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किडनी खराब कर देता है क्रिएटिनिन, जानें इसके बढ़ने पर कैसे लक्षण दिखते हैं

इधर क्रिएटिनिन आपके शरीर में बढ़ा, उधर आपकी किडनियां कम काम करने लगती हैं. डॉक्टर से जानेंगे ये क्या होता है और ये शरीर में क्यों बढ़ता है.

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what is Creatinine, that damages your kidneys and cause renal failure
क्रिएटिनिन बढ़ने की वजह से किडनियां कम काम करने लगती हैं. (सांकेतिक फोटो)
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आयूष कुमार
30 जून 2023 (Updated: 30 जून 2023, 05:09 PM IST) कॉमेंट्स
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किडनी का काम होता है आपके शरीर से गंदगी को बाहर निकालना. जब किडनियां ठीक तरह से काम करना कम कर देती हैं, तब आपके शरीर के अंदर जमा कचरा बाहर निकलना भी कम हो जाता है. अब शरीर के अंदर गंदगी जमा होती जाएगी तो ज़ाहिर सी बात है इसका असर शरीर के बाकी अंगों पर भी पड़ेगा. आपकी सेहत बिगड़ेगी. अब आपकी किडनियां धीरे-धीरे कम काम क्यों करने लगती हैं? इसके पीछे वजह है क्रिएटिनिन. ये आपके शरीर में बढ़ा, उधर आपकी किडनियां कम काम करने लगती हैं. आज डॉक्टर से जानेंगे ये क्या होता है और ये शरीर में क्यों बढ़ता है. साथ ही जानेंगे इसके बढ़ने से आपके शरीर में किस तरह के लक्षण सामने आते हैं और इसका इलाज क्या है.

क्रिएटिनिन क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर विक्रम कालरा ने.

( डॉक्टर विक्रम कालरा, कंसल्टेंट, नेफ्रोलॉजी, सीके बिड़ला हॉस्पिटल, नई दिल्ली )

मांसपेशियों की एक्टिविटी के कारण जो वेस्ट प्रोडक्ट बनता है उसको क्रिएटिनिन कहते हैं. क्रिएटिनिन किडनी के ज़रिए पास होता है. जब किडनियां कम काम कर रही होती हैं, तब क्रिएटिनिन की मात्रा खून में बढ़ जाती है.

क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ने से क्या समस्या होती है?

इसको एक मार्कर की तरह लिया जाता है. किडनी की सेहत को नापने के लिए. जब क्रिएटिनिन की मात्रा खून में बढ़ती है, तब किडनी कम काम करती है. इसके लिए eGFR (अनुमानित ग्लोमेरुलर फ़िल्ट्रेशन रेट) कैलक्यूलेट किया जाता है. जैसे-जैसे क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ती है, उसी हिसाब से किडनी के काम करने की क्षमता जांची जाती है और स्टेजिंग की जाती है. जैसे-जैसे क्रिएटिनिन बढ़ता है, मात्रा के हिसाब से कारण पता करना पड़ता है. जानना पड़ता है कि किडनी फ़ेल क्यों हो रही है, कम क्यों काम कर रही है? सबसे आम कारण है ब्लड प्रेशर और डायबिटीज.

लक्षण

सबसे आम लक्षण हैं शरीर में थकावट महसूस होना. हीमोग्लोबिन कम होना. ब्लड प्रेशर बढ़ना. सुबह उठने के बाद आंखों के आसपास सूजन होना. पैरों में सूजन आना. यूरिन में ब्लड आना. पेशाब करने में दर्द और जलन होना. जैसे-जैसे किडनी काम करना कम करती है, भूख कम लगने लगती है. हीमोग्लोबिन लेवल कम होने लगता है. थकावट होती है. सूजन के कारण सांस लेने में तकलीफ़ होती है. कई बार जब किडनी 30% से कम काम करने लगती है, तब ये लक्षण नज़र आते हैं. इसलिए जिन लोगों को डायबिटीज है, ब्लड प्रेशर है, परिवार में किसी को किडनी की समस्या है, पेन किलर लेते हैं, आर्थराइटिस है, ऑटो इम्यून बीमारियां हैं, कैंसर है इन लोगों को नियमित जांच करवानी चाहिए. जब उम्र 35-40 साल की हो तब साल में कम से कम 1 बार जांच ज़रूर करवाएं

इलाज

इसके इलाज को दो फेज़ में बांटा गया है. पहले फेज़ में डायलिसिस की ज़रुरत नहीं होती है, ये स्टेज हैं CKD-3, 4. इसमें शुगर का ध्यान रखा जाता है. ब्लड प्रेशर का ध्यान रखा जाता है, पेन किलर नहीं लेनी है. आर्थराइटिस और ऑटो इम्यून बीमारियों में किडनी पर असर आता है. डाइट का ध्यान रखना है. संतुलित मात्रा में ही प्रोटीन, नमक, पोटाशियम, फास्फोरस लेना होता है. 

स्टेज 5 में  ग्लोमेरुलर फ़िल्ट्रेशन रेट 15% से भी कम हो जाता है. इस स्टेज में पेशेंट को डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रुरत पड़ती है. डायलिसिस भी कई तरह के होते हैं. पर अगर आप सही समय पर सही डायलिसिस और इलाज करवाएंगे तो आप नॉर्मल ज़िंदगी जी सकते हैं. 

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: क्या होता है क्रिएटिनिन जिसके शरीर में बढ़ने से किडनियां काम करना कम कर देती हैं?

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