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लड़कियों के लिए एक ही नाम वाली ये योजना इन तीन राज्यों में किस तरह चल रही है?

इन स्कीमों का मक़सद है सेक्स रेश्यो सुधारना और लड़कियों की शिक्षा-सुरक्षा की बेहतरी.

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तीनों राज्यों में आवेदन की प्रक्रिया लगभग एक जैसी ही है (तस्वीर - अनस्पलैश)
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25 जनवरी 2022 (Updated: 25 जनवरी 2022, 15:40 IST)
Updated: 25 जनवरी 2022 15:40 IST
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कल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस था. नेशनल गर्ल चाइल्ड डे. देश में गर्ल चाइल्ड के लिए केंद्र और राज्य सरकारें बहुत सारी योजनाएं चलाती हैं. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग स्कीमें हैं. जैसे 'लाडली योजना', 'कन्या सुमंगलम योजना' या 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'.
लेकिन हमारी सुई अटकी तीन अलग राज्यों में एक ही नाम से चल रही स्कीम पर. नाम - लाडली. अलग-अलग राज्य, अलग प्रावधान, अलग ही मतलब. वैसे सरकारी नाम उन्नीस-बीस ही होते हैं.
ऐसी स्कीमों का सीधा मक़सद है- सेक्स रेश्यो को सुधारना और लड़कियों की शिक्षा और सुरक्षा की बेहतरी. अब ये योजनाएं अपने उद्देश्य पर कितनी खरी उतर रही हैं, कहां शुरू हुई थीं, स्कीम का लाभ किसको मिलेगा, अप्लाई कैसे कर सकते हैं, सरकार इस पर कितना पैसा खर्च करती हैं, ये सब तिया पांचा आपको बताएंगे. लाडली सोशल सिक्योरिटी एलाउंस, हरियाणा इस योजना की शुरुआत जनवरी 2006 में हुई थी. ये एक तरह की पेंशन स्कीम है जिसका फ़ायदा मां-बाप को मिलता है. स्कीम के तहत‌ हरियाणा सरकार लड़की और मां के नाम पर किसान विकास पत्र के ज़रिए हर महीने 2500 रुपये निवेश करती है. लड़की 18 साल की उम्र से पहले इस रकम को नहीं निकाल सकती.
2006 में सरकार 300 रुपये देती थी, जिसे साल दर साल बढ़ा कर, 2500 कर दिया गया.
# एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया - माता-पिता हरियाणा के मूल निवासी हों या हरियाणा राज्य सरकार के लिए काम कर रहे हों. परिवार की सालाना आय दो लाख रुपये से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. परिवार में कोई बेटा नहीं होना चाहिए. बायोलॉजिकल या अडॉप्टेड. मां या पिता में से किसी एक को 45 साल की उम्र का होना चाहिए. लाभ का भुगतान मां को किया जाएगा. अगर मां जीवित नहीं है, तब पिता को भुगतान मिलेगा.
# डॉक्यूमेंट कौन-कौन से लगते हैं?
• एप्लीकेशन फ़ॉर्म • बच्ची का एज प्रूफ़ • अड्रेस प्रूफ • आवास प्रमाण पत्र • इनकम सर्टिफिकेट • जाति प्रमाण पत्र • मां के बैंक खाते की डिटेल्स • बीपीएल कार्ड (अगर हो तो)
# कैसे अप्लाई करें?
saralharyana.gov.in से फ़ॉर्म डाउनलोड करें. भरें. इसके बाद ऊपर दिए गए डॉक्युमेंट्स लगाकर आंगनबाड़ी केंद्र, जन सेवा केंद्र या बाल विकास योजना विभाग में जमा करवाएं. रिसीविंग मिलेगी और आपको एक ट्रैकिंग नंबर मिलेगा. उसको saralharyana.gov.in पर ट्रैक कर सकते हैं.
लाडली स्कीम हरियाणा
रुपये करोड़ में
(socialjusticehry.gov.in से साभार)
लाडली स्कीम, दिल्ली साल 2008 में दिल्ली सरकार ने लाडली योजना लॉन्च की. दिल्ली में पैदा हुई लड़कियां इस योजना की बेनिफिशियरी बन सकती हैं. एक साल से पहले पैदा हुई लड़कियां भी वित्तीय सहायता की लाभार्थी हैं, अगर वे सरकारी स्कूल में पहली, छठवीं, नौवीं या बारहवीं कक्षा में नामांकित हों और 3 साल से दिल्ली में रह रही हों.
लाडली योजनी दिल्ली
इस योजना के लिए दिल्ली सरकार ने 2 मार्च 2021 को अलग से 100 करोड़ का बजट जारी किया (तस्वीर - इंडिया टुडे)

दिल्ली के शिक्षा मॉडल की चर्चा होती रहती है और इस स्कीम के केंद्र में भी लड़कियों की शिक्षा है. इसीलिए भुगतान के पड़ाव लड़की के शिक्षा से जुड़े हुए हैं. जैसे पैदा होने पर ₹10,000 रुपये मिलते हैं. क्लास वन में दाखिला लेने पर 5,000. क्लास 6 और 9 में भी दाखिला लेने पर 5-5 हज़ार रुपये. 10वीं पास करने पर 5000 और 12वीं में नामांकन कराने पर फिर 5000 रुपये दिए जाते हैं.
लड़की के 18 साल पूरे होने पर और दिल्ली के सरकारी स्कूल से दसवीं कक्षा पास होने पर लड़की के खाते में ब्याज सहित भुगतान किया जाएगा.
# एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया - परिवार की सालाना आय एक लाख रुपये से ज़्यादा न हो. लड़की का जन्म दिल्ली में हुआ होना पहली कंडीशन है. पैदा दिल्ली मैं हुई, फिर कहीं चली गई, फिर वापस आ गई, तो 3 साल तक दिल्ली में रहने के बाद आवेदन कर सकती है. दिल्ली के किसी सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल में पढ़ रही हो, तब ही इस स्कीम के लाभ के लिए एलिजिबल होगी. योजना का लाभ एक परिवार में केवल दो लड़कियों तक ही सीमित है.
# कैसे अप्लाई करें?
दिल्ली के स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं के एप्लीकेशन फॉर्म उसी स्कूल के प्रिंसिपल ऑफ़िस में जमा होंगे या महिला एवं बाल विकास विभाग के संबंधित ज़िला कार्यालय में जमा करने होंगे.
वहीं अगर आप ऑनलाइन आवेदन कराना चाहते हैं, तो महिला एवं बाल विकास विभाग, दिल्ली की आधिकारिक वेबसाइट (www.wcddel.in) पर जाइए. वहां लाडली स्कीम का अलग सेक्शन है. लाडली लक्ष्मी योजना, मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश में भी ऐसी ही योजना एक अप्रैल 2007 को लागू की गई थी. स्कीम का नाम रखा गया- मध्य प्रदेश लाडली लक्ष्मी योजना. राज्य के महिला और बाल विकास विभाग ने लड़की की छठवीं क्लास में प्रवेश पर 2,000 रुपये, 9वीं में प्रवेश पर 4,000 रुपये, 11वीं में प्रवेश पर 6000 रुपये और 12वीं में प्रवेश पर 6,000 रुपये देने का प्रावधान किया था. इसके अलावा लड़की की शादी के लिए एक लाख रुपये देने का प्रावधान बनाया गया था. यानी कुल मिलाकर 1 लाख 18 हज़ार रुपये.
# एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया - आवेदक मध्य प्रदेश के स्थाई निवासी होने चाहिए (ये वाला तो सब में कॉमन है)‌. परिवार की आय गरीबी रेखा से नीचे होनी चाहिए. अगर परिवार ने किसी बच्ची को गोद लिया है तो लीगल प्रमाण पत्र होना चाहिए. योजना के अनुसार आवेदिका 18 साल तक अविवाहित होनी चाहिए, नहीं तो लाभ देना बंद कर दिया जाएगा.
# कैसे अप्लाई करें?
आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, मां-पिता का पहचान पत्र, बैंक खाते की जानकारी, पैन कार्ड नंबर, स्थाई निवासी प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो. इतना तो किसी भी सरकारी फ़ॉर्म भरने के लिए आप अपने पास रखिए ही.
दोनों तरीक़े हैं. ऑनलाइन और ऑफ़लाइन. ऑनलाइन ladlilaxmi.mp.gov.in पर जाइए. एप्लीकेशन फॉर्म भरिए. ज़रूरी डॉक्युमेंट्स अपलोड करिए. हो गया. ऑफ़लाइन के लिए आंगनबाड़ी केंद्र, लोक सेवा केंद्र जैसे विभाग में संपर्क करना होगा.

अन्य राज्य

लाडली के अलावा भी कर्नाटक और वेस्ट बंगाल जैसे राज्यों में गर्ल चाइल्ड के लिए अलग से स्कीमें हैं. महाराष्ट्र में भी ऐसी ही एक स्कीम है. अगस्त 2017 में यहां शुरू हुई मांझी कन्या भाग्यश्री स्कीम. इसमें 7.5 लाख से कम सालाना आय वाले परिवार में सिंगल गर्ल चाइल्ड को हर साल 50,000 रुपये मिलने का प्रावधान है. परिवार में दो बच्चियां हों तो दोनों को हर साल 25-25 हज़ार रुपये दिए जाते हैं.
केंद्र सरकार की भी स्कीमें है- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ', 'सुकन्या समृद्धि योजना', 'बालिका समृद्धि योजना', 'उड़ान स्कीम' वगैरह. पर हम आपको बस ये बताना चाहते थे कि एक ही नाम से तीन स्कीमें कितनी अलग हैं. उनके आवेदन का तरीक़ा और दस्तावेज़ बेशक एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन उनका परसेप्शन कितना अलग है. हरियाणा में पेंशन स्कीम, मध्य प्रदेश में लड़की 18 से पहले अविवहित हो और दिल्ली में 10वीं पास कर ले. इन तीनों के ऊपरी आवरण एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन क्षेत्र के आधार पर तरीक़े अलग हैं.

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