मेरठ: 'वंश चलाने वाले लड़के' के लिए रोते थे मां-बाप, लड़की ने सेक्स चेंज करा लिया!
लड़की ने बताया कि उसे दहेज का बोझ बताकर ताने मारे जाते थे.

उत्तर प्रदेश में मेरठ के लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में कुछ दिनों पहले तीन ऑपरेशन हुए. जेंडर चेंज कराने को लेकर हुए इन ऑपरेशन्स के जरिए तीन मरीज़ों में से दो को लड़का और एक को ल़डकी बनाया गया. मेरठ के मेडिकल कॉलेज में ये इस तरह के पहले मामले रहे.
इंडिया टुडे से जुड़े उस्मान चौधरी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऑपरेशन में एक डॉक्टर ने बताया है कि कुछ महीनों पहले मेडिकल कॉलेज के ग्रंथि विभाग में तीन ऐसे मरीज़ आए जिनके प्राइवेट पार्ट ठीक से विकसित नहीं हुए थे. तीनों की उम्र 17-19 साल के बीच है. प्राइवेट पार्ट ठीक से विकसित ना हो सकने की वजह से उनको ये पता लगाना मुश्किल था कि वो पुरुष हैं या महिला. डॉक्टर्स के मुताबिक, तीनों में पुरुष वाले एक्स वाई क्रोमोज़ोम थे. तीन में से दो ने सेक्स चेंज सर्जरी के जरिए महिला बनना सही समझा और एक ने खुद को पुरुष बनाने का फैसला किया.
रिपोर्ट के अनुसार, सेक्स चेंज सर्जरी लड़का बनी माधवी (काल्पनिक नाम) का कोई भाई नहीं था है. सिर्फ बहनों के होने के चलते उसके मां-बाप दुखी रहते थे. इस वजह से उसने लड़का बनने का फैसला किया. दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में माधवी ने बताया,
'बहनों में सबसे बड़ी होने के नाते मेरा कर्तव्य रहा है कि मैं घर की हर जिम्मेदारी निभाऊं. इसलिए मुझे अपनी पहचान बदलनी पड़ी है. मैं नहीं चाहती थी कि हमारा हंसता-खेलता परिवार बिखरे या टूटे. मैं इसमें खुश हूं क्योंकि आज मेरे मां-बाप को बेटा और बहनों को भाई मिल चुका है.'
माधवी ने दैनिक भास्कर को आगे बताया,
खुद को लड़के की तरह ढाल लिया था'हर बार मेरे घर बहनें पैदा होती रहीं, लेकिन भाई नहीं आया. लोग दहेज की बात कहकर हमें बोझ बताते थे. कोई कहता वंश नहीं चलेगा, तो मम्मी-पापा बहुत दुखी होते. उन्हें समाज के ताने सुनने पड़ते थे. रिश्तेदार भी घर आकर मम्मी को ताने मारते. तानों तक ठीक था, लेकिन जब पापा की दूसरी शादी की बात घर में होने लगी तो मेरा डर बढ़ने लगा.'
दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में माधवी ने ये भी बताया कि वो बचपन से ही लड़कों की तरह रहने लगी थी. उसने खुद को लड़कों की तरह ढाल लिया था. उसने कभी लड़कियों के कपड़े नहीं पहने. छोटी बहनें उसे राखी बांधती थीं. माधवी के इस फैसले को लेकर उसके पिता ने दैनिक भास्कर से बताया,
'हमने जान-पहचान में संपर्क किया किसी तरह बेटा गोद मिल जाए, लेकिन कोई लड़का गोद नहीं देता. कचरे में भी हमेशा बेटियों को फेंका जाता है. कभी आपने सुना कि कोई लड़का कहीं झाड़ियों में पड़ा मिला. लड़के कभी लावारिस नहीं मिलते, बेटियां ही मिलती हैं. जब कहीं से कुछ नहीं सूझा तो जेंडर चेंज कराने का फैसला लिया.'
दैनिक भास्कर के मुताबिक माधवी समेत तीनो लोगों की सेक्स चेंज सर्जरी प्रशासन की इजाज़त के बाद हुई है. डॉक्टर्स का कहना है कि तीनों सामान्य जीवन जी सकते हैं लेकिन बच्चे नहीं पैदा कर सकते.
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि माधवी की सेक्स चेंज सर्जरी सामाजिक दबाव में हुई है. उस सामाजिक दबाव में, जिसके केंद्र में लड़कों को लड़कियों से बेहतर मानने की मानसिकता है. जिसके तहत आज भी लड़कों को वंश चलाने वाला माना जाता है और लड़कियों को बोझ.