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वो लोग कौन हैं जो बिलकिस बानो के दोषियों का स्वागत करने पहुंचे थे?

दोषियों को रिहा करने वाली कमिटी में कौन-कौन था?

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Bilkis Bano case convicts
दोषी राधेश्याम को माला पहनाते हुए VHP पदाधिकारी अरविंद सिसोदिया (फोटो - आजतक)
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17 अगस्त 2022 (Updated: 17 अगस्त 2022, 23:22 IST)
Updated: 17 अगस्त 2022 23:22 IST
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बिलकिस बानो गैंगरेप केस (Bilkis Bano gangrape case) पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. 2002 के गुजरात दंगों के समय गैंगरेप का शिकार हुईं बिलकिस बानो के ग्यारहों दोषी जेल से रिहा कर दिए गए हैं. गुजरात सरकार के इस फैसले पर विपक्ष हमलावर है कि जिस दिन PM मोदी (PM Narendra Modi) लाल क़िले की प्राचीर से औरतों के सम्मान करने की बातें कर रहे थे, उसी दिन बिलकिस बानो के बलात्कारी जेल से रिहा कर दिए गए. उन्हीं के गृह राज्य में.

2002 में बिलक़िस बानो के सामने ही दंगाइयों ने उनकी तीन साल की बेटी को पटक-पटककर मार दिया था. इसके बाद उनका गैंगरेप किया गया था. 11 लोगों ने. एक के बाद एक. बेहोश हो गईं तो दंगाइयों ने मरा समझकर वहीं छोड़ दिया और फ़रार हो गए. घटना के छह साल बाद 21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष CBI अदालत ने इस मामले में 11 आरोपियों को दोषी पाया और उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई. 2017 में हाईकोर्ट ने दोषियों की सज़ा को बरकरार रखा और अब इन्हीं लोगों को 1992 की माफ़ी नीति के तहत रिहा कर दिया गया है.

सभी 11 दोषियों की रिहाई की कुछ तस्वीरें आई हैं. कुछ लोग इनके पैर छू रहे, कुछ इन्हें मिठाई खिला रहे हैं.

कौन हैं ये लोग?

बलात्कारियों का स्वागत कौन करेगा? सनद रहे, जो 11 लोग छोड़े गए, वो आरोपी नहीं, दोषी हैं. वो दंगों के दौरान बलात्कार और हत्या के लिए आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे थे. फिर उनके स्वागत में कौन आया था? हमने बात की आज तक से जुड़ी गोपी घांघर से. उनके मुताबिक़, वीडियो में दिख रहे लोग दोषियों के परिजन थे. बच्चे, पत्नी, परिवार वाले.

लेकिन जो वीडियो में नहीं दिखा, वो भी आपको बता देते हैं. गोपी घांघर की रिपोर्ट के मुताबिक़, जेल से निकलने के बाद कुछ आरोपी गोधरा के VHP दफ़्तर पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. उन्हें हार पहनाया गया. गोधरा वीएचपी के अरविंद सिसोदिया ने दोषी राधेश्याम समेत और लोगों को भी मालाएं पहनाईं. अरविंद सिसोदिया VHP के लोकल पदाधिकारी हैं.

दोषियों को किसने छुड़वाया?

नियम ये है कि उम्रक़ैद की सज़ा पाए क़ैदी को कम से कम चौदह साल तो जेल में बिताने ही पड़ते हैं. चौदह साल के बाद उसकी फ़ाइल को दोबारा खोला जाता है. रिव्यू के लिए. उम्र, क्या अपराध था और क़ैद के दौरान व्यवहार कैसा रहा जैसे मानकों के आधार पर उनकी सज़ा घटाई जा सकती है. अगर सरकार को ऐसा लगता है कि क़ैदी ने अपने अपराध के मुताबिक़ सज़ा काट ली है, तो उसे रिहा भी किया जा सकता है. हालांकि, हर क़ैदी छूट ही जाए, ये ज़रूरी नहीं. कई बार अपराधी की सज़ा को उम्र भर के लिए बरक़रार रखा जाता है.

बिलक़िस बानो मामले में एक दोषी ने 15 साल से ज़्यादा की क़ैद काटने के बाद सज़ा माफ़ी के लिए गुजरात हाईकोर्ट में अर्जी डाली. हाई कोर्ट ने अर्जी ख़ारिज कर दी, ये कहते हुए कि उनकी माफ़ी के बारे में फ़ैसला करने वाली 'उपयुक्त सरकार' महाराष्ट्र है, न कि गुजरात. तब दोषियों की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को माफ़ी के मामले पर विचार करने को कहा. इसके बाद  एक कमिटी बनाई गई थी, जिसने इनकी रिहाई को मंज़ूरी दे दी. 

गोधरा दंगों में बिलकिस बानो का गैंगरेप करने वाले 11 दोषी बाहर कैसे आए?

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