क्या सच में मैच में हारने की वजह से गीता-बबीता फोगाट की बहन रितिका ने सुसाइड कर लिया?
रितिका के आखिरी मैच में क्या हुआ था उनके साथ?

कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी. नाम था दंगल. इस फिल्म में दिखाया गया था कि एक पूर्व पहलवान अपनी दो बेटियों को कुश्ती सिखाता है. खूब ट्रेंड करता है. इतना कि दोनों लड़कियां कई इंटरनेशनल लेवल के कॉम्पटिशन्स में मेडल जीत लेती हैं. फिल्म में दिखाई गई ये कहानी असल घटना पर बनी थी. जिस पूर्व पहलवान की कहानी दिखाई गई, उनका नाम है महावीर फोगाट और जिन दो लड़कियों को पहलवान बनते दिखाया गया, उनके नाम हैं गीता फोगाट और बबीता फोगाट.
अब इसी परिवार से जुड़ी खबर ये है कि गीता-बबीता की ममेरी बहन ने कथित तौर पर सुसाइड कर लिया है. नाम है रितिका फोगाट. महज़ 17 साल की थीं. कहा जा रहा है कि एक मैच में हार मिलने की वजह से रितिका ने ऐसा किया. क्या हुआ था रितिका के साथ उनके आखिरी मैच में? खिलाड़ियों के ऊपर जीत पाने का प्रेशर किस कदर होता है? इस पूरे मामले को विस्तार से जानते हैं.
क्या है पूरा मामला?
रितिका राजस्थान के झुंझुनू ज़िले के जैतपुर गांव की रहने वाली थीं. पिता का नाम है मेनपाल. मेनपाल, गीता और बबीता के मामा हैं. रितिका पिछले कई दिनों से महावीर फोगाट की रेसलिंग एकेडमी में प्रैक्टिस कर रही थीं. और बलाली में महावीर के घर पर ही रह रही थीं. बलाली, हिरयाणा के चरखी दादरी ज़िले के तहत आने वाला एक गांव है.
'इंडिया टुडे' से जुड़े पत्रकार जगवीर घांघस की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 से 14 मार्च के बीच राजस्थान के भरतपुर ज़िले में रेसलिंग की एक प्रतियोगिता थी. ये एक राज्य स्तरीय कॉम्पटिशन था. रितिका ने भी इसमें हिस्सा लिया था. मैच के फाइनल मुकाबले में वो एक पॉइंट से हार गईं. इस दौरान महावीर और रितिका के पिता मेनपाल भी वहां मौजूद थे. कॉम्पटिशन खत्म होने के बाद रितिका महावीर के साथ बलाली गांव वापस चली गई. और 15 मार्च की रात करीब 11 बजे उनका शव घर के एक कमरे में पंखे से झूलता हुआ पाया गया.
मामले की जानकारी पुलिस को दी गई. झोझू कलां पुलिस थाने ने शव को कब्ज़े में लेकर दादरी सिविल अस्पताल भेजा, पोस्टमार्टम के लिए. इसके बाद रितिका के शव को उनके परिवार को सौंप दिया गया. अंतिम संस्कार रितिका के गांव जैतपुर में किया गया. पुलिस का कहना है कि उन्हें मामले की जानकारी है, लेकिन परिवार वालों ने किसी के भी ऊपर कोई आरोप नहीं लगाए हैं. चरखी दादरी DSP राम सिंह बिश्नोई ने कहा कि कथित सुसाइड की वजह रितिका को हाल के मैच में मिली हार हो सकती है. मामले में डीएसपी ने भी कुछ ऐसी ही आशंका जताई.
"परसों रात को पुलिस को सूचना मिली थी कि बबीता फोगाट के मामा की लड़की रितिका फोगाट ने आत्महत्या कर ली. उसका एक मैच हुआ था. जिसमें वो एक पॉइंट से हार गई थी. हो सकता है कि उसने मायूस होकर ये कदम उठा लिया हो. पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है और मामले की जांच चल रही है."
अभी तक जितनी जानकारी इस केस की सामने आई है, यही पता चल पाया है कि रितिका भरतपुर में मिली हार की वजह से निराश थीं. और इसी निराशा में उन्होंने कथित तौर पर सुसाइड कर लिया. उनके परिवार वाले भी यही दावा कर रहे हैं. रितिका के ममेरे भाई हरविंद्र फोगाट ने भी इसी हार को कथित सुसाइड का कारण बताया है. उन्होंने कहा,
"स्टेट लेवल की प्रतियोगिता थी. वहां लो एक पॉइंट से हार गई. यही आशंका है कि अपनी हार से निराश होकर बच्ची ने ये कदम उठा लिया. और तो कोई कारण समझ नहीं आ रहा है. ऐसी कोई दिक्कत भी नहीं थी."
मैच में क्या हुआ?
अब हम बात करते हैं कि भरतपुर में आयोजित हुए उस मैच में आखिर हुआ क्या था. 'इंडिया टुडे' के पत्रकार सुरेश फौजदार की रिपोर्ट के मुताबिक, रितिका ने जूनियर स्तर के कॉम्पटिशन में हिस्सा लिया था. फाइनल में उनका मुकाबला भीलवाड़ा ज़िले की एक लड़की से था. ये मुकाबला एकदम बराबरी का हुआ, लेकिन रितिका एक पॉइंट से हार गईं.
इसके बाद ये कहा गया कि मैच में चीटिंग हुई, और रितिका के साथ धोखा हुआ. इसे लेकर मीडिया ने सवाल किया सत्यप्रकाश लुहाच से. ये भरतपुर ज़िला खेल अधिकारी हैं. इन्होंने ही ये कॉम्पटिशन करवाया था. उन्होंने कहा कि कोई चीटिंग नहीं हुई थी, महावीर फोगाट ने फैसला लिया था, उन्होंने कहा था कि उनकी लड़की अगले साल खेल लेगी, और फिर भीलवाड़ा वाली लड़की को विनर घोषित कर दिया गया.

रितिका के ममेरे भाई हरिविंद्र
सत्यप्रकाश ने आगे बताया कि मैच के बाद रितिका को उनके पिता या किसी ने डांट दिया था, जिसे वो सहन नहीं कर पाईं और ये कदम उठा लिया. खेल अधिकारी का ये कहना है कि हरियाणा में गुरु अपने शिष्यों की खूब फटकार लगाते हैं, ताकि वो आगे बढ़ सकें, यही तरीका है. हो सकता है कि इसी तरह की डांट रितिका को भी पड़ी हो. उन्होंने कहा-
"हार-जीत तो लगी रहती है. आजकल के बच्चे हार सहन नहीं कर पाते. हमारे यहां गुरू-शिष्य की परंपरा है. गुरू सोचते हैं कि शिष्य को डांटकर ही बेहतर बनाया जा सकता है. खुद महावीर फोगाट यहां आए थे. उन्होंने ही मैच का फैसला दिया था. हार के बाद शायद रितिका के पिता ने उसे डांट दिया था. शायद उसी से नाराज हो गई हो वो."
इस मुद्दे पर हमने गीता फोगाट और बबीता फोगाट से भी बात करने की कोशिश की थी, लेकिन बात हो नहीं सकी. हालांकि मामला सामने आने के बाद दोनों बहनों ने ट्वीट किए. गीता ने लिखा-
"भगवान मेरी छोटी बहन, मेरे मामा की लड़की रितिका की आत्मा को शांति दे. मेरे परिवार के लिए बहुत ही दुख की घड़ी है. रितिका बहुत ही होनहार पहलवान थी पता नहीं क्यों उसने ऐसा कदम उठाया. हार-जीत खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा होता है, हमें ऐसा कोई क़दम नहीं उठाना चाहिये."

गीता का ट्वीट
बबीता ने लिखा-
"भगवान रितिका की आत्मा को शांति दे. यह समय पूरे परिवार के लिए बहुत ही दुख की घड़ी है. आत्महत्या कोई समाधान नहीं है. हार और जीत दोनों जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं. हारने वाला एक दिन जीतता भी जरूर है. संघर्ष ही सफलता की कुंजी है संघर्षों से घबराकर ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए."

बबीता फोगाट का ट्वीट.
इस केस में अभी तक यही कहा जा रहा है कि रितिका हार की वजह से निराश थीं और इसी वजह से उन्होंने खुद की जान ले ली. हम ठीक से नहीं जानते कि उनके दिमाग में क्या चल रहा होगा. और न ही हम अब जान सकते हैं. लेकिन इस केस ने एक नई बहस छेड़ दी है. जीत का प्रेशर होने की बहस. हर खिलाड़ी के ऊपर, खासतौर पर युवा खिलाड़ियों के ऊपर अच्छा परफॉर्म करने का दबाव होता ही है.

खेल अधिकारी सत्यप्रकाश.
इसी तरह का दबाव रितिका के ऊपर भी रहा होगा. और ये प्रेशर तब और ज्यादा बढ़ जाता है, जब आपके भाई-बहन पहले से उस फील्ड में अच्छा कर रहे हों या बेहद कामयाब हों. रितिका के केस में उनकी दो बहनें तो इतनी फेमस हैं, कि उन पर फिल्म तक बन चुकी है.
महिला खिलाड़ियों को ज्यादा दवाब झेलना पड़ता है?
अच्छा परफॉर्म करने का दबाव हर जगह होता है. हर फील्ड में होता है. लेकिन ये दबाव तब और बढ़ जाता है, जब आप स्पोर्ट्स की फील्ड में हों. अक्सर ही आपकी तुलना आपके खेल के कामयाब खिलाड़ी से की ही जाती है. साथ ही हमने अक्सर सुना है, कई खबरें भी आ चुकी हैं कि स्पोर्ट्स में अलग-अलग लेवल पर अलग-अलग तरह की पॉलिटिक्स होती है. इसलिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि कि इस तरह की पॉलिटिक्स से युवा खिलाड़ी किस तरह से डील करते हैं? दूसरा, इस सवाल का जबाव जानना भी ज़रूरी है कि क्या महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा प्रेशर झेलना पड़ता है? इन सबके जवाब जानने के लिए हमने बात की स्पोर्ट्स के एक्सपर्ट से. उन्होंने क्या कहा-
"लड़कों के मुकाबले लड़कियों पर ज्यादा प्रेशर तो होता है. लेकिन एक बार फिट हो जाने पर ऐसा कुछ नहीं रह जाता. बल्कि लड़कियां तो लड़कों के मुकाबले और भी बेहतरीन प्रदर्शन करती हैं. चाहे तो ओलंपिक का उदाहरण ले लीजिए. हर स्पोर्ट में ऐसा ही होता है. एक बार कोई प्लेयर बन जाता है तो फिर उसे दूसरी चीजों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. चाहें जो परिस्थितियां हों, वो बस अपने उद्देश्य के बारे में सोचता. पॉलिटिक्स और दूसरी चीजों से प्रभावित नहीं होता. जिस प्लेयर के अंदर खेल भावना आ जाती है, उसे कोई नहीं रोक सकता."
रितिका के कथित सुसाइड ने एक बार फिर हमें मेंटल हेल्थ पर चर्चा की तरफ खींच लाया है. वो महज़ 17 बरस की थीं. टीनेज थीं. नाबालिग थीं. पिछले कुछ बरसों में हम देख रहे हैं कि टीनेजर्स के सुसाइड करने के मामले काफी बढ़ रहे हैं. NCRB यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में 10,159 (दस हज़ार एक सौ उनसठ) स्टूडेंट्स की मौत सुसाइड की वजह से हुई थी. 2017 में ये आंकड़ा 9,905 (नौ हज़ार, 905) था और 2016 में ये संख्या 9,478 थी. NCRB की रिपोर्ट ये भी कहती है कि भारत में हर घंटे एक स्टूडेंट सुसाइड करता है.
टीनेज के सुसाइड की सबसे बड़ी वजह क्या है? क्या चीज़ें उन्हें परेशान करती हैं? कैसे उनकी दिक्कतों से हमें डील करना चाहिए? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमने बाद की मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से. उन्होंने हमें बताया-
"सुसाइड एक तरीके से परिस्थितियों से भागना है. जो लोग परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाते, वो इस्केप करना चाहते हैं. इसके कई सारे कारण हो सकते हैं. फेलियर सबसे बड़ा कारण है. रितिका के मामले में भी यही नजर आ रहा है. दूसरा ये कि हमें बच्चों और जूनियर खिलाड़ियों को हमेशा कंपेयर नहीं करना चाहिए. उन्हें फेलियर की स्टोरी भी सुनानी चाहिए. सुसाइड के कुछ साइन्स होते हैं. मां बाप को उनका ख्याल रखना चाहिए. जैसे बच्चा एकदम से गुमसुम रहने लगे. या उसके मूड स्विंग्स हों. आप चाहें कितना भी डांट लो, लेकिन कोई जवाब ना दे. ऐसी बातों का ख्याल रखना चाहिए."
स्पोर्ट्स की दुनिया में महिलाओं की स्थिति पर अगर और गहराई से बात करें, तो यौन शोषण का मुद्दा एक बड़ी दिक्कत है. ऐसी कई खबरें सामने आ चुकी हैं, जो बताती हैं कि कोचिंग के लेवल पर लड़कियां कई बार यौन शोषण का सामना करती हैं. कुछ दिन पहले ही एक केस आया था मुंबई से. यहां एक बॉक्सिंग कोच पर 14 साल की एक खिलाड़ी के रेप का आरोप लगा था, जिसके बाद कोच को गिरफ्तार कर लिया गया था.
दिसंबर 2016 में भी ऐसा एक केस आया था, इंटरनेशनल लेवल की इंडियन प्रोफेशनल शूटर ने अपने कोच के ऊपर ड्रग देने और फिर रेप करने के आरोप लगाए थे. खैर, ये एक अलग मुद्दा है और इस पर हम अगर डिटेल में बात करने बैठे, तो शायद तीन-चार एपिसोड भी कम पड़ जाएं. इस अपील के साथ कि युवा खिलाड़ियों के प्रति पूरा स्पोर्ट्स सिस्टम संवेदनशील हो, और उनके ऊपर चीज़ें थोपने की बजाए उन्हें सुना जाए, जो काफी ज़रूरी है.