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अपने बॉस या टीचर के सामने जाने पर घबराहट क्यों होने लगती है?

लोगों को अथॉरिटी एंग्जायटी तब महसूस होती है, जब उनका सामना किसी सीनियर से या समाज में ज़्यादा ताकतवर इंसान से होता है.

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फोकस न कर पाना, अटेंशन देने में समस्या होना और अपनी बात ठीक से नहीं रख पाना ये अथॉरिटी एंग्जायटी के कुछ लक्षण होते हैं. (सांकेतिक फोटो)
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सरवत
2 जनवरी 2024 (Published: 04:08 PM IST) कॉमेंट्स
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एक बात बताइए. बॉस के साथ आपकी मीटिंग होने वाली है. उस मीटिंग को लेकर आप बहुत नर्वस हैं. इतना कि रातभर सो नहीं पाए. मीटिंग से पहले आप बहुत घबराए हुए हैं. धड़कने बढ़ी हुई हैं. दिल धक-धक कर रहा है. मीटिंग के दौरान आप इतना नर्वस हैं कि ठीक तरह से बोल भी नहीं पा रहे. पर तैयारी आपकी पक्की थी. उसके बावजूद आप ठीक तरह से बोल नहीं पा रहे. जो बातें बोलना चाहते थे, वो भूल गए. मीटिंग के बाद आप उसके बारे में ही सोचे जा रहे हैं.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. जब भी आप अपने बॉस या किसी ऐसे सीनियर के सामने जाते हैं जो आपसे ज़्यादा पॉवरफुल है, आपका यही हाल होता है. ज़रूरी नहीं कि ऐसा हमेशा बॉस के साथ ही हो. वो कोई भी शख्स हो सकता है जो एक अथॉरिटी रखता हो. जैसे टीचर, प्रिंसिपल, कोई कलीग, कोई अफ़सर, कोई भी. पता है ऐसा क्यों होता है. वजह है अथॉरिटी एंग्जायटी. ये क्या है, क्यों होती है, इसके लक्षण और इलाज क्या है चलिए इन सबके बारे में जानते हैं डॉक्टर से.  

अथॉरिटी एंग्जायटी क्या होती है?

ये हमें बताया डॉक्टर स्नेहा शर्मा ने.

(डॉ. स्नेहा शर्मा, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, आकाश हेल्थकेयर )

जैसा कि नाम से पता चल रहा है अथॉरिटी एंग्जायटी वो एंग्जायटी है जो आपको अथॉरिटी वाले लोगों के सामने महसूस होती है. लोगों को अथॉरिटी एंग्जायटी तब महसूस होती है, जब उनका सामना अपने से सीनियर लेवल के इंसान से होता है, जो कि पद में उनसे ऊंचा है या समाज में ज़्यादा ताकतवर है. अथॉरिटी एंग्जायटी सोशल एंग्जायटी का ही एक रूप है. इसके लक्षण एंग्जायटी के लक्षणों जैसे ही होते हैं. ये लक्षण मानसिक और शारीरिक दोनों ही रूप में सामने आते हैं.

लक्षण

मानसिक तौर पर जो लक्षण महसूस होते हैं उनमें सबसे आम है साफ़ तौर पर सोच न पाना.

- फोकस न कर पाना, अटेंशन देने में समस्या होती है

- अपनी बात नहीं रख पाते

- बेचैनी और चिंता महसूस होती है

- दिल की धड़कन बढ़ जाती है

- गला सूखने लगता है

- साफ़ न बोल पाना

- पसीना आना

- मुंह लाल हो जाना

- पेट में गुड़गुड़ होना

- हाथ-पैर हिलाते रहना

- कंपन होना

- बार-बार यूरिन जाना

ऐसे लक्षण सीनियर से मीटिंग होने से पहले महसूस होने लगते हैं. इन लक्षणों की शुरुआत यंग एज में हो जाती है, यानी टीनएज से इंसान जब एडल्ट बन रहा होता है. कुछ मामलों में ये लक्षण उम्रभर रह सकते हैं. अगर कोई इंसान इन लक्षणों को बहुत ज़्यादा महसूस कर रहा है तो वो हर उस सिचुएशन से बचने की कोशिश करता है जहां उसका सामना सीनियर से हो सकता है. इसका असर उसकी पढ़ाई पर और करियर पर पड़ता है. आपसी रिश्तों पर भी असर पड़ता है. कॉन्फिडेंस में गिरावट आती है. दूसरों से ख़ुद की तुलना करने पर इंसान को एहसास होता है कि वो कुछ ख़ास सिचुएशन नहीं हैंडल कर पा रहा.

कारण

इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे जेनेटिक. अगर आप जेनेटिक तौर पर एंग्जायटी डिसऑर्डर के शिकार हैं तो ऐसा होने की संभानवा ज़्यादा है. अगर बचपन में या बड़े होते हुए आपने रिजेक्शन का बहुत सामना किया है तो भी ऐसा होता है. या इस दौरान ज़िंदगी में मौजूद सीनियर फिगर से आपको सपोर्ट नहीं मिला हो तब भी ऐसा होता है. बचपन में ये सीनियर फिगर टीचर और मां-बाप होते हैं. बड़े होते हुए अगर आपके आसपास लोगों ने आपको शर्मिंदा महसूस करवाया है या कॉन्फिडेंस नहीं दिया तो आप अथॉरिटी एंग्जायटी के शिकार हो सकते हैं. क्योंकि आपको हर वक़्त ये महसूस होता है कि आपको जज किया जा रहा है या परखा जा रहा है. इसलिए कुछ भी बोलते हुए लगता है कि 'क्या मैं सही बोल रहा हूं', 'कपड़े सही पहने हैं या नहीं', 'पसीना दिख तो नहीं रहा', 'कहीं पता तो नहीं चल रहा कि मैं परेशान हूं' या 'ऐसा तो नहीं लग रहा कि मैं बुद्धू हूं, मुझे कुछ नहीं आता'.

अगर ये सोच लगातार दिमाग में चल रही होती है तो इंसान उन चीज़ों पर फोकस नहीं कर पाता जो ज़रूरी हैं. इस वजह से जीवन में बहुत मुश्किलें आती हैं. ये जानना ज़रूरी है कि ये सोशल एंग्जायटी का ही हिस्सा है. इसे ठीक किया जा सकता है.

इलाज

कुछ सिचुएशन में जो माइल्ड टू मॉडरेट केसेस हैं , उनमें सोशल स्किल्स सीखने से आसानी होती है. साथ ही कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी से भी फ़ायदा मिलता है. कुछ गंभीर मामलों में दवाइयां भी मदद करती हैं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: बॉस या टीचर के सामने नर्वस क्यों होते हैं? एक्सपर्ट से समझिए

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