'लहू दी आवाज़': इंस्टाग्राम की 'न्यूड रील्स' पर बना ये गीत आज इंटरनेट पर सबसे घटिया चीज है
पंजाबी सिंगर सिमरन कौर का गाना वायरल है और इंटरनेट पर तूफ़ान मचाए हुए है.

हमारे देश में म्यूज़िक बड़ा पसंद किया जाता है. आम जनता बड़े चाव से गाना सुनती है. हमारे सिंगर्स और सॉन्ग मेकर्स भी कोशिश करते हैं कि नए गाने मार्केट में आते रहें. ये कोशिश कई बार इतनी सही बैठती है कि नए गाने रातोंरात हिट हो जाते हैं. लेकिन कई दफा इस कोशिश का गलत परिणाम भी हम जनता को झेलना पड़ता है. हमें बुरी तरह काटा लग जाता है. खैर, वो अलग बात है. क्या ही बताएं उस पर. आगे बढ़ते हैं. बात हो रही थी म्यूज़िक की. तो हम सब जानते ही हैं कि अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करने का कितना सही मीडियम है म्यूज़िक. सॉन्ग मेकर्स और सिंगर्स ने कई दफा इस मीडियम का बड़ा तगड़ा इस्तेमाल किया है. ऐसा ही कुछ एक फेमस पंजाबी सिंगर और लिरिसिस्ट ने भी किया, जिनका नाम है सिमरन कौर धादली. उनका एक गाना अभी-अभी रिलीज़ हुआ. और आते ही इसने सोशल मीडिया पर तबाही मचा दी. हमारे यूज़र्स खटाक से दो धड़ों में बट गए. एक सिमरन के सपोर्ट में, दूसरा विरोध में, जैसा अक्सर होता है. यहां सवाल ये उठता है कि सिमरन ने अपने गाने में ऐसा क्या कहा, जिसके चलते इतना बवाल हो रखा है. और उन्होंने जो कहा वो कितना सही है कितना गलत. इन सब पर डिटेल में बात होगी एक-एक करके.
क्या हुआ है?
दिन था 13 सितंबर. सिमरन कौर के यूट्यूब चैनल पर एक पंजाबी गाना रिलीज़ हुआ, जिसका टाइटल था- "लहू दी आवाज़". माने खून की आवाज़. सिमरन ने अपने इंस्टाग्राम पर भी इस वीडियो को रिलीज़ किया. इसमें क्या कहा गया है, ये जानने से पहले हम दो शब्द सिमरन के परिचय में कहना चाहते हैं. इनका जो यूट्यूब चैनल है, उसमें 'अबाउट' वाले सेक्शन में लिखा है-
"पंजाबी संगीत की ये शेरनी अपने गीतों में उन विचारों को सामने लाने के लिए जानी जाती है, जिन पर उनका दृढ़ विश्वास है. इसमें कोई शंका नहीं है कि वो 'नारी शक्ति कि आवाज़' है और वो ऐसे गाने गाती हैं, जो महिलाओं की छवि को ऊपर उठाते हैं."

"मेरे सपने में रात में कुछ लड़कियां आईं. मुझसे कुछ कह रही थीं. सूट पहने हुए थीं, गले में दुपट्टा था. वो लड़कियां भाई के सामने नज़रें झुका लेती हैं. पिता के सामने आवाज़ नहीं निकलती. इतनी ही कहानी हुई थी और मेरी आंख खुल गई. फिर असल ज़िंदगी से मेरा सामना हुआ. सपने वाली सादगी कहीं चली गई."
अब बताते हैं कि सिमरन किस सच्चाई की बात कर रही हैं. वो आगे कहती हैं-
"वाहेगुरु, आपकी दुनिया देखकर दिल दुखता है. मुझे लगता है कि लड़कियां दिमागी तौर पर बीमार हो गई हैं. मशहूर होने के लिए लड़कियां कपड़े उतारते फिरती हैं."
इसके आगे उन्होंने कलयुग होने का ज़िक्र किया. फिर कहा-
"मेरी कलम अक्सर अच्छी लड़कियों के किरदार सजाती है. बड़ी अपने आप को फेमिनिस्ट कहती है. आके मिल मेरे से एक बार. मेरा दावा है कि तेरी जीभ तालू से चिपक जाएगी." यहां जीभ का तालू से चिपकने का मतलब है, बोलती बंद हो जाना."
फिर सिमरन ने आगे कहा कि-
"तेरी शक्ल से दिखता है कि मेरे एक थप्पड़ की मार भी नहीं झेल सकती. मर जा डूब के. जिस्म दिखाकर पैसे कमाती है. तू जट की बेटी का रुतबा देख, जहां जाऊं वहां अपना रुतबा कायम कर लेती हूं. जहां कहर की नज़र पड़ जाए, वहां आसानी से कोई सांस तक नहीं ले सकता. बड़े शिकारी मैंने पलों में तबाह कर दिए हैं. दुश्मन भी तारीफ करते हैं महफीलों में बैठकर. ऐसी कोख तो रही नहीं जो बाघ को मारने वाली औलाद को पैदा करे. दुश्मन हमारी नस्ल को बर्बाद होता देख खुश होते हैं. हमारा अभिमान आजकल रीलों में बर्बाद हो रहा है."
ये इस गाने का मोटामाटी मतलब हमने निकाला. एकदम शब्दश: नहीं, क्योंकि गाना पंजाबी में था. लेकिन जो सिमरन कह रही थीं, उसका जिस्ट हमने आपको बताने की कोशिश की. थोड़ा और एक्सप्लेन कर देते हैं. यहां सिमरन गाने के शुरुआत में उन लड़कियों की सादगी की तारीफ कर रही हैं, जो सूट पहनकर, सिर पर दुपट्टा लेकर रहती हैं और अपने भाई के आगे नज़रें नहीं उठाती हैं और पिता के आगे आवाज़ भी नहीं करतीं. यानी ऐसी लड़कियां जो कहीं न कहीं पैट्रिआर्कल सोसायटी के बोझ तले दबी हुई हैं. सिमरन ने इसे संस्कृति करार देते हुए सादगी बताया है और तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि सपने में वो ऐसा देख रही थीं, जनरली हम सपने में उन चीज़ों को देखते हैं, जिनके होने की हम कल्पना करते हैं. यानी सिमरन ऐसी सोसायटी की चाह रखती हैं, जहां लड़कियां घर के पुरुषों के सामने चुप रहें, नज़रें झुकाकर रहें. हमें तो यही समझ आया. आपको क्या समझ आया, आप बता सकते हैं. खैर, गाना आगे बढ़ने के साथ ही सिमरन ने लड़कियों के मॉडर्न पहनावे पर सवाल उठाए. वो लड़कियां जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं, अपने पसंद के कपड़े पहनती हैं, और अपने शरीर का इस्तेमाल अपने हिसाब से करती हैं. उनके लिए कहा कि वो पैसा कमाने के लिए ऐसा करती हैं और वो अपना जिस्म बेच रही हैं.
इस गाने की वीडियो की अगर हम बात करें, तो सिमरन ने धड़ल्ले से सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली कई लड़कियों के फुटेज इस्तेमाल किए हैं. जिनमें लड़कियां न्यूड या सेमी-न्यूड कंडिशन में नज़र आ रही हैं. हालांकि सबके चेहरे ब्लर थे. हां बीच-बीच में उन्होंने खुद की भी कुछ तस्वीरें डालीं. जिनमें एक या दो तस्वीरों में वो बंदूक पकड़े हुए भी नज़र आईं. साफ मतलब था कि वो उन लड़कियों के खिलाफ हैं, जो सोशल मीडिया पर न्यूड या सेमी-न्यूड कंडिशन में वीडियोज़ डालती हैं.
सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है?
गाने में क्या था, आपने जान लिया. अब बताते हैं कि सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है. कई लोग इस गाने का सपोर्ट कर रहे हैं. एक यूज़र ने लिखा-
"हां, सच हमेशा कड़वा लगता है. 'लहू दी आवाज़' गाने में क्या गलत है? उन्होंने सोशल-मीडिया फेम को लेकर सही कहा है. क्रिएटर्स अपने बॉडीपार्ट्स दिखाकर फेमस हो रहे हैं... ये जनरेशन फेमस होने के लिए पागल हो रही है. मैं सिमरन कौर के साथ हूं."

"ट्विटर पर मुझे ये देख हैरानी हो रही है कि कुछ लोग सिमरन कौर का गाना सहन नहीं कर सकते. मुझे ये समझ नहीं आता. कोई कपड़ा न पहनने का ये मतलब नहीं है कि तुम सशक्त हो रहे हो. लोग केवल वैधता और अटेंशन पाने के लिए तस्वीरें पोस्ट करते हैं और खुद का विज्ञापन करते हैं. सच दुख पहुंचाता है."

"बेस्ट लिरिक्स वो हैं जो आपके रौंगटे खड़े कर दें और आपको रुला दें या फिर आपको जवाब जानने में मदद करें. क्या गाना है सिमरन कौर."

"सिमरन ये सिखाना या गाइड करना चाहती थी कि लड़कियों को अपना जिस्म दिखाकर पैसे नहीं कमाने चाहिए. लोगों ने समझा कि सिमरन ने केवल कपड़ों और न्यूडिटी पर बात की."

"ये गाना एपिक है. हालांकि कुछ सूडो-फेमिनिस्ट इससे ट्रिगर हो गए. सिमरन कौर ने अपनी सख्त आवाज़ से ये गाना गाया. रेट्रो फील पसंद आया और वीडियो की शुरुआत में नॉस्टेल्जिया महसूस हुआ. आखिर में उन्होंने इंस्पायरिंग सिख औरतों के उदाहरण देते हुए खत्म किया जो हमारे इतिहास में रोल मॉडल रहीं."

इसके अलावा कुछ रिएक्शन वीडियो भी बने, उसमें भी क्रिएटर्स ने सिमरन के गाने का पक्ष लिया. कहा कि उन्होंन सच्चाई दिखाई है. औरतें ऐसा कर रही हैं. ठीक है. अब बताते हैं कि सिमरन के गाने के विरोध में क्या लिखा जा रहा है. एक यूज़र ने लिखा-
"जब मैंने सोचा कि सिमरन औरतों के लिए पंजाबी म्यूज़िक का सीन बदल देंगी, उनका गाना "लहू दी आवाज़" आ गया. जो औरतों की स्लट शेमिंग कर रहा है. औरत के खिलाफ औरत का लिखना, ये कुछ ऐसी चीज़ है जो मैं सबसे लास्ट में देखना चाहूंगी."
Just when I thought Simran Kaur Dhadli is gonna change the Punjabi music scene for women, she drops ‘Lahu Di Awaz’, slut shaming women. ♀️ Last thing I wanna see is women writing against other women.
— Dr. Navneet Kaur (PhD) (@_morphiine_) September 13, 2021
एक यूज़र ने लिखा-
"मैंने भी वीडियो देखा और ईमानदारी से कहूं तो मैं उन्हें जानती भी नहीं थी. वो चॉक और चीज़ को कम्पेयर कर रही हैं. ज्यादातर लड़कियां जानती हैं कि ट्रेडिशनल आउटफिट और वेस्टर्न आउटफिट के बीच बैलेंस कैसे बनाया जाए. हर कोई स्ट्रिपर्स की तरह कपड़े पहनकर नहीं घूम रहा."

"इस वीडियो को जानबूझकर वल्गर बनाया गया है, ताकि लोगों का ध्यान खींचा जा सके. केवल पैसों के लिए ऐसा किया गया."

"उनके सपोर्टर्स दूसरे सिंगर्स के भी फैन्स हैं, जो ऐसे वीडियो बनाते हैं जिनमें वही चीज़ें होती हैं जिसकी आलोचना सिमरन कर रही हैं. लोग ही कन्फ्यूज़्ड हैं."
Her supporters are also fans of other singers whose videos are full of what she is criticising. Confused people lol
— A Sidhu (@asidhu_) September 14, 2021
एक इंस्टाग्राम पेज है 'ट्रोल बठिंडा'. इसमें सिमरन को लेकर कुछ पोस्टर्स डाले गए. एक पोस्टर में एक लड़की किचन में खाना बनाते दिख रही है, जिसके चेहरे पर एडिट करके सिमरन का चेहरा लगाया गया है. और लिखा है-
"कुछ नहीं, सिमरन ऐसी होतीं, अगर औरतें उसी तरह से रह रही होतीं, जिस तरह से सिमरन ने औरतों को अपने गाने में ग्लोरिफाई किया है."

"सिमरन खुद के लिए कुछ इस तरह से बोलती हैं- गन कल्चर, वॉयलेंस, कास्टिज़्म, हां शर्टलेस आदमी चलते हैं. आप बस चाहते हो कि औरतों के ऊपर ही सारा बोझ आए."

"मैं इस गाने के गटर की आवाज़ कहूंगा. गाने में भर-भरकर गंद है. ये लाइन मुझे दिखी कि 'वाहेगुरु तेरी दुनिया देखकर दुख लगता है'. मैंने सोचा कि ये क्या हो रहा है, मैं उत्सुक हो गया. मुझे लगा कि वाहेगुरु का नाम है, रिलिजन के बारे में बात हो रही है. ये कहा गया कि तेरी दुनिया देखकर दुख लगता है, मैंने सोचा कि क्या दुख है दुनिया का, चाइल्ड ट्रैफिकिंग, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, मॉलेस्टेशन, रेप, घरेलू हिंसा, अब्यूज़, अफगानिस्तान, कोविड, फार्मर्स प्रोटेस्ट...मैंने तो कुछ ज्यादा ही उम्मीद बांध ली थी. क्योंकि मैडम जी ने समस्या की जड़ पर बात की थी. अपनी कम्युनिटी में सबसे बड़ी दिक्कत है लड़कियों के कपड़े. हां ये मुद्दा है. कहा गया कि लड़कियों का दिमाग खराब हो गया अपना शरीर दिखा रही हैं. हां आप सही हैं. लड़कों का दिमाग बिल्कुल नहीं खराब होता जो वो रेप करते हैं, मॉलेस्ट करते हैं, रेप की धमकी देते हैं, मारने की धमकी भेजते हैं, उनका दिमाग खराब नहीं है. दिमाग उस लड़की का खराब है जो अपनी ज़िंदगी जी रही है, लाइव जाती है, उसे जो करना है वो करती है, उसका दिमाग खराब है. उसका दिमाग तो बिल्कुल खराब नहीं है, जो ये सारी चीज़ें देख रहा है. ये कहा गया कि फेमस होने के लिए लड़कियां अपना शरीर दिखा रहीं, फेमस तभी हो रही हैं न क्योंकि उन्हें देखा जा रहा है."

गाने में क्या खटकता है?
खैर, वापस मुद्दे पर आते हैं. अब हम बताते हैं कि ये वीडियो हमें प्रॉब्लेमेटिक क्यों लगा. सिमरन का सपना जो है, वो पैट्रिआर्कल सोसायटी की उपज है. वो घर जहां लड़की चुप रहे, नज़रें झुकाकर बिना कुछ बोले रहे, क्या आप ऐसे घर में रहने की कल्पना कर सकते हैं. क्या ये बराबरी होगी. हां ये सोचकर नॉस्टेल्जिया वाली फीलिंग आ सकती है, लेकिन असल में इसे जीना बहुत चैलेंजिंग होता है. दूसरा- सिमरन खुलेआम जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करती हैं, हथियार लहराते दिखती हैं, क्या ये हमारी संस्कृति है. क्या ये सही है? क्या ऐसी दुनिया देखकर आपको दुख नहीं होता? झाकिए खुद के अंदर और जवाब दीजिए. तीसरा- शर्टलेस आदमी मंज़ूर हैं, लेकिन बिकनी पहनी औरतें दिख जाएं, तो भई बवाल आ जाएगा. चौथा- जिन औरतों को आप टारगेट कर रहे है न, न्यूड और सेमी-न्यूड वीडियो डालने के लिए, सोचिए कि उनका कंज्यूमर कौन है. वो फेमस हुईं क्यों? वो ऐसा वीडियो डालती हैं, क्योंकि आदमी वो वीडियो देखते हैं. औरतों के शरीर पर उनका हक है, वो जो करें. आपकी नज़रों पर आपका हक है. मत देखिए वो वीडियो, वो नहीं होंगी फेमस. लेकिन ऐसा थोड़े न करेंगे आप. आप जाएंगे, संस्कृति की दुहाई देंगे और चार गालियां लिखकर आ जाएंगे, साथ ही आंखें भी सेकेंगे अपनी. लेकिन एक्सेप्ट कभी नहीं करेंगे. पांचवां- फेमिनिज़म को जिस निगेटिव तरह पेश किया गया है, मत भूलिए कि आज औरतों को जो अधिकार मिले हैं, सिमरन जो खुलकर अपने गाने गा रही हैं, इतना नाम कमा रही हैं, वो फेमिनिज़म की वजह से ही है. समय रहते अगर फेमिनिस्ट औरतों के हक के लिए आवाज़ नहीं उठाते, लड़ते नहीं, तो शायद सिमरन को आज कोई जानता ही नहीं. फेमिनिज़म को परिभाषित करने की कोशिश मत कीजिए, सही या गलत में बांटने की कोशिश मत कीजिए. क्योंकि अगर ये नहीं होता, तो आज दुनिया शायद 100 साल पीछे ही होती.
और अगर संस्कृति, कल्चर, देश की वैल्यूज़ कपड़ों से ही बच रही हैं, घर पर रहने से ही बच रही हैं, तो फिर पुरुषों को भी धोती-कुर्ता या कुर्ता-पैजामा ही पहनना शुरू कर देना चाहिए फुलटाइम. और हर मॉडर्न चीज़ को रिजेक्ट कर देना चाहिए.
हम उम्मीद करते हैं कि आप समझ गए होंगे कि औरतों को घर पर रखने के लिए, उनको पीछे की ओर धकेलने के लिए, संस्कृति और कल्चर जैसे बड़े-बड़े शब्दों की आड़ लेना, उनका लिहाफ ओढ़ना, न सिर्फ बुरा है, न सिर्फ गलत है, बल्कि कई स्तर पर हास्यास्पद भी है. क्योंकि ऐसा कहने वालों की बातों में ज़रा भी सेंस नहीं है. हम ये नहीं कह रहे हैं कि जीन्स पहनने वाली लड़कियां या छोटे कपड़ने पहनने वाली लड़कियां ही मॉडर्न होती हैं, हम ये कह रहे हैं कि आप कुछ भी पहन सकती हैं, आप कोई भी कल्चर फॉलो कर सकती हैं, आप कोई भी व्रत-उपवास कर सकती हैं, कोई भी ट्रेडिशन मान सकती हैं, कोई भी नौकरी चुन सकती हैं, नौकरी नहीं भी चुन सकती हैं, आप कुछ भी कर सकती हैं, लेकिन कोई आपको ये बताने का हक नहीं रखता कि आपको क्या करना चाहिए, क्योंकि ये सारे फैसले आपके होते हैं.