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कोरोना के साथ-साथ बढ़ रही घरेलू हिंसा की महामारी को हम क्यों नहीं देख पा रहे?

जो कहानी कोरोना काल के आंकड़े कहते हैं, वो डराने वाली है.

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NCRB के डेटा के मुताबिक़ महिलाओं के खिलाफ दर्ज कुल 4.05 लाख अपराधों में से 1.26 लाख घरेलू हिंसा के थे. (तस्वीर: एएफपी)
NCRB के डेटा के मुताबिक़ महिलाओं के खिलाफ दर्ज कुल 4.05 लाख अपराधों में से 1.26 लाख घरेलू हिंसा के थे. (तस्वीर: एएफपी)
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तनुश्री
25 जून 2021 (Updated: 25 जून 2021, 08:25 IST)
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हम इस वक़्त दो महामारियों से जूझ रहे हैं. कोरोना वायरस महामारी जो कि जिंदगियां तबाह कर रही हैं और दूसरी आर्थिक महामारी जिससे लाखों भारतीयों के रोजगार को खतरा है. लेकिन एक तीसरी महामारी पर बहुत कम ध्यान दिया गया है जो अब भी कहीं दुबकी सी नज़र आती है. और वो है महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा (Domestic Violence). और यह हाल तब है जब राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक पिछले पांच महीनों में प्राप्त घरेलू हिंसा की शिकायतें 21 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं.
डेटा जानने से पहले पिछले एक साल में हुए कुछ घरेलू हिंसा की घटनाओं के बारे में जान लीजिए.
24 साल की विस्मया ने पति के हिंसा से तंग आकर खुदकुशी की
जून 22 को केरल के कोल्लम में एक आयुर्वेद स्टूडेंट, 24 साल की विस्मया अपने पति के घर में पंखे से लटकी पाई गई. विस्मया के परिवारवालों का कहना है कि उसका पति उसे दहेज के लिए परेशान करता था. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ विस्मया के पिता ने अपनी क्षमता के मुताबिक दहेज भी दिया था. दहेज में एक एकड़ जमीन, 10 लाख की गाड़ी और सोने के बॉन्ड थे. लेकिन उसका पति इतने से खुश नहीं था. इसी बात को लेकर वह अपनी पत्नी को ताने सुनाता और मारपीट करता था. विस्मया के पिता बताते हैं कि एक बार तो पति एस किरण कुमार ने उनकी आंखों के सामने बेटी को पीटा था. लेकिन तब समझाने के बाद वो मान गया था. वे कहते हैं कि अगर उन्हें पता होता कि उनकी बेटी इतना बड़ा कदम उठाएगी तो वो उसे वापस कभी किरण के पास नहीं भेजते.
पति ने पत्नी की पत्थर से पीटकर की हत्या
मार्च 2020 में 42 साल के बसवराज ने अपनी बेटी के सामने अपनी पत्नी को एक पत्थर से पीट पीट कर मार डाला. कर्नाटक के डोड्डेरी में उसने ये काम एक मंदिर परिसर में किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, परिवार अपने रिश्ते को सुधारने के लिए मंदिर के पुजारी से मिलने गया था. दुर्भाग्य से लॉकडाउन हो गया और परिवार लॉकडाउन के कारण मंदिर में फंस गया. इसी बीच उनके झगड़े बढ़ गए. और एक दिन पति ने अपनी पत्नी पर मंदिर के अंदर ही हमला बोल दिया. पिता को मां पर हमला करते देख पीड़िता की बेटी ने शोर मचा दिया. जब तक पास में रहने वाले पुजारी का परिवार बचाव के लिए आता, तब तक सविथ्रम्मा की मौत हो चुकी थी.
एक्टर्स की असलियत भी सामने आई 
लोकप्रिय अभिनेता दिवंगत राजन पी देव के बेटे उन्नी देव द्वारा किया गया शारीरिक और मानसिक शोषण उनकी पत्नी के सुसाइड का कारण बना.
मई 2021 उन्नी देव को पत्नी प्रियंका की मौत के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया. तिरुवनंतपुरम के नज़दीक वेम्बयाम में अपने घर में प्रियंका 12 मई को फांसी पर लटकी पाई गई थीं. एक दिन पहले ही प्रियंका (26) ने पुलिस में अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी. पूछताछ के बाद उन्नी ने माना कि वह अपनी पत्नी पर न सिर्फ शारीरिक हिंसा करता था बल्कि मानसिक दबाव भी डालता था जो शायद उसकी पत्नी के सुसाइड का कारण बना.
एक्टर उन्नी देव. (तस्वीर: पीटीआई)
एक्टर उन्नी देव. (तस्वीर: पीटीआई)


'ये रिश्ता क्या कहलाता है' शो में नैतिक के किरदार से फेमस करण मेहरा पर उनकी पत्नी ने घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज कराया. मई के महीने में करण मेहरा को घरेलू हिंसा के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था. करण की पत्नी निशा टीवी का एक फेमस चेहरा हैं. उन्होंने करण पर घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था. यहां तक की उन्होंने मीडिया के सामने आकर अपने शारीरिक जख्मों को भी दिखाया था.
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) का डाटा क्या कहता है?
राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा प्राप्त घरेलू हिंसा की शिकायतों की संख्या 2019 में 2,960 से बढ़कर 2020 में 5,297 हो गई है. लॉकडाउन के कारण अधिकांश लोग अपने घरों तक ही सीमित थे. लेकिन यह सिलसिला इस साल भी जारी है.
घरेलू हिंसा की शिकायत 2019 Vs 2020
अगर हम 2021 की बात करें तो जनवरी और मई के बीच राष्ट्रीय महिला आयोग में, 5 महीनों के अंदर 2,300 से अधिक घरेलू हिंसा की शिकायतें दर्ज की गईं, जो 2000 के बाद से किसी भी वर्ष के लिए सबसे अधिक हैं. अधिकांश शिकायतें उत्तर प्रदेश से मिलीं जबकि सबसे अधिक शिकायत दर दिल्ली में दर्ज की गई.
इन आंकड़ों को लेकर NCW प्रमुख रेखा शर्मा बताती हैं,
मुझे लगता है कि घरेलू हिंसा के बढ़ते मामले सोसायटी का फेलियर दर्शाते हैं. आज भी मां-बाप अपनी बेटियों को चुप रहने को कहते हैं. आज भी औरतों की शिकायतों को तवज्जो न देकर उन्हें 'कॉम्प्रोमाइज' करने को कहा जाता है. मेरे खयाल से कानून अपनी जगह है पर उन्हीं कानूनों को और सख्त करने की जरूरत है. एक महिला की शिकायत को महत्व देने की जरूरत है. और सबसे ज्यादा पुलिस को अपना रवैया बदलने की जरूरत है. और इस तरीके के क्राइम करने वाले लोगों को सख्ती से सजा देने की जरूरत है.
रेखा आगे बताती हैं,
लॉकडाउन के पहले 2 महीनों में ही हमने हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी देखी. हमें कॉल्स पर ज्यादा शिकायतें आईं. जब हमने जगह-जगह के DCP से बात की तो उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद उन्हें कम शिकायतें मिल रही हैं. तो हम समझ गए कि घर पर कैद होने के कारण मामले रिपोर्ट नहीं हो पा रहे हैं. हम सरकार का हिस्सा हैं और हमने हर मुमकिन कोशिश की है कि हम पीड़ित औरतों तक पहुंच सकें. पर मुझे लगता है कि घरेलू हिंसा को तब ही जड़ से उखाड़ा जा सकता है जब सोसायटी का एक महिला को देखने का रवैया बदले. ये सोच कि एक आदमी औरत पर हाथ उठा सकता है, हमें खत्म करना है.
NCRB का डेटा क्या कहता है?
2019 के दौरान राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा महिलाओं के खिलाफ दर्ज कुल 4.05 लाख अपराधों में से 1.26 लाख (30 फीसद से अधिक) घरेलू हिंसा के थे. इनमें से सबसे अधिक रिपोर्ट किए गए मामले राजस्थान (18,432) के थे, इसके बाद उत्तर प्रदेश (18,304) थे.
NCRB के सूत्रों ने दी लल्लनटॉप को बताया कि जब 2020-21 का डेटा कलेक्ट किया जाएगा, तो घरेलू हिंसा के मामलो में बड़ा उछाल मिलेगा.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का डेटा क्या कहता है?
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ऐसी घटनाओं का भी अध्ययन करते हैं जो रिपोर्ट नहीं की गई हैं. और उनके मुताबिक 70 फीसद से अधिक मामले रिपोर्ट तक नहीं किए जाते हैं.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक कर्नाटक में 44% शादीशुदा महिलाओं ने हिंसा का अनुभव किया है. इसके बाद बिहार (40%), मणिपुर (39.6), तेलंगाना (36.9), असम (32%) और आंध्र प्रदेश (30%) का स्थान है.


लक्षद्वीप (1.3%), नागालैंड (6.4%), गोवा (8.3%) और हिमाचल प्रदेश (8.3%) में सर्वेक्षण किए गए सभी राज्यों में सबसे कम हिंसा है.
इन अनुमानों की तुलना अगर हम NCRB के डेटा से करते हैं तो, हम देखते हैं कि 70% राज्यों में घरेलू हिंसा की घटनाओं की व्यवस्थित रूप से कम रिपोर्टिंग होती है. लक्षद्वीप और नागालैंड में डोमेस्टिक हिंसा के एक भी मामले नहीं दर्ज कराए गए थे. जबकि आंकड़े अलग कहानी कहते हैं. सबसे ज्यादा अंडर-रिपोर्टिंग बिहार, कर्नाटक और मणिपुर में हो रही है, जहां घरेलू हिंसा की व्यापकता लगभग 40% या उससे अधिक है. जबकि रिपोर्टिंग 8% से कम है.


क्यों महिलाए आज भी घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज नहीं उठाती हैं?
क्या मानसिकता है जो पुरुष इस तरह की हिंसा करते हैं? यह समझने के लिए हमने दिल्ली के NGO चेतना के डायरेक्टर से बात की. ये NGO घरेलू हिंसा से परेशान महिलाओं को लेकर काम करता है. संजय ने बताया,
"यह तो साबित हो चुका है कि घरेलू हिंसा लगातार बढ़ रही है. लॉकडाउन में यह मामले और बढ़े. इसके बहुत से कारण हैं. जैसे तनाव, पैसे न होना, नौकरी का जाना. पर घरेलू हिंसा के पीछे अगर कोई सबसे बड़ा कारण है तो वो है सोसायटी का औरतों की ओर रवैया. आज भी औरतों को बराबरी नहीं दी जाती है. हम सभी को मिलकर इस पैट्रिआर्की से लड़ना है और इसे खत्म करना है. एक पुरुष और औरत समाज में बराबर के हिस्सेदार होने चाहिए. बराबरी मिलते ही घरेलू हिंसा खुद ही खत्म हो जाएगी."

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