कर्नाटक हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई चल रही है. मामला रेप का है. एक महिला ने अपने एम्प्लॉई के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया था. इसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी. लेकिन जमानत देते हुए कोर्ट ने जो बातें कहीं, उस पर लोग आपत्ति जता रहे हैं.
किस बात पर भड़के हैं लोग?
जस्टिस कृष्ण दीक्षित ने बेल के लिए सुनवाई करते हुए कहा,
‘शिकायतकर्ता ने इस बारे में कुछ भी नहीं बताया कि वो अपने ऑफिस में रात को 11 बजे क्यों गई? उसने पिटिशनर (आरोपी) के साथ ड्रिंक्स लेने से भी इनकार नहीं किया. उसे अपने साथ सुबह तक रहने दिया. इसका ये एक्सप्लेनेशन कि रेप के बाद वो थक गई थी, इसलिए सो गई, ये किसी भारतीय महिला का चरित्र नहीं है. हमारी महिलाएं इस तरह रियेक्ट नहीं करतीं, जब उनके साथ इस तरह की हरकत हुई हो.’
While granting anticipatory bail to a rape accused, the Karnataka High Court on Monday strangely observed in the order that it was “unbecoming” of an alleged rape victim to have fallen asleep after being “ravished”.
— Bar & Bench (@barandbench) June 24, 2020
आरोपी का नाम राकेश है. उसे सशर्त बेल दी गई है. कि वो बिना परमिशन कोर्ट के जूरिस्डिक्शन से बाहर नहीं जाएगा. हर दूसरे और चौथे शनिवार को थाने में रिपोर्ट करेगा.
‘द प्रिंट’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार, जज ने ये भी कहा कि महिला ने आरोप लगाए हैं कि शादी का वादा करके उसके साथ रेप किया गया. लेकिन मौजूदा हालात के मद्देनज़र उस पर भरोसा करना मुश्किल है. जज ने ये भी कहा कि शिकायतकर्ता ने कोर्ट को पहले अप्रोच क्यों नहीं किया, जब सेक्शुअल फेवर के लिए आरोपी ने उस पर दबाव बनाया था?
[GROUNDS], Anticipatory bail given on the following grounds:
(i) The victim had not raised alarm when the accused got into her car;
(ii) The victim voluntarily had ALCOHOL with accused;
(iii) The failure on the victim to lodge a complaint at the “earliest point”— Bar & Bench (@barandbench) June 24, 2020
इस स्टेटमेंट से दिक्कत क्या है?
केतकी जोशी पत्रकार रह चुकी हैं. इस वक़्त अहमदाबाद में काम कर रही हैं. उन्होंने कहा,
रेप की गई महिला को कैसे बर्ताव करना चाहिए, उसको लेकर जज के रिमार्क में दो बातें हैं और मैं दोनों से ही सहमत नहीं हूं. जज ने कहा कि वो एक भारतीय महिला नहीं हो सकती, अगर वो किसी जान-पहचान के व्यक्ति से देर रात मिलती है और उसके साथ ड्रिंक करती है. हर भारतीय महिला को भारतीय पुरुष की तरह ही बराबर अधिकार दिए हैं संविधान ने. वो आज़ादी से घूम सकती है, ड्रिंक कर सकती है, और उसे सुरक्षित रहने का पूरा अधिकार है. अलग-अलग जेंडर के लिए कानून अलग नहीं हो सकता.
दूसरी बात, जज ने कहा कि कोई महिला रेप के बाद सो नहीं सकती. इस स्टेटमेंट में सहानुभूति नहीं है. रेप विक्टिम सो सकती है या बेहोश हो सकती है. थकान और शॉक की वजह से. असल में ये तो ऑब्वियस है.

केतकी आगे कहती हैं,
मर्दवाद हमारे जस्टिस सिस्टम में इतने गहरे पैठा हुआ है कि कोर्ट ये जज कर रहा है कि रेप के बाद महिला को कैसे व्यवहार करना चाहिए. मैं क्राइम की सच्चाई या मुख्य जजमेंट पर कमेन्ट नहीं कर सकती, लेकिन जज को इस तरह के स्त्रीद्वेष वाला कमेन्ट नहीं करने चाहिए. ये अपनी बात रखने वाले किसी भी विक्टिम का मनोबल तोड़ देता है.
उपासना शशिधरन स्कॉलर हैं. इस वक़्त अपनी Ph.D. की पढ़ाई कर रही हैं. सोशल मीडिया पर औरतों से जुड़े मुद्दों पर काफी खुलकर लिखती हैं. उन्होंने कहा,
‘किसी भी जज को ये तय करने का अधिकार नहीं कि इस हालत में महिला अपने आप को कैसे संभाले. हर कोई अपने ट्रॉमा से अलग तरीके से जूझता है’.
लोगों ने ट्वीट में भी यही कहा कि इस तरह के विक्टिम ब्लेमिंग अप्रोच की वजह से ही कई रेप के मामले रिपोर्ट तक नहीं होते.
Why is this sick judge Krishna Dixit passing judgements on how ‘their’ women should react after being ‘ravished’.
Victim blaming is exactly the reason why so many women don’t report rapes.— Sharan (@Sharan2906) June 25, 2020
भारत में हर 15 मिनट में एक रेप रिपोर्ट होता है. 100 मामलों में से 94 मामलों में रेप करने वाला व्यक्ति महिला का जानकार होता है. जो केस रिपोर्ट नहीं किए जाते, उनकी संख्या का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता.
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