The Lallantop
Advertisement

बिलकिस बानो: प्रेग्नेंसी में 11 लोगों ने रेप किया, बेटी को मार डाला, सरकार ने दोषियों को छोड़ दिया

बेहोश हुईं तो दंगाइयों ने मरा समझकर छोड़ दिया था.

Advertisement
Bilkis Bano gang rape case
"मेरी लड़ाई कभी बदले के लिए नहीं थी, बल्कि न्याय के लिए थी"
16 अगस्त 2022 (Updated: 16 अगस्त 2022, 17:21 IST)
Updated: 16 अगस्त 2022 17:21 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

19 साल की एक लड़की गैंगरेप हुआ. उसकी गोद में तीन साल की बच्ची थी और वो पेट से थी. उसकी बच्ची को उसकी आंखों से सामने पटक-पटककर मार डाला गया और 11 लोगों ने एक-एक करके उसका रेप किया. बेहोश हुई तो मरा समझकर छोड़ दिया. उठी तो उसके चारों तरफ उसके परिवारवालों की लाशें थीं. घटना के 20 साल बाद सभी दोषी जेल से रिहा कर दिए गए हैं, रिहाई का आधार अपराध की प्रकृति, दोषियों की उम्र और जेल में व्यवहार को बनाया गया है. 

यहां बात गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो गैंगरेप केस (Bilkis Bano gangrape case) की हो रही है. गैंगरेप का ये मामला क्या था? क्यों हर कुछ साल में ये मामला खबरों में आता है? 

क्या है Bilkis Bano Gangrape का पूरा मामला?

साल 2002 की बात है. फरवरी का महीना. 27 तारीख थी. गोधरा स्टेशन पर खड़ी साबरमती एक्सप्रेस को आग के हवाले कर दिया गया. ट्रेन में सवार 59 कारसेवक झुलस कर मर गए. ये आग यहां रुकी नहीं. पूरा गुजरात जलने लगा. गोधरा की घटना के ठीक 4 दिन बाद 3 मार्च, 2002 को दाहोद जिले से एक परिवार सुरक्षित जगह की तलाश में एक ट्रक में सवार होकर निकला. जैसे ही ट्रक राधिकापुर पहुंचा, उसे घेर लिया गया. देखते ही देखते उसमें सवार 14 लोगों को मार डाला गया. इसी ट्रक में सवार थीं 19 साल की बिलकिस बानों. पांच महीने की गर्भवती. गोद में तीन साल की बेटी. गोधरा का बदला और धर्मरक्षा के नाम पर जुटी भीड़ ने बिलकिस के सामने ही उनकी तीन साल की बेटी को पटक-पटककर मार डाला.

इसके बाद बिलकिस बानो का गैंगरेप किया गया. एक के बाद एक 11 लोगों ने गैंगरेप किया. वो बेहोश हो गईं, उन्हें मरा समझकर दंगाइयों ने उन्हें छोड़ दिया और फरार हो गए. जब बिलकिस को होश आया तो वो लाशों के बीच पड़ी थीं. उन्होंने बताया था,

“मैं एकदम नंगी थी. मेरे चारों तरफ मेरे परिवार के लोगों की लाशें बिखरी पड़ी थीं. पहले तो मैं डर गई. मैंने चारों तरफ देखा. मैं कोई कपड़ा खोज रही थी ताकि कुछ पहन सकूं. आखिर में मुझे अपना पेटीकोट मिल गया. मैंने उसी से अपना बदन ढका और पास के पहाड़ों में जाकर छुप गई.”

दो साल में 20 घर बदलने पड़े

बिलकिस को अक्षर का ज्ञान नहीं था. लेकिन वो हिम्मती थीं. घटना के बाद अपनी शिकायत लेकर वो स्थानीय पुलिस स्टेशन गईं. पहले केस दर्ज करने में आनाकानी हुई. केस दर्ज हुआ भी तो पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने बोल दिया कि बिलकिस के बयान असंगत हैं. मजिस्ट्रेट ने केस बंद कर दिया. एक साल बाद 25 मार्च, 2003 को बिलकिस ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) में अपील दायर की. सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली. दिसंबर, 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए.

शिकायत दायर करने के बाद से उन्हें 2 साल में 20 घर बदलने पड़े. एक रेप पीड़िता अब अपराधियों सा जीवन बिताने पर मजबूर थीं. उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं.  2004 में बिलकिस एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचीं. कहा कि उन्हें गुजरात की अदालतों में न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं है. गुजरात पुलिस के अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं.  सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस की मांग को जायज़ माना और अगस्त, 2004 में मामले को मुंबई की अदालत में शिफ्ट कर दिया. चार साल बाद यानी 2008 में निचली अदालत ने फैसला सुनाया. 18 आरोपियों में से 11 को हत्या और बलात्कार के जुर्म में दोषी पाया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई. छह आरोपी पुलिस वालों में से एक को सबूतों के साथ छेड़छाड़ का दोषी माना गया. आज़ादी के बाद ये पहली बार था जब दंगे से जुड़े बलात्कार के मामले में दोषियों को सज़ा सुनाई गई.

सीबीआई इस फैसले से संतुष्ट नहीं थी और इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. एजेंसी ने तीन आरोपियों राधेश्याम नाई, जसवंत नाई और शैलेश भट्ट के लिए फांसी की मांग की. 20 हजार रुपए के जुर्माने पर छोड़ दिए गए पुलिसकर्मियों और मेडिकल स्टाफ के खिलाफ भी अपील दायर की गई. चार मई 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बिलकिस बानो केस में फैसला सुनाया था. कोर्ट ने 11 दोषियों की अपील खारिज करते हुए निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा है. 

 

सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा देने को कहा!

घटना के 17 साल बाद 23 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश दिया कि बिलकिस बानो को मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपये दिए जाएं. साथ ही कोर्ट ने गुजरात सरकार को ये भी आदेश दिया कि बिल्किस बानो को सरकारी नौकरी और नियमों के मुताबिक घर मुहैया कराया जाए. बिल्किस ने फ़ैसले के दिन कोर्ट से कहा था,

“मेरी लड़ाई कभी बदले के लिए नहीं थी, बल्कि न्याय के लिए थी”

गैंगरेप के दोषियों के जेल से रिहा होने के बाद बिलकिस के पति याकूब रसूल पटेल ने कहा कि 11 दोषियों की रिहाई के बाद डर और बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि उनके पास कोई सुरक्षा नहीं है. 

वीडियो: अमित शाह ने गोधरा कांड और गुजरात दंगों पर मोदी को लेकर किए खुलासे!

thumbnail

Advertisement

Advertisement