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दुबई में नौकरी के लिए गई लड़की को नहीं करने दी घरवालों से बात, मुंबई पुलिस ने ऐसे किया रेस्क्यू

दुबई में पीड़िता को कॉन्फ्रेंस मोड पर घरवालों से बात कराई जाती थी. कुछ दिनों के बाद घरवालों से बात करने की परमीशन मिलना भी बंद हो गई थी.

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दुबई. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
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नीरज कुमार
13 जून 2022 (Updated: 20 जून 2022, 08:38 PM IST) कॉमेंट्स
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मुंबई से सटे पालघर की रहने वाली 18 साल की एक लड़की को दुबई से रेस्क्यू कर वापस भारत लाया गया है. उस लड़की को चाइल्ड केयर टेकर के तौर पर काम करने के लिए दुबई ले जाया गया था. दुबई पहुंचने के बाद लड़की को उसके घरवालों से बातचीत करने की इजाज़त नहीं दी जा रही थी. करीब तीन हफ्तों तक बेटी की कोई खबर ना मिलने से परेशान मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. मामला पुलिस में पहुंचा और तीन के दिन के अंदर लड़की को दुबई से सुरक्षित भारत वापस ले आया गया.

दुबई में भारतीय कामगार बड़ी तादाद में हैं

अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित लड़की अप्रैल में अपने कुछ परिचितों के जरिए दुबई गई थी. नौकरी का कॉन्ट्रैक्ट एक साल का था, लेकिन पीड़िता के दुबई पहुंचते ही गड़बड़ी शुरू हो गई. उसे अपने परिवार से बात करने की इजाज़त भी तब मिलती, जब उसको नौकरी देने वाले कॉन्फ्रेंस मोड पर रहते. कुछ दिनों के बाद फोन कॉल का ये सिलसिला भी बंद हो गया. पीड़िता को उसके परिवार से बात करने की परमीशन मिलना बंद हो गई. परिवारवालों की तमाम कोशिशों के बाद भी करीब तीन हफ्ते तक लड़की से संपर्क नहीं हो पाया. इसके बाद 2 जून को पीड़िता की मां ने मीरा भायंदर वसई विरार पुलिस कमिश्नरेट में शिकायत दर्ज कराई और 5 जून को लड़की को दुबई से वापस भारत लाकर परिवार को सौंप दिया गया.

एक साल का कॉन्ट्रैक्ट

इस मामले की शिकायत मिलते ही मीरा भायंदर वसई विरार के कमिश्नर सदानंद दाते ने पासपोर्ट विंग के अधिकारियों को जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए. जांच अधिकारियों ने दुबई में भारत के महावाणिज्य दूतावास से संपर्क कर पूरा मामला बताया. पुलिस के मुताबिक, पीड़िता को एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर दुबई ले जाने वाली महिला उसे भारत वापस भेजने के लिए तैयार नहीं हो रही थी, लेकिन दूतावास के हस्तक्षेप की वजह से लड़की सही सलामत वापस अपने घर लौटने में कामयाब रही. हमने इस मामले की जांच अधिकारी शीतल शिंदे से बात की. उन्होंने बताया.

‘’ पीड़िता की मां ने पुलिस को दुबई का वो एड्रेस बताया था, जहां पीड़िता रह रही थी. हमने एंबेसी को मेल लिखकर मामले की जानकारी दी थी. इसके बाद जब हमारी उस महिला से बात हुई (जिसके जरिए पीड़िता दुबई गई थी) उसने हमसे कहा कि हम लड़की को वापस नहीं भेजेंगे. जितने दिनों के बाद का उसका टिकट बुक है, उसे तब ही वापस भेजा जाएगा.''

इस मामले में हुई कार्रवाई पर कमिश्नर सदानंद दाते ने खुशी जताई है. सदानंद दाते ने कहा,

‘’ पीड़िता की मां ने हमसे संपर्क किया था. पहले हमने लड़की और उसकी मां के बीच वीडियो कॉल की व्यवस्था की और उसके बाद हमने उन्हें लड़की की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था करने में मदद की. मुझे लगता है कि एक पुलिस बल के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम हर खतरों पर रिस्पॉन्स करें और मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि हमारे अधिकारी इतना अच्छा रिस्पॉन्स दे रहे हैं.‘’

पुलिस में शिकायत दर्ज होने के सिर्फ तीन दिनों के अंदर हुई कार्रवाई पर पीड़िता और उसके परिवार ने पुलिस और दूतावास का आभार जताया है.

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