मेरिलेबॉन क्रिकेट क्लब (MCC). ये क्रिकेट के नियमों का गार्जियन भी कहलाता है. MCC ने 22 सितंबर को क्रिकेट को जेंडर न्यूट्रल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया. फैसला किया कि बैट्समैन या बैट्समेन की जगह जेंडर न्यूट्रल शब्द बैटर या बैटर्स का इस्तेमाल किया जाएगा.
MCC ने एक बयान में कहा,
“MCC का मानना है कि जेंडर-न्यूट्रल शब्दावली का उपयोग, क्रिकेट की छवि को ‘सभी के लिए एक समावेशी खेल’ के रूप में मज़बूत करेगा.”
MCC has today announced amendments to the Laws of Cricket to use the gender-neutral terms “batter” and “batters”, rather than “batsman” or “batsmen”.
— Marylebone Cricket Club (@MCCOfficial) September 22, 2021
ट्विटर की जनता इस फैसले पर बंट गई है. ज़्यादातर लोगों ने एमसीसी के ऑफ़िशियल पोस्ट के नीचे कमेंट में इस क़दम का स्वागत किया है. वहीं कुछ लोगों को यह नया संशोधन बिल्कुल रास नहीं आ रहा. उनके हिसाब से यह ‘फर्जी-फेमिनिज़्म’ को बढ़ावा देने का एक तरीक़ा मात्र है. कुछ टि्वटर यूज़र्स ने इस क़दम को पथेटिक तक कह दिया. कुछ लोग यहां तक लिख रहे हैं कि ‘नाम तो बदल दिया पर मेंस गेम जैसा थ्रिल कैसे लाओगे!’
द टाइम्स के मुताबिक़, ‘Batsman/Batsmen’ शब्द का इस्तेमाल 1744 से हो रहा था. अपनी वेबसाइट पर एक बयान में एमसीसी के क्रिकेट और संचालन उप-सचिव जेमी कॉक्स ने कहा,
“2017 के आखिरी रिड्राफ़्ट के समय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) और महिला क्रिकेट की प्रमुख व्यक्तित्वों से बातचीत के बाद यह सहमति हुई थी कि खेल के नियमों में शब्दावली ‘बैट्समैन/बैट्समेन’ के रूप में ही रहेगी. हाल में क्रिकेट सर्कल्स में ‘बैटर’ और ‘बैटर्स’ शब्द का इस्तेमाल बढ़ा है. आज घोषित किए गए संशोधन, इसी ऑर्गेनिक बदलाव का नतीजा हैं. ‘बैटर’ शब्द का इस्तेमाल एक स्वाभाविक प्रगति है, जो पहले से ही नियमों में शामिल ‘बॉलर्स’ और ‘फील्डर्स’ के अनुरूप है.”
और कब-कब हुआ जेंडर न्यूट्रल शब्दावली का इस्तेमाल?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, इंग्लैंड में ‘द हंड्रेड’ सीरीज़ के उद्घाटन सत्र के कवरेज के दौरान, जेंडर न्यूट्रल शब्दावली का इस्तेमाल किया गया था. प्रतियोगिता में पुरुष और महिला बल्लेबाजों को संबोधित करने के लिए ‘Batter’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था. इसके अलावा, फील्डिंग पोज़िशन ‘थर्ड-मैन’ की जगह केवल ‘थर्ड’ का इस्तेमाल किया गया. इंग्लैंड की महिला टीम के एक टेस्ट मैच में भी ब्रॉडकास्टर्स ने ‘नाइटवॉचमैन’ शब्द की जगह ‘नाइटवॉच’ शब्द का इस्तेमाल किया गया. बीबीसी और स्काई जैसे संगठनों की रिपोर्ट में भी इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता रहा है.
2017 के महिला विश्व कप फ़ाइनल में लॉर्ड्स में एक अच्छी खासी भीड़ के सामने इंग्लैंड और भारत का मुक़ाबला हुआ था और 2020 में ही ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच महिला विश्व 20-20 फ़ाइनल ने 80,000 से अधिक दर्शकों को आकर्षित किया था. गौरतलब है कि महिला क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए ही MCC ने ये फैसला किया है.
खेलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए और काम भी हो रहा है. जैसे, इंग्लैंड के बर्मिंघम में 2022 के कॉमनवेल्थ खेलों में पहली बार महिला क्रिकेट को शामिल किया जाएगा. इसी कड़ी में इंग्लैंड की पूर्व कप्तान और इंग्लैंड-वेल्स क्रिकेट बोर्ड की महिला क्रिकेट की मैनेजिंग डायरेक्टर क्लेयर कॉर्नर अक्टूबर, 2021 में MCC की पहली महिला अध्यक्ष बनेंगी.
क्यों ज़रूरी है जेंडर न्यूट्रल शब्दों का इस्तेमाल?
भाषा हमारी सबसे क़रीबी आइडेंटिटी का हिस्सा है. इसमें सजग बदलाव, एक दीर्घकालीन बदलाव की संभावना रखता है. मैनपावर, चेयरमैन, मैनकाइंड जैसे कई शब्द हैं जो हम शुरुआत से पढ़ते रहे हैं. ये शब्द कहीं न कहीं मैन यानी पुरुष के वर्चस्व की तरफ इशारा करते हैं. इसलिए इनकी जगह पर क्रमशः ह्यूम रिसोर्स, चेयर पर्सन, ह्यूमन काइंड जैसे जेंडर न्यूट्रल शब्दों के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जा रहा है.
आप चेयरमैन शब्द ही उदाहरण के तौर पर ले लीजिए. ये शब्द एक जेंडर के साथ इतना असोसिएट हो गया कि उस पद पर किसी महिला को देखना लोगों के लिए असहज करने वाला अनुभव होता था. यही हाल एयर होस्टेस शब्द का रहा. जिसके चलते विमानों में पुरुष अटेंडेंट्स को देखना अलग बात होती थी. इसी के चलते अब फ्लाइट अटेंडेंट शब्द के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जाता है.
वैसे बात क्रिकेट से शुरू हुई थी, तो क्रिकेट का ही एक टर्म है मेडेन. इस शब्द का क्रिकेट में मतलब है वो ओवर जिसमें कोई रन न गया हो. और अंग्रेज़ी के इस शब्द का असल मतलब है कुंवारी या अविवाहित महिला. ये एक आपत्तिजनक शब्द है और इसे बदलने की सख्त ज़रूरत है.
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