बलात्कार की सज़ा क्या हो? इस सवाल के कई जवाब मिलते हैं. कोई फांसी की मांग करता है तो कोई लिंग काट देने की मांग करता है. अब इसी तरह के एक कानून को पाकिस्तान की संसद ने मंज़ूरी दी है. नहीं, नहीं. लिंग काटने का कानून नहीं, लेकिन रेप के आदतन अपराधियों के केमिकल कैस्ट्रेशन को मंज़ूरी दे दी गई है.
आदतन अपराधी यानी वो लोग जो रेप के एक से ज्यादा मामलों में दोषी पाए गए हों. वैसे तो कैस्ट्रेशन का मतलब होता है कि किसी व्यक्ति के टेस्टेस काट देना. दरअसल, टेस्टेस में बनने वाले एंड्रोजन हार्मोन के चलते ही पुरुषों में पुरुषों वाले गुण आते हैं. लेकिन केमिकल कैस्ट्रेशन में ये नहीं किया जाता है. इसमें दवाओं की मदद से किसी पुरुष के टेस्टेस में बनने वाले हार्मोन्स के प्रोडक्शन को कम किया जाता है. इसे एंड्रोजन सप्रेशन थेरेपी या हार्मोन थेरेपी भी कहते हैं.
हार्मोन्स का प्रोडक्शन कम होने से पुरुषों में सेक्स ड्राइव कम हो जाती है. हालांकि, केमिकल कैस्ट्रेशन होने का ये मतलब नहीं है कि व्यक्ति नपुंसक हो जाएगा और कभी भी सेक्शुअली एक्टिव नहीं हो पाएगा. दवाएं और उनका असर खत्म होने के बाद व्यक्ति की सेक्स ड्राइव वापस आ जाती है.
पाकिस्तानी संसद के जॉइंट सेशन में पास हुए बिल के मुताबिक,
“केमिकल कैस्ट्रेशन एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें दवाओं के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति को एक तय समय के लिए सेक्शुअल इंटरकोर्स के लिए अयोग्य बनाया जा सकता है. कितने वक्त के लिए ऐसा करना है ये कोर्ट तय करेगा. और य् प्रोसेस एक नोटिफाइड मेडिकल बोर्ड द्वारा किया जाएगा.”
अब तक पोलैंड, साउथ कोरिया, चेक रिपब्लिक और यूनाइटेड स्टेट्स के कुछ राज्यों में ही रेप के दोषियों को केमिकल कैस्ट्रेशन की सज़ा दी जाती है.
रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान में रेप के चार प्रतिशत से भी कम मामलों में दोषियों को सज़ा मिलती है. बिल पास होने की खबर आने के बाद कुछ लोगों ने इसे अच्छा फैसला बताया. वहीं कुछ लोगों ने कहा कि जब तक पाकिस्तान में रेप मामलों में कन्विक्शन रेट नहीं बढ़ेगा तब तक कोई भी सज़ा ले आओ उसका कोई फायदा नहीं होगा.
एक यूज़र ने लिखा,
“पाकिस्तान एक एंटी रेप बिल पास किया. जिसमें केमिकल कैस्ट्रेशन की बात लिखी गई है. ये बस एक राजनीतिक तमाशा है. इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. एक तो सज़ा बहुत कम मामलों में मिलती है. ऊपर से समाज ऐसा कि है कि यहां विक्टिम को ही सज़ा दी जाती है. ऐसे में मामले रिपोर्ट भी नहीं के बराबर होते हैं.”
Pakistan passes an anti-rape bill for the chemical castration of repeat offenders.
It’s political grandstanding. It’s not going to affect anything when conviction rates are low and reporting rates are abysmal because society punishes the victims more than the perpetrators.
— Imtiaz Mahmood (@ImtiazMadmood) November 18, 2021
वहीं कुछ लोग कहते मिले कि पाकिस्तान ने कर दिया, इंडिया अब तुम्हारी बारी.
your move, India..Pakistan passes anti-rape bill allowing chemical castration of repeat offenders https://t.co/wj3QhvuOgz
— endcapitalism (@endofcapitalis1) November 18, 2021
भारत में रेप के खिलाफ सख्त कानून हैं. फांसी और उम्रकैद तक का प्रावधान है, हालांकि कैस्ट्रेशन या केमिकल कैस्ट्रेशन की सज़ा भारत में नहीं दी जाती है. ये बात और है कि लंबे वक्त से भारत में केमिकल कैस्ट्रेशन की सज़ा की मांग होती रही है.
साल 2018 में कठुआ गैंगरेप मामला सामने आया था. आठ साल की बच्ची के कई दिनों तक गैंगरेप और मर्डर का मामला था. इस केस से पूरे देश में आक्रोश था. आरोपियों को फांसी देने, चौराहे पर लटका देने तक की मांग हो रही थी. द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल, 2018 में सुप्रीम कोर्ट की विमेन लॉयर्स असोसिएशन के कुछ रिप्रेजेंटेटिव्स ने प्रधानमंत्री कार्यालय से मांग की कि रेप के दोषियों को केमिकल कैस्ट्रेशन की सज़ा दी जाए. इनकी मांग थी कि मौत की सज़ा के साथ-साथ ये ज़रूरी हो गया है कि रेप के रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामलों में दोषियों का केमिकल कैस्ट्रेशन भी किया जाए. मई में प्रधानमंत्री कार्यालय ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से कहा था कि वो इन मांगों पर ज़रूरत के हिसाब से कदम उठाए.
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