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महिला अधिकार कार्यकर्ता कमला भसीन का 75 वर्ष की उम्र में निधन

नारीवाद और पितृसत्ता पर कई किताबें लिखी हैं, जिनमें से कई का 30 से अधिक भाषाओं में अनुवाद हुआ.

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कमला भसीन का 75 साल की उम्र में निधन हो गया. (फाइल फोटो)
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उमा
25 सितंबर 2021 (Updated: 25 सितंबर 2021, 08:39 AM IST) कॉमेंट्स
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कवयित्री, लेखिका और महिला अधिकार कार्यकर्ता कमला भसीन का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने 25 सितंबर की सुबह तीन बजे आखरी सांस ली. कुछ महीने पहले उन्हें कैंसर होने की बात पता चली थी. सोशल वर्कर कविता श्रीवास्तव ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी. लिखा,

हमारी प्रिय मित्र कमला भसीन का आज 25 सितंबर को लगभग 3 बजे निधन हो गया. यह भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में महिला आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है. कैसी भी परिस्थिति हो, उन्होंने जीवन को बेहतर तरीके से जीया. कमला आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी.

अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी ने कमला भसीन के निधन पर शोक व्यक्त किया है. ट्वीट किया,

कमला भसीन ने अपनी आखिरी लड़ाई लड़ी. गायन और जीवन को अच्छी तरह से जीने का जश्न मनाया है. उनकी कमी हमेशा खलेगी. उनकी साहसी मौजूदगी हंसी और गीत, उनकी अद्भुत ताकत उनकी विरासत है. हम सब इसे संजो कर रखेंगे जैसा हमने पहले अरुणा रॉय के लिए किया.
‘मुझे हमेशा लगता था कि कमला भसीन को कोई हरा नहीं सकता और वे आखिर तक ऐसी ही रहीं… उनकी कथनी और करनी में कभी कोई फर्क नहीं रहा. हम एक्शनएड के लोग और वे हजारों, जिनके जीवन को उन्होंने संवारा, उनके बिना और गरीब हो जाएंगे. चलिए, उनके जीवन और उनके योगदान पर जश्न मनाएं. रेस्ट इन पीस.
प्रिय मित्र और असाधारण इंसान कमला भसीन के निधन के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ. हम कल ही उनके स्वास्थ्य के बारे में चर्चा कर रहे थे, लेकिन यह कभी नहीं सोचा था कि वह अगले दिन हमें छोड़ देंगी. आप बहुत याद आएंगी.

एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा, इतिहासकार इरफान हबीब ने कमला भसीन को याद करते हुए लिखा

कौन थीं कमला भसीन?

कमला भसीन का जन्म 24 अप्रैल 1946 को पंजाब के शहीदनवाली गांव में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान का हिस्सा है. 1970 से उन्होंने महिलाओं के लिए काम करना शुरू कर दिया था. जेंडर इक्वालिटी, एजुकेशन, ह्यूमन डेवलपमेंट और मीडिया पर भी बहुत कुछ किया, जिससे वो चर्चा में रहीं. साथ ही भसीन ने नारीवाद और पितृसत्ता पर कई किताबें लिखी हैं, जिनमें से कई का 30 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया.

द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी प्रमुख रचनाओं में लाफिंग मैटर्स (2005; बिंदिया थापर के साथ सहलेखन), एक्सप्लोरिंग मैस्कुलैनिटी (2004), बॉर्डर्स एंड बाउंड्रीज: वुमेन इन इंडियाज़ पार्टिशन (1998, ऋतु मेनन के साथ सहलेखन), ह्वॉट इज़ पैट्रियार्की? (1993) और फेमिनिज़्म एंड इट्स रिलेवेंस इन साउथ एशिया (1986, निघत सईद खान के साथ सहलेखन) शामिल हैं.

उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री ली थी. पश्चिमी जर्मनी के मंस्टर यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी ऑफ डेवलपमेंट की पढ़ाई की. वहां पढ़ाई पूरी करके वह भारत लौटीं और राजस्थान के सेवा मंदिर में काम करना शुरू कर दिया.  यहां उनकी मुलाकात पत्रकार और कार्यकर्ता बलजीत मलिक से हुई. दोनों ने शादी कर ली और कुछ साल शादी चलने के बाद कथित घरेलू हिंसा के कारण दोनों का तलाक हो गया.

कमला भसीन ने 1975 तक बैंकॉक, थाईलैंड में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) में संयुक्त राष्ट्र के साथ और 1976 में बांग्लादेश में एक ग्रामीण सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन, 'गोनोशष्ट्य केंद्र' के साथ काम किया था.  2002 तक UN से जुड़ी रहीं. फिर उन्होंने भारत में फेमिनिस्ट नेटवर्क 'संगत' की 2002 में स्थापना की थी जो आदिवासी समुदायों की वंचित महिलाओं को साहित्यिक और गैर साहित्यिक चीज़ों से जोड़ने का काम कर रहा है.

उन्होंने कई बार विभिन्न मंचों पर महिलाओं के बलात्कार को लेकर प्रयुक्त होने वाली शब्दावली पर भी सवाल उठाए थे. उनका कहना था कि बलात्कार होता है ‘तब इज्जत मर्द की लुटती है औरत की नहीं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि पुरुषों को यह समझना होगा कि पितृसत्ता किस तरह उनका अमानवीकरण कर रही है. पितृसत्ता उन्हें रोने की इजाज़त नहीं देती. उन्होंने अपना इमोशनल इंटेलीजेंस खो दिया है. वे ख़ुद अपनी भावनाओं को नहीं समझ पाते.  

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