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यौन शोषण की शिकायत पर पार्टी से निकाला, अब मुस्लिम समाज में सुधार के लिए लड़ेंगी फातिमा तहीलिया

रूढ़िवादी परिवार से ताल्लुक रखने वाली फातिमा पेशे से वकील हैं.

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बाएं से दाएं. IUML का केरल स्थित ऑफिस और स्टूडेंड बॉडी की वाइस प्रेसिडेंट रहीं फातिमा तहीलिया. (फोटो: ट्विटर/इंस्टाग्राम)
बाएं से दाएं. IUML का केरल स्थित ऑफिस और स्टूडेंड बॉडी की वाइस प्रेसिडेंट रहीं फातिमा तहीलिया. (फोटो: ट्विटर/इंस्टाग्राम)
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मुरारी
23 सितंबर 2021 (Updated: 23 सितंबर 2021, 02:26 PM IST) कॉमेंट्स
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इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML). केरल में कांग्रेस का सहयोगी संगठन है. इसने यौन शोषण के आरोपों के बाद अपने छात्र संगठन MSF के महिला विंग को बंद कर दिया. इस बीच MSF यानी मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुकीं फातिमा तहीलिया (Fathima Tahiliya) ने पार्टी आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पार्टी लीडरशिप तहीलिया को अनुशासनहीनता के आरोप में उनके पद से हटा चुकी है. तहीलिया ने IUML की छात्र इकाई के महिला विंग हरिता की उन सदस्यों का साथ दिया था, जिन्होंने MSF के पुरुष सदस्यों के ऊपर यौन शोषण के आरोप लगाए थे. पार्टी ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए हरिता को बंद किया है. 'पार्टी को पटरी पर लाना होगा' इस पूरे घटनाक्रम पर बातचीत करते हुए फातिमा तहीलिया ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
"हमारे हांथ-पैर बंधे नहीं हैं. अगर हाल के वर्षों में पार्टी व्यक्ति केंद्रित हो गई है, तो इसे वापस पटरी पर लाना होगा. हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पार्टी के भीतर महिलाओं और उनकी आवाज के लिए जगह हो. मैं जल्द ही इस तरह की सोच रखने वाली महिलाओं के साथ मिलकर पार्टी के भीतर ही एक संगठन बनाऊंगी. हम पार्टी और समुदाय दोनों में सुधार के लिए संघर्ष करेंगे. जल्द ही हमारे संगठन का नाम घोषित किया जाएगा."
दरअसल, इस साल जून में मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन की एक स्टेट कमेटी मीटिंग हुई थी. हारिता की सदस्यों ने आरोप लगाया है कि इस मीटिंग के दौरान स्टूडेंट बॉडी के अध्यक्ष पीके नवास और उसके साथियों ने उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया. इस पूरे घटनाक्रम के बाद इन महिला सदस्यों ने पार्टी की केंद्रीय लीडरशिप को अनेक पत्र लिखे. उन्होंने आरोपियों के ऊपर कार्रवाई की मांग की. हालांकि, महिला सदस्यों का कहना है कि पार्टी की तरफ से आरोपियों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई बल्कि उन्हें ही चुप रहने को कहा गया.
द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी की तरफ से कोई मदद न मिलने के बाद हरिता की सदस्यों ने राज्य के महिला आयोग का रुख किया. इसमें फातिमा तहीलिया ने प्रमुख भूमिका निभाई. महिला आयोग ने पुलिस को आरोपियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. जिसके बाद नवास को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि, उसे जमानत मिल गई. इस बीच IUML ने हरिता को बंद कर दिया. हरिता की पहली अध्यक्ष केरल के कोझिकोड़ से आने वालीं फातिमा तहीलिया पेशे से वकील हैं. एक रूढ़िवादी परिवार से वास्ता रखने के बाद भी तहीलिया महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सुधारवादी और विश्वास भरे विचार रखने के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि MSF की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटाए जाने को उन्होंने बहुत ही सकारात्मक तौर पर लिया है.
तहीलिया का कहना है कि IUML का संविधान लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर बनाया गया है. और अगर पार्टी इन मूल्यों को भूलकर व्यक्ति केंद्रित हो गई है, तो उसे फिर से उसके लोकतांत्रिक मूल्य याद दिलाने होंगे.
साल 2012 में हरिता का गठन हुआ था. फातिमा तहीलिया संगठन की पहली राज्य अध्यक्ष बनी थीं. हालांकि, शुरुआती तौर पर कैंपस की राजनीति में हरिता का दखल लगभग नगण्य रहा. समय के साथ अलग-अलग कैंपस में MSF का प्रभुत्व बढ़ा तो हरिता का भी महत्व बढ़ता गया. लेकिन हरिता की सदस्यों की चुनाव लड़ने की मंजूरी पिछले साल ही मिली.
 Fatima Tahiliya लगातार मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं के हक में आवाज उठाती आई हैं.
Fatima Tahiliya लगातार मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं के हक में आवाज उठाती आई हैं.

महिला सदस्यों के यौन शोषण की बात IUML के नेतृत्व ने स्वीकारी है. पार्टी की तरफ से कहा जा चुका है कि महिला सदस्यों के साथ जो भी बदतमीजी हुई, उसका निपटारा आंतरिक प्लेटफॉर्म पर किया जा चुका है. बदतमीजी करने वाले भी माफी मांग चुके हैं. पार्टी का कहना है कि आंतरिक प्लेटफॉर्म पर निपटारा होने के बाद भी महिला सदस्यों ने सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी की और पार्टी का अनुशासन तोड़ा. महिलाओं के हक में उठाती रही हैं आवाज दूसरी तरफ, फातिमा तहीलिया का कहना है कि IUML की लीडरशिप ने बहुत ही शर्मनाक व्यवहार किया. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ऊंचे पदों पर बैठे लोगों ने महिला सदस्यों का चरित्र हनन किया. लेकिन हम चुप नहीं रहे. जब पार्टी की तरफ से चुप रहने के लिए कहा गया, तब हमने सबको अपनी बात बताई. इससे समाज को पता चला कि आखिर में क्या हो रहा है.
हालांकि, इसके बाद भी फातिमा पार्टी लीडरशिप को सीधे तौर पर चुनौती नहीं देना चाहतीं. वो बस इतना चाहती हैं कि पार्टी के अंदर महिलाओं को बराबर राजनीतिक प्रतिधिनित्व मिली. उनकी आवाज को सुना जाए और उनकी आकांक्षाओं को समझा जाए.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013 में भी फातिमा तहीलिया ने मुस्लिम समाज की लड़कियों के हक में आवाज उठाई थी. उस समय मुस्लिम समाज की लड़कियों की कम उम्र में शादी पर बहस चल रही थी. फातिमा ने इस कुप्रथा के खिलाफ जोर-शोर से आवाज उठाई थी. उनका कहना था कि मुस्लिम समाज के धर्मगुरु अपने एजेंडे के लिए लड़कियों की आवाज दबा देते हैं. मुस्लिम समाज की लड़कियां पढ़ना चाहती हैं. बेहतर है कि उनकी आवाज को सुना जाए.
(ये खबर सोम शेखर के इनपुट के साथ लिखी गई है)

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