हिंदू भावनाएं आहत करने का आरोप झेल रहीं अपर्णा पुरोहित कौन हैं?
उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.
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बाएं से दाएं. अमेजन प्राइम की वेब सीरीज तांडव का विरोध करते लोग और अपर्णा पुरोहित.
याचिका खारिज करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा कि अपर्णा ने गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया और बहुसंख्यक समाज की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है. जज ने कहा कि अपर्णा ने लोगों के मूलभूत अधिकार पर हमला किया, ऐसे में कोर्ट उनकी स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार की रक्षा नहीं कर सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई काल्पनिक वेब सीरीज बनाते हुए भी यह प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वो दूसरे धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे. सिर्फ बिना किसी शर्त के माफी मांग लेने से आरोपी को राहत नहीं दी जा सकती. कौन हैं Aparna Purohit? अपर्णा पुरोहित प्रोडक्शन और फिल्म निर्माण की दुनिया से बहुत पहले से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने बॉलीवुड के जाने-माने निर्देशकों और फिल्म मेकर्स के साथ काम किया है. खुद भी कई अच्छी कहानियां लिखी हैं. ऐसे में उनके जीवन पर एक नजर डालना दिलचस्प होगा.
अपर्णा पुरोहित मुंबई से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्री राम कॉलेज से जर्नलिज्म में ग्रेजुएशन की. फिर जामिया मिल्लिया इस्लामिया से आगे की पढ़ाई की. यहां पर उन्होंने जर्नलिज्म में ही मास्टर्स की डिग्री हासिल की. हफ पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में अपर्णा बताती हैं कि जामिया में उनकी बेस्ट फ्रेंड अलंकृता श्रीवास्तव थीं. अलंकृता 'लिपिस्टिक अंडर माय बुर्खा' फिल्म की डायरेक्टर हैं. अपर्णा ने कहा था,
"हम दोनों अक्सर बाहर घूमने जाया करते थे और आम लोगों की दिनचर्या देखते थे. हम हमेशा लोगों से उनकी कहानियां सुनते थे. अलंकृता उन्हें कैमरे में कैद करती थी. यहीं से हमें फिल्ममेकिंग का चस्का चढ़ा."जामिया से पढ़ाई करने के बाद अपर्णा मुंबई चली गईं. शुरुआत में उन्होंने कुछ छोटी-मोटी फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर का काम किया. फिर सोनी टीवी के साथ अपने करियर को आगे बढ़ाया. यहां उनका मन नहीं लगा तो यूटीवी चली गईं. अपर्णा बताती हैं कि यूटीवी के साथ मिलकर उन्होंने कुछ यादगार फिल्में बनाईं. यूटीवी के बाद उन्होंने रिलायंस बिग पिक्चर्स का दामन थामा.
उनके करियर को पंख यहीं लगे. बिग पिक्चर्स में उन्हें पहले श्याम बेनेगल के साथ 'वेल डन अब्बा' बनाने का मौका मिला. फिर इसके बाद ऋतुपर्णो घोष के साथ उन्होंने काम किया.

Shyam Benegal को भारतीय सिनेमा के परिपक्ष्य में लीजेंडरी डायरेक्टर के तौर पर देखा जाता है. अपर्णा को उनके साथ काम करने का मौका मिला.
इन दिनों को याद करते हुए एक इंटरव्यू में अपर्णा ने कहा था,
"यह वह समय था जब मैं दो बेहतरीन निर्देशकों के साथ काम कर रही थी. मैं उनसे सीख रही थी और साथ-साथ ही साथ अपनी रचनात्मक आवाज को खोज रही थी. श्याम बेनेगल और ऋतुपर्णो घोष से सीखना एक बहुत बड़ा गिफ्ट था."यूटीवी छोड़ने के बाद अपर्णा ने NFDC की स्क्रीनराइटर लैब के साथ काम किया. बाद में इस लैब ने 'द लंचबॉक्स', 'तितली' और 'लिपिस्टिक अंडर माय बुर्खा' जैसी फिल्मों को जन्म दिया. यहां काम करते हुए अपर्णा को जर्मन डायरेक्टर फतीह एकिन ने मेंटर किया. Amazon Prime में एंट्री स्क्रीनराइटर लैब के बाद अपर्णा सन डांस इंडिया लैब पहुंचीं. यहां पर भी उन्होंने बेहतरीन काम किया. 'मार्गरीटा विद अ स्ट्रॉ', 'मसान' और 'उमरिका' जैसी फिल्मों के निर्माण में अपना योगदान दिया. उनके काम को देखते हुए साल 2015 में ऐमजॉन से फोन आया. इसके बाद अपर्णा ऐमजॉन के OTT प्लैटफॉर्म प्राइम से जुड़ गईं.
इस बीच उनकी मुलाकात जोया अख्तर से हुई. जोया ने उन्हें एक क्लिप दिखाई. इस क्लिप के बाद अपर्णा को वेब सीरीज मेड इन हेवन बनाने का आइडिया आया. यह सीरीज बहुत हिट हुई.

Made In Heaven का पोस्टर.
बेसिकली ऐमजॉन ने उन्हें भारतीय फिल्ममेकर्स के साथ मिलकर ओरिजनल इंडियन शो बनाने की जिम्मेदारी दी थी. अपर्णा इस सिलसिले में कबीर खान से लेकर सुदीप शर्मा, कृष्णा डीके, राज और विक्रम मल्होत्रा जैसे निर्देशकों से मिलीं.
अपर्णा बताती हैं कि शुरुआत में निर्देशकों को वेब सीरीज बनाने के लिए मनाना आसान नहीं था. लेकिन मुलाकात-दर-मुलाकात चीजें सुलझती गईं. इसके बाद तो ऐमज़ॉन प्राइम पर एक से बढ़कर एक भारतीय वेब सीरीज आईं. मिर्जापुर, फैमिली मैन, ब्रीद इंटू द शैडोज़, गिव मी फोर मोर शॉट्स प्लीज, पाताल लोक, बंदिश बैंडिट्स इत्यादि. देशद्रोह और हिंदू विरोध प्रोग्राम के आरोप इन वेब सीरीज को सराहा भी गया और आलोचना भी की गई. आलोचना के नाम पर इन सीरीज को देशद्रोही और एक धर्म विशेष का अपमान करने वाला कहा गया. खासकर पाताल लोक को. दरअसल, इस सीरीज में दिखाया गया है कि बहुसंख्यावाद की हिंसक राजनीति का देश के हाशिए पर मौजूद समुदायों और लोगों पर कैसा असर पड़ रहा है. इसमें जाति प्रथा, अंधराष्ट्रवाद और सांप्रदायिक राजनीति की आलोचना थी और साथ ही देश में बढ़ती जा रही असहिष्णुता को भी इसमें दिखाया गया. सीरीज के रिलीज होते ही इसे हिंदू विरोधी और देश विरोधी कहा जाने लगा.
इस बारे में अपर्णा ने हफ पोस्ट को बताती हैं,
"हम पाताल लोक में उन लोगों की कहानी दिखाना चाहते थे, जिनकी कहानी मेनस्ट्रीम सिनेमा में नहीं दिखाई जाती है. हमने उन लोगों की कहानी दिखाई जिन्हें हम रोज देखते हैं लेकिन एक पल रुककर उनके बारे में सोचते नहीं. जब मैंने इस वेब सीरीज की कहानी सुनी, उसी वक्त मैंने फैसला ले लिया कि ये तो बनानी ही है. अगर हम इसे ना बनाते तो ये एक त्रासदी होती."अपर्णा खुद को जेंडर सेंसिटिव भी बताती हैं. उनका कहना है कि वो कोई कहानी पढ़ती हैं तो ये ज़रूर देखती हैं कि उसमें औरतों को किस ढंग से दिखाया गया है. हालांकि, ऐमज़ॉन प्राइम की कई भारतीय सीरीज में महिला कैरेक्टर्स को बड़ी ही खराब रोशनी में दिखाया गया है. फिर चाहे वो मिर्जापुर हो, मेड इन हेवन हो या अभी-अभी आई तांडव.
फिलहाल अपर्णा पुरोहित पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. इस मामले में जो भी अपडेट होगा, हम आपको जरूर बताएंगे.