The Lallantop
Advertisement

महिलाओं को 'उत्तेजना बढ़ाने की दवा' बताने वाला आयुर्वेद का पेपर वायरल

एग्जाम में छात्रों से कहा गया कि वे ‘वाजीकरण' यानी 'कामोत्तेजक द्रव्य के रूप में स्त्री’ पर एक लघु निबंध लिखें.

Advertisement
Viral Paper (Photo: Twitter)
वायरल पेपर (फोटो- ट्विटर)
pic
साजिद खान
20 जून 2022 (Updated: 20 जून 2022, 11:25 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

इंटरनेट पर एक एग्जाम पेपर का स्क्रीनशॉट वायरल है. इसमें परीक्षार्थियों से एक सब्जेक्ट पर छोटा सा निबंध लिखने को कहा गया है. सब्जेक्ट है ‘कायाचिकित्सा’. खबरों के मुताबिक पेपर राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंस कॉलेज के बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी कोर्स से जुड़ा है. इस एग्जाम में छात्रों से कहा गया कि वे ‘वाजीकरण' यानी 'कामोत्तेजक द्रव्य के रूप में स्त्री’ पर एक लघु निबंध लिखें. 

आसान भाषा में कहें तो महिलाओं को 'उत्तेजना बढ़ाने की दवा' कह दिया गया. इसी पर विवाद हो गया है. TheLiverDoc नाम के ट्विटर यूजर ने एग्जाम पेपर का हिस्सा ट्वीट करते हुए लिखा,

हर किसी को इस सवाल पर गौर करना चाहिए. आयुर्वेद डिग्री कोर्स के अंतिम वर्ष के पेपर में "एक कामोत्तेजक वस्तु के रूप में महिला" पर निबंध लिखने को कहा गया है.

ट्विटर यूजर ने उस सवाल के जवाब वाली किताब का फोटो शेयर करते हुए आगे लिखा,

ये पाठ्यपुस्तक देखिए जिसे आयुर्वेद के छात्र पढ़ते हैं. इस प्रश्न का उत्तर इसमें दिया गया है, न ये किसी तरह से प्रगतिशील है और न ही इसमें वैज्ञानिक तथ्य हैं. ये तो हमारे समाज और मानवता के लिए भी उपयोगी नहीं है. अध्याय सिखाता है कि महिलाओं को कामोत्तेजक 'वस्तुओं' और 'बच्चे बनाने की फैक्ट्रियों' में कैसे तब्दील किया जाए. इस किताब को सेंट्रल काउंसिल ऑफ मेडिसिन से मंजूरी प्राप्त है. इस किताब में कहा गया है कि महिला सभी कामोत्तेजक दवाइयों में सर्वश्रेष्ठ है.

ये थ्रेड ट्विटर में काफी वायरल हो रहा है. और इसको लेकर अलग-अलग तरह के रिएक्शन भी आ रहे हैं. किरन नाम की ट्विटर यूजर ने लिखा.

आयुर्वेद पारंपरिक रूप से एक सेक्सिस्ट चिकित्सा है!

वहीं एक पैरोडी अकाउंट से लिखा गया, 

एक और कम IQ के साथ “ट्विटर वाला डॉक्टर” जो खुद को कुछ रीट्वीटस के लिए डम्ब साबित कर रहा है. उस उत्तर के ठीक नीचे स्पष्ट रूप से लिखा है "मैन विदाउट प्रोजेनी", लेकिन इसे केवल महिला ऑब्जेक्टिफिकेशन दिख रहा है, जो कि है भी नहीं. एलोपैथी के डॉक्टर सबसे डम्ब होते हैं.

उमा नाम की ट्विटर यूजर ने लिखा,

क्या ये मेडिसन की पढ़ाई है? या ये रेप कल्चर है?

वहीं MerryPsychic नाम की ट्विटर यूजर ने लिखा,

इस थ्रेड के कमेंट्स देखें. लोग उल्टा ऐसी शिक्षाओं का समर्थन कर रहे हैं.

ये तो रही ट्विटर रिएक्शन्स की बात, लेकिन इस पर यूनिवर्सिटी का क्या कहना है?

यूनिवर्सिटी ने दी ये सफाई

दैनिक भास्कर की ख़बर के मुताबिक राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज के रजिस्ट्रार डॉ. रामकृष्ण रेड्‌डी ने इस मामले में सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि क्वेश्चन पेपर सिलेबस के आधार पर बनाए गए थे. किसी भी पाठ्यपुस्तक से कोई भी तथ्य जोड़ने या हटाने के लिए यूनिवर्सिटी के पास कोई अधिकार नहीं है. रामकृष्ण रेड्डी ने कहा कि इसकी जिम्मेदारी सेंट्रल काउंसिल फॉर इंडियन मेडिसिन की है.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement