'प्रड्यूसर से शादी करो, फिल्म लिखने का क्रेडिट मिलेगा': डायरेक्टर की बात पर इंडस्ट्री में बवाल
'हसीन दिलरुबा' फिल्म की राइटर कनिका ढिल्लों पर किस डायरेक्टर ने कही ये बात?

'हसीन दिलरुबा' नाम की एक फिल्म आने वाली है. नेटफ्लिक्स पर. अभी कुछ ही दिन पहले इसका ट्रेलर रिलीज़ हुआ है, जिसके बाद से ही ये फिल्म खबरों में बनी हुई है. दरअसल, इस ट्रेलर में कुछ ऐसा था, जिसे एक फिल्म राइटर और डायरेक्टर ने पॉइंट आउट किया. उसके बाद से ही फिल्म इंडस्ट्री में पसरे सेक्सिज़्म के मुद्दे पर कई सारी बातें कही जा रही हैं. और ये मुद्दा अब ज़ोर-शोर से वायरल हो रखा है. क्या है वो बात, जिस पर बवाल मचा हुआ है? और इंडस्ट्री में सेक्सिज़्म किस हद तक है, सब जानेंगे एक-एक करके.
क्या है मामला?
11 जून को 'हसीन दिलरुबा' फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ. इस फिल्म के लीड रोल में हैं एक्ट्रेस ताप्सी पन्नू, एक्टर विक्रांत मेसी और हर्षवर्धन राणे. इस वक्त यूट्यूब पर ये 43वें नंबर पर ट्रेंड कर रहा है. 2 मिनट 29 सेकेंड्स का ट्रेलर है. दो मिनट 4 सेकेंड्स बीतने के बाद ट्रेलर में एक क्रेडिट प्लेट आई. लिखा था- 'कनिका ढिल्लों द्वारा इसे लिखा गया'. यानी फिल्म की स्टोरी राइटर हैं कनिका और बाकायदा उन्हें इसका क्रेडिट दिया गया. इसी क्रेडिट प्लेट को लेकर ही अब बवाल मचा हुआ है. दरअसल, बॉलीवुड के एक अन्य राइटर-डायरेक्टर नवजोत गुलाटी ने 11 जून को ही एक ट्वीट किया. इन्होंने पिछले साल आई फिल्म 'जय मम्मी दी' डायरेक्ट की थी. नवजोत ने कनिका या 'हसीन दिलरुबा' का नाम लिए बिना लिखा-
"अगर आप फिल्म के ट्रेलर में स्क्रीनराइटर के तौर पर शीर्ष में आना चाहते हो (जो कुछ ऐसा है जिसे कि नियम होना चाहिए), तो आपको किसी प्रोडक्शन हाउस में शादी करने की ज़रूरत है. जब राइटर परिवार का सदस्य बन जाता है, तो उसे एक्टर-स्टार की तरह ट्रीट किया जाता है. #Goals."
If you want top billing as a Screenwriter in a trailer(something that should be the norm)You need to marry into the production house. Once the Writer becomes a family member, is treated like an Actor-Star. #Goals
— Navjot Gulati (@Navjotalive) June 11, 2021
इशारा साफ था कि नवजोत कनिका और उनकी फिल्म की बात कर रहे हैं. क्योंकि कनिका के पति हिमांशु शर्मा भी इस फिल्म के प्रोड्यूसर्स में शामिल हैं. नवजोत का ट्वीट वायरल हुआ और 14 जून को कनिका ने इसका जवाब दिया. कहा-
"हाय नवजोत. मैं आपके सेक्सिस्ट, स्त्रीविरोधी और बेवकूफी भरे कमेंट से हैरान हूं. न ही मैं अपने कामों की लिस्ट आपको बताऊंगी, क्योंकि मटर के साइज़ का आपका दिमाग ये नहीं समझ पाएगा कि एक सफल महिला अपने दम पर ये सब कर रही है. हो सकता है कि आपका दिमाग भी फ्रीज़ हो जाए. आपका दिन अच्छा जाए."
Hi @Navjotalive
— Kanika Dhillon (@KanikaDhillon) June 14, 2021
I am quite shocked by ur extremely SEXIST - MYSOGINIST and bordering on IDIOTIC comment Neither will I list down my body of work cos ur pea sized brain will not be able to process a successful woman making it on her own! U may hav a brain freeze! Have a good day https://t.co/hDDhSlBEpS
कनिका ने एक और ट्वीट किया. लिखा-
"और मिस्टर नवजोत गुलाटी जैसे राइटर्स, जो उस बात पर अपनी बेवकूफी दिखाते हैं, जिस बात को राइटिंग फेटर्निटी द्वारा एक अच्छा कदम मानकर स्वागत किया जाना चाहिए था. आप जैसे राइटर्स की वजह से अच्छे लायक राइटर्स को विज्ञापनों में वो जगह नहीं मिलती, जिसके वो हकदार हैं. शर्म आनी चाहिए."
And mr @Navjotalive
— Kanika Dhillon (@KanikaDhillon) June 14, 2021
because of writers like YOU - who display their STUPIDITY on something tht should be Applauded as a welcome step by the writing fraternity- other very deserving writers do not get top Billing as is their right—- shame on u! https://t.co/hDDhSlBEpS
इस मुद्दे पर एक्ट्रेस ताप्सी पन्नू भी आगे आईं. ट्वीट किया-
"राइटर को क्रेडिट देने वाले प्रगतिशील कदम को भी सेक्सिस्ट रेंट में बदल दिया गया. ये सब सदियों पुरानी उस स्त्रीविरोधी सोच की वजह से हुआ जिसमें किसी महिला की सफलता का क्रेडिट उसके ससुराल को दिया जाता है या फिर उसके पति को."
A progressive call to credit a writer turned into a sexist rant by the age old misogyny of crediting a woman’s success to the house she marries in or the man she married. Your righteous call for equal credit can’t be overtaken by the bitterness in u. https://t.co/B7FrdSRakL
— taapsee pannu (@taapsee) June 14, 2021
कनिका ढिल्लों, जिन्होंने 'मनमर्ज़िया', केदारनाथ, 'जजमेंटल है क्या' जैसी फिल्में लिखी हैं, उनके सपोर्ट में ट्विटर पर कई लोग सामने आए. कई सारे पत्रकारों ने तो ट्वीट किया ही, इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने भी उनका पक्ष लिया. फिल्ममेकर प्रोड्यूसर शैलेश आर सिंह ने कहा-
"मैं इस ढिल्लों को सालों से जानता हूं, वो बढ़िया लिखती हैं और उनको किसी के सर्टिफिकेट या सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ती."
Bhaiya main jaanta hoon iss dhillon ko saalon se , wo badhiya likhti hain aur unko kisi ke certificate ya sahare ki Zaroorat nahi hai , @KanikaDhillon
— Shaailesh R Singh (@ShaaileshRSingh) June 14, 2021
mast raho vyast raho , “kuch toh log kahenge logon ka kaam Hai kehna, chodo bekaar ki baatein… waiting for #HaseenDilruba
https://t.co/UNn9rfk7MP
फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री ने भी कहा-
"मैं कनिका से मिला नहीं हूं लेकिन मैं उनके काम को जानता हूं. और इस कॉम्पिटिटिव दुनिया में वो सफल हुईं, इससे मुझे गर्व होता है और उम्मीद मिलती है."
Jyoti, I haven’t met Kanika but I know her body of work and it gives me immense pride and hope that she succeeded on her merit in such a competitive world. It should be every creative person’s ethical duty to encourage such talents. Bravo, Jyoti & Kanika. Best, always.
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) June 14, 2021
यानी कई सारे लोग कनिका के सपोर्ट में हैं और लगातार ट्वीट कर रहे हैं. इधर, जब मामला बढ़ा तो नवजोत गुलाटी ने भी अपना पक्ष रखा. कहा कि उनके ट्वीट को गलत तरीके से लिया गया है, वो तो हमेशा से ही राइटर्स को क्रेडिट देने की मांग करते आए हैं. नवजोत ने कहा-
"मेरा ट्वीट नेटफ्लिक्स के क्रेडिट सिस्टम की आलोचना करने के लिए था. और जो ऑब्ज़र्वेशन मैंने किया वो एक ताना था. मैंने किसी को टैग नहीं किया. और न ही मैं मेन मुद्दे से फोकस हटाना चाहता था, मेन मुद्दा ये है कि नेटफ्लिक्स ट्रेलर में कास्ट और क्रू को क्रेडिट नहीं देता है, खासतौर पर राइटर्स को. इसे सेक्सिज़्म और स्त्रीविरोधी समझ लिया गया. जबकि मेरा ये मतलब नहीं था. मुझे खुद हसीन दिलरुबा का ट्रेलर पसंद आया. और पास्ट में भी मैंने मनमर्ज़िया के लिए सेम राइटर की तारीफ की थी."
It has been misinterpreted to be about sexism and misogyny. I myself liked the trailer of Haseena Dilruba. And in the past i've praised Manmarziya Written by same Writer. pic.twitter.com/5McUVRADmS
— Navjot Gulati (@Navjotalive) June 14, 2021
इसके बाद आज नवजोत ने एक और लंबी-चौड़ी सफाई पेश की. कहा-
"मेरे करियर को 12 साल हो चुके हैं. इस दौरान मैंने कई अपकमिंग राइटर्स को सपोर्ट किया और राइटर्स को उनके हक का क्रेडिट मिले इसके लिए लड़ता रहा. इसका नतीजा ये है कि बहुत सारे स्टूडियोज़ में मैं अनपॉपुलर हूं. जब से नेटफ्लिक्स और बाकी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स आए हैं, ये बिज़नेस उनके हाथ में हो गया है. पिछले दो साल से मैं #NetflixCreditDedo ट्रेंड चला रहा हूं ट्विटर पर. बस एक ही चीज़ मांग रहा हूं कि कास्ट और क्रू को ट्रेलर में क्रेडिट दिया करो, क्योंकि इसी के लिए तो हम जीते हैं. आज एक सम्मानित राइटर ने मुझे मिसॉजिनिस्ट यानी स्त्रीविरोधी कहा, सेक्सिस्ट यानी लैंगिक भेदभाव करने वाला कहा. इसलिए ये पोस्ट मैं लिख रहा हूं. मेरे कटाक्ष को जेंडर वॉर बना दिया गया. ये बात जेंडर या फेमिनिज़्म कि या फिर सेक्सिज़्म की नहीं है. ये बात कॉन्टेन्ट के टेक्निकल क्रू की है, जिन्हें लगातार साइडलाइन किया जाता रहा है. अगर मेरे ट्वीट को लोग ये समझ रहे हैं कि उसका मकसद उस पर्टिकुलर राइटर का अपमान करना था, तो प्रॉब्लम पढ़ने वालों की समझ में है. मैं फिर से क्लीयर कर रहा हूं कि मेरा मुद्दा क्रेडिट मांगने पर है, लेकिन फिर भी अगर किसी को अपमानित महसूस हुआ है तो मैं माफी मांगता हूं."
The clarification. Part 2. Hopefully the last. pic.twitter.com/u6h82f5ef4
— Navjot Gulati (@Navjotalive) June 14, 2021
नवजोत गुलाटी से हमारी सीधे तौर पर तो बात नहीं हो पाई. लेकिन कनिका से हुई. उनसे हमने पूछा कि नवजोत के ट्वीट और सफाई पर वो क्या कहेंगी, तो उन्होंने कहा-
"जब उन्होंने (नवजोत) ने ये ट्वीट किया तो कुछ देर तो मुझे पता ही नहीं चला कि ऐसा कुछ ट्वीट है पब्लिक डोमेन में. लोगों ने इस बारे में मुझे मैसेज किया. मुझे तब तक नहीं पता था कि मेरे राइटिंग क्रेडिट को देखकर ये मैसेज किसी ने डाला है. मैं अपनी वॉल पर गई और ये अपमानजनक ट्वीट पड़ा. जिसमें सीधे ये कहा गया कि मेरे काम का क्रेडिट मेरे टैलेंट की वजह से नहीं, बल्कि जिससे मेरी शादी हुई है उस इंसान की वजह से दिया गया है. पहला इंस्टिंक्ट जो हम भारतीय औरतों को सिखाया जाता है कि छोड़ दो, जाने दो, चुप रहना तहज़ीब है. तो मेरा भी पहला इंस्टिंक्ट यही था कि रहने दो. फिर मुझे ये बात खटकने लगी कि ये बात पब्लिक डोमेन में है, इसलिए मैंने अपनी बात रखी. हमारे देश में सेक्सिज़्म है, लेकिन नवजोत जी जैसे पढ़े-लिखे व्यक्ति ऐसी बात कर रहे हैं, ये बहुत हैरानी भरा है. अगर आगे जाकर मैं लोगों ये ज्ञान दे रही हूं कि आवाज़ उठाओ सेक्सिज़्म के खिलाफ, और अगर मैं खुद ऐसा नहीं कर रही हूं तो ये सारी बातें खोखली होंगी. पब्लिक डोमेन में इन्होंने मुझे ये बात कही है, तो मैं कहूंगी कि एक चुप से 100 सुख नहीं होते, बल्कि एक चुप से 100 लिंगवादी खड़े हो जाते हैं. 100 मुर्ख आ जाते हैं. तो इस बात को मीडिया में लाकर, एक रिएक्शन देकर मैं एक क्लीयर मैसेज भेजना चाहती हूं कि अगली बार आप ऐसा करेंगे तो अननोटिस नहीं जाएगा. रिएक्शन आएगा."

कनिका ने 'मनमर्ज़िया', केदारनाथ, 'जजमेंटल है क्या' जैसी फिल्में लिखी हैं. (फोटो- इंस्टाग्राम)
फिल्म इंडस्ट्री में फैले सेक्सिज़्म के मुद्दे पर भी हमने सवाल किया. पूछा कि उनके करियर में सेक्सिज़्म को लेकर क्या एक्सपीरियंस रहा है, उन्होंने कहा-
"सेक्सिज़्म रोज़ होता है. मैं ये नहीं कह रही कि मैं एक अनोखी हूं जिसके साथ ये हुआ. मैं कह रही हूं कि हिंदुस्तान में सेक्सिज़्म बहुत ज्यादा है. हर इंडस्ट्री में है. बॉलीवुड में भी बाकी इंडस्ट्री की तरह ही है. तो जो प्रॉब्लम हमारे देश में है, वो बॉलीवुड में भी हैं. सेक्सिज़्म किसी न किसी फॉर्म में हर वर्किंग लेडी के साथ होता है. कभी थोड़ी मात्रा में, कभी आपके सामने... ये हम रोज़ फेस करते हैं. अगर आपके नीचे कोई आदमी काम कर रहा है, आप उनकी बॉस हैं, तो ये इक्वेशन हैंडल करनी पड़ती है. आपको उनकी ईगो हैंडल करनी पड़ती है. अगर एक औरत एक मर्द की बॉस है तो उसमें एक प्रॉब्लम है, एक अनकही सी सिचुएशन है. वो हैंडल करनी पड़ती है. फिर अगर आपके बॉस का नज़रिया सेक्सिस्ट है, तो आप सोच लीजिए क्या हाल होता होगा ऑफिस में. एक औरत होने के नाते आपका टैलेंट फेस वैल्यू पर नहीं लिया जाता. वो आप चाहे चार, छह, आठ फिल्में लिख लीजिए, एक नवजोत जी जैसे आदमी उठकर बोलेंगे कि ये फिल्में साइड करो, इनका टैलेंट भी साइड करो, सब भूल जाओ, सिर्फ ये याद रखो कि इनकी शादी किससे हुई है."
कनिका ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि फिल्म इंडस्ट्री में लैंगिक भेदभाव नहीं है. वो भी मानती हैं कि पुरुष और आदमी को लेकर भेदभाव किया जाता रहा है. बिल्कुल उसी तरह जिस तरह बाकी फिल्ड में होता है. लेकिन अभी बात हो रही है इंडस्ट्री की. तो इसी पर आगे बढ़ते हैं. BBC को दिए एक इंटरव्यू में लिरिसिस्ट कोशर मुनीर ने कहा था-
"औरतों के मुंह से ये सुनना आम हो गया है कि हमारे साथ समान बर्ताव नहीं होता. ज़ाहिर है कि भेदभाव होता है. हमारी एक्ट्रेसेस जो हैं वो बहुत मेहनत करती हैं, उनको जितने पैसे मिलते हैं वो देखिए और एक्टर को मिलने वाली रकम देखिए. मेरे कहने न कहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा."
किस तरह पसरा है सेक्सिज़्म?
चलिए अब आपको थोड़े उदाहरण देते हैं. 80-90 का दौर याद कीजिए. तब जो फिल्में बन रही थीं, उनमें ज्यादातर फिल्मों में औरतों को लालची, बुरे बर्ताव वाली, साजिश रचने वाली, घर तोड़ने वाली, नीचा दिखाने वाली, इसी तरह से दिखाया जाता था. उदाहरण के लिए फिल्म लाडला देखिए. श्रीदेवी का कैरेक्टर एक घमंडी, बिगड़ैल लड़की का था, जो बदला लेने के लिए लोगों की ज़िंदगी तबाह कर देती है. 'जुदाई' फिल्म में भी पैसों के लालच में आकर अपने पति को बेच देती है. ये सब क्या है? स्त्रीविरोधी मानसिकता वाली फिल्मों का उदाहरण हैं. इसके पहले के दौर में फिल्मों में अधिकतर औरतों को कमज़ोर, प्रताड़ित दिखाया जाता था, फिर उन्हें स्ट्रॉन्ग लेकिन बिगड़ैल दिखाने की प्रथा शुरू हुई. ये सब तब हुआ जब स्क्रीनराइटिंग की दुनिया में औरतें न के बराबर थीं.
समय बीता इस फिल्ड में औरतों ने एंट्री ली और तब फिर लड़कियों के लिए ऐसे कैरेक्टर लिखने शुरू हुए, जो मज़बूत और अहम थे. हां इनमें भी कुछ औरतों को कठोर दिखाया गया, लेकिन ये दिखाने की कोशिश नहीं हुई कि ऐसी औरतें विलेन ही होती हैं, बल्कि ये बताया गया कि हर किसी का अपना कैरेक्टर होता है. अब अगर सेक्सिज़्म की बात करें, तो पे गैप सबसे बड़ा उदाहरण है. दूसरा एज गैप भी इसी का नमूना है. आज भी 50-50 साल के एक्टर्स के साथ अंडर 30 एक्ट्रेस कास्ट की जाती हैं. आज भी ज्यादातर फिल्मों में एक्ट्रेस का रोल ट्रॉफी वाइफ की तरह यानी दिखावटी सामान की तरह होता है. 'राधे' फिल्म में ही देखिए, अरे राधे फिल्म मत देखिए, बस उसका एकाद रिव्यू पढ़ लीजिए, हमारी आपसे कोई दुश्मनी नहीं है जो उसे देखने की हम सलाह देंगे. इस टॉपिक पर जितना कहा जाए उतना कम है, लेकिन सच्चाई ये है कि हर फील्ड की तरह फिल्म इंडस्ट्री में भी सेक्सिज़्म और मिसॉजिनिस्टिक सोच अभी भी जीवित हैं.