यह 28 अप्रैल का दिन था. जब दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के नेहरू नगर की झोपड़पट्टी में रहने वालीं मालती को लगा कि उनकी कोख में पल रहा बच्चा कोई हरकत नहीं कर रहा है. उस वक्त 32 वर्ष की मालती बुरी तरह से घबरा गई थीं. 28 अप्रैल को कोरोना वायरस खतरे के मद्देनजर पूरे देश में लगाए गए लॉकडाउन को एक महीने से अधिक का समय बीत चुका था.
मालती उस समय 9 महीने की गर्भवती थीं. घबराई हुई हालत में वे अपने परिजनों के साथ दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल पहुंचीं. अस्पताल में उनसे कहा गया कि बिना कोरोना टेस्ट के उन्हें भर्ती नहीं किया जाएगा. मालती और उनके परिजन काफी परेशान हो गए. तमाम मिन्नतों के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया. लेकिन अस्पताल का स्टाफ पूरी तरह से कोविड 19 के मरीजों की देखभाल में लगा हुआ था.
इस दौरान मालती को प्रसव पीड़ा शुरू हुई. काफी मशक्कत के बाद उन्होंने बच्चे को जन्म दिया. लेकिन बच्चे की धड़कन नहीं चल रही थी. डॉक्टरों ने मालती को बताया कि उन्होंने मृत बच्चे को जन्म दिया. अंग्रेजी भाषा में 24 से 28 हफ्ते की प्रेगनेंसी के बाद मृत बच्चे के जन्म को 'स्टिलबर्थ' (Stillbirth) कहते हैं.
उस दुखी कर देने वाले दिन को याद करते हुए मालती रुंधी हुई आवाज में बताती हैं-
"मैं एकदम उदास हो गई थी. कुछ बोल भी नहीं पा रही थी. बस आंसू बह रहे थे. मेरा बच्चा बच सकता था, अगर समय पर डॉक्टरी मदद मिल गई होती!"
यह सिर्फ मालती की कहानी नहीं है. कोरोना वायरस खतरे की वजह से पैदा हुई अफरातफरी के कारण पूरी दुनिया में 'स्टिलबर्थ' बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है. भारत जैसे लोअर-मिडिल इनकम वाले देश में हालात बहुत तेजी से बिगड़े हैं. हाल में यूनिसेफ और डब्लूएचओ ने मिलकर इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी करते हुए चेतावनी दी है.
क्या कहते हैं आंकड़े
अगर आंकड़ों की बात करें तो पिछले दो साल में भारत ने मृत बच्चों के पैदा होने की दर कम करने में शानदार सफलता हासिल की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इसमें 35 प्रतिशत की कमी आई है. हलांकि, यह वाला दशक पिछले दशक के मुकाबले उतना सफल नहीं रहा है. इस दशक में 'स्टिलबर्थ' बच्चों की दर में केवल 2.7 फीसदी की गति से ही गिरावट आई है.
दूसरी तरफ कोरोना वायरस खतरे के समय स्टिलबर्थ बच्चों की दर में बढ़ोतरी हुई है, जिसे चिंता का विषय माना जा रहा है. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी की तरफ से किए गए सर्वे के अनुसार-
"लॉकडाउन के दौरान भारत में प्रेगनेंसी के समय अस्पताल में भर्ती होने वाली महिलाओं की संख्या में लॉकडाउन के पहले के मुकाबले 43.2 फीसदी की कमी आई. पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह कमी 49.8 प्रतिशत रही."
इस सर्वे में पाया गया कि लॉकडाउन के दौरान भारत में ना केवल गर्भवती महिलाओं की मौत में बढ़ोतरी हुई, बल्कि स्टिलबर्थ बच्चों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ. इस दौरान स्टिलबर्थ अर्थात मृत पैदा हुए बच्चों की दर 2.25 से बढ़कर 3.15 फीसदी हो गई.
यूनिसेफ और डब्लूएचओ के आंकड़ों के अनुसार 2019 में देश में करीब साढ़े तीन लाख बच्चे मृत पैदा हुए. इस साल पूरी दुनिया में ऐसे बच्चों की संख्या लगभग 19 लाख थी.
क्या रही मुख्य वजह
जैसा कि ऊपर मालती ने बताया कि समय पर डॉक्टरी मदद ना मिलने की वजह से उनके बच्चे की जान चली गई. यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्टिलबर्थ बच्चों की संख्या में तेज बढ़ोतरी के पीछे इसी तरह के कारण पाए हैं.
इन संस्थानों की रिपोर्ट कहती है कि भारत जैसे लोअर और मिडिल इनकम वाले देश में एक बड़ी जनसंख्या के पास आने जाने के लिए अपने साधन नहीं है. ऐसे में वे यातायात के सार्वजनिक साधनों पर निर्भर हैं. लॉकडाउन के दौरान यातायात के साधन बंद थे. बड़ी संख्या में मजदूर हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव-घर वापस जा रहे थे. ऐसे में इन परिस्थितियों ने गर्भवती महिलाओं को अस्पताल जाने से रोका. जबकि स्टिलबर्थ को रोकने के लिए 24 हफ्ते की प्रेगनेंसी से पहले कम से आठ बार चेकअप और एक बार अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है.
ठीक इसी तरह से कोविड 19 के कारण अस्पतालों का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर कोरोना मरीजों की देखरेख और इजाल में ही लग गया था. कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों तक का इलाज नहीं हो पा रहा था. ऐसे में गर्भवती महिलाओं के ऊपर ढंग से ध्यान नहीं दिया गया. दूसरी तरफ जरूरी दवाइयों और उपकरणों की सप्लाई चेन भी टूट गई थी. घर में बंद रहने की वजह से महिलाओं की शारीरिक गतिविधि भी बुरी तरह से प्रभावित हुई, जिसने स्टिलबर्थ का खतरा बढ़ाया.
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि कोरोना वायरस महामारी के डर की वजह से भी बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं अस्पताल नहीं गईं. लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा में भी बढ़ोतरी हुई. इस वजह से भी स्टिलबर्थ बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ.
आगे के लिए दी गई है चेतावनी
स्टिलबर्थ से जुड़ी यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट में आगे आने वाले समय के लिए चेतावनी भी दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलहाल पूरी दुनिया में हर 16 सेकेंड के अंतराल पर एक मृत बच्चा पैदा हो रहा है. हर साल लगभग 20 लाख बच्चे. बताया गया है कि साल 2019 में पूरी दुनिया में जितने मृत बच्चे पैदा हुए, उसमें भारत, पाकिस्तान, नाइजीरिया, चीन, कॉन्गो और इथियोपिया जैसे देशों का हिस्सा लगभग आधा रहा. कोविड 19 की वजह से हालात और बिगड़ सकते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड 19 से जो दिक्कतें खड़ी हुई हैं, उसकी वजह से अगले एक साल में 117 लोअर-मिडिल इनकम वाले देशों में दो लाख से अधिक स्टिलबर्थ रिकॉर्ड होने की आशंका है. इन देशों में भारत भी शामिल है.
यह भी बताया गया है कि थोड़ी सी सावधानी और सही मेडिकल सुविधाओं के जरिए ज्यादातर स्टिलबर्थ को रोका जा सकता है.