और सास के घर में रहने का अधिकार है. न उसे मां के घर से और न ही सास के घर से निकाला जा सकता है. 30 मई को दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी इस आधार पर किसी महिला को घर से नहीं निकाल सकता है कि वो उसे बर्दाश्त नहीं कर सकता है.

जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा,

 “कोर्ट इस बात की अनुमति नहीं देगा कि आप किसी महिला को इसलिए घर से निकालें कि आपको उसका चेहरा बर्दाश्त नहीं है. पति -पत्नी के झगड़ो के कारण औरतों को उनके ससुराल से बाहर निकाला जाता है. ये रवैया परिवारों को तोड़ रहा है.”

आगे उन्होंने कहा, 

"अगर महिला पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया जाता है, तो कोर्ट शर्तें रख सकता है कि महिला सास-ससुर या परिवार वालों को परेशान न करे, लेकिन उसे घर से निकाला नहीं जा सकता है."

क्या बहू को घर से निकाल सकते हैं ससुर?

टाइम्स ऑफ इंडिया के धनंजय महापात्रा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के रहने वाले एक बुजुर्ग शख्स ने कुछ समय पहले ट्रिब्यूनल कोर्ट का दरवाजा़ खटखटाया था. कहा था कि उसके घर में केवल उसे रहने दिया जाए, बेटा-बहू को घर में रहने की परमिशन दी जाए. इसके साथ ही उन्होंने मेेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स और सीनियर सिटिज़न्स ऐक्ट के तहत मेंटेनेंस की मांग भी की थी. ट्रिब्यूनल ने शख्स के बेटा-बहू को अलग घर में शिफ्ट होने और पिता को हर महीने 25 हज़ार रुपये मेंटेनेंस के तौर पर देने का आदेश दिया. इसके खिलाफ महिला ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिट पेटिशन दायर किया. हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि बेटा-बहू अलग घर में ही रहें. हालांकि, 25 हज़ार मेंटेनेंस कोर्ट ने वेव ऑफ कर दिया.

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

 "भारतीय महिलाओं के पास अपना घर खरीदने के पैसे नहीं होते है. क्योंकि भारत में ज्यादातर महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं है, न कमा रही हैं और न अकेले रहने के लिए वो फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हैं. इन सभी कारणों को वजह से महिलाएं घरेलू रिश्तों में रहने के लिए निर्भर हो सकती हैं."

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि किसी भी महिला को उस घर में रहने का पूरा अधिकार है जिस घर में उसकी शादी हुई है.

जिस समाज में एक लड़की को शादी से पहले बार-बार बताया जाता है कि जिस घर में पैदा हुई वो उसका नहीं है और जहां उसे ससुराल में ये सुनने को मिलता है कि वो दूसरे घर से आई है. वहां कोर्ट का ये फैसला औरतों के लिए राहत देने वाला है कि उसके घर पर उसका पूरा अधिकार है.

ये खबर हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहीं मनीषा ने लिखी है.

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