JNU के ICC की पीठासीन अधिकारी ने कहा कि सर्कुलर में लिखी गई विवादास्पद बात बेहद ज़रूरी है.
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) दो दिन से चर्चा में है. यूनिवर्सिटी की इंटर्नल कम्प्लेंट कमिटी (ICC) ने 28 दिसंबर को यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर एक नोटिस अपलोड किया. ये नोटिस एक काउंसिलिंग सेशन के बारे में है, जिसमें यौन शोषण को लेकर स्टूडेंट्स की काउंसिलिंग की जानी है. ये सेशन 17 जनवरी को होना है. साथ में ये भी लिखा है कि इस तरह की काउंसिलिंग हर महीने की जाएगी.
हालांकि, जो नोटिस अपलोड हुआ उसकी भाषा को लेकर विवाद शुरू हो गया. उसके स्त्रीविरोधी होने की बात कही गई. AISA सहित कई छात्र समूहों ने इस नोटिस का विरोध किया था. विवाद के बाद यूनिवर्सिटी ने नोटिस का वो हिस्सा ही हटा दिया जिस पर विवाद हो रहा था.
किस बात पर बवाल हुआ?
इनवाइट में ‘काउंसिलिंग सेशन की ज़रूरत क्यों है?’ सबहेड के नीचे पहले लिखा था,
किसी भी तरह के हरासमेंट से बचने के लिए लड़कियों को यह पता होना चाहिए कि अपने महिला और पुरुष मित्रों के बीच एक ठोस रेखा कैसे खींचनी है.
ये नोटिस पहले JNU की वेबसाइट पर लगाया गया था.
इसका मतलब ये निकलकर आया कि यौन शोषण होने या उससे बचने की पूरी ज़िम्मेदारी महिलाओं की है. इसी को लेकर विवाद शुरू हुआ कि यूनिवर्सिटी ये कैसे कह सकता है. इस स्टेटमेंट को स्त्री विरोधी बताया गया.
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी विश्वविद्यालय द्वारा जारी इस सर्कुलर को वापस लेने की मांग की थी.
NCW chairperson Rekha Sharma seeks withdrawal of ‘misogynist’ circular issued by JNU, which says girls are supposed “to know how to draw a tangible line between them and their male friends”
29 दिसंबर की सुबह इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया कि विवाद बढ़ने के बाद यूनिवर्सिटी ने नोटिस की भाषा में बदलाव किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ने लिखा,
लड़कों की काउंसलिंग की जाएगी कि दोस्ती और यौन शोषण के दायरे में आने वाले व्यवहार के बीच के फर्क को साफ़-साफ़ कैसे पहचानें. लड़कियों को परामर्श दिया जाएगा कि यौन उत्पीड़न से कैसे बचा जाए.
हालांकि, अब यूनिवर्सिटी ने ‘काउंसिलिंग की ज़रूरत क्यों?’ वाला पूरा हिस्सा ही अपने नोटिस से हटा दिया है.
JNU ने वो पूरा हिस्सा ही नोटिस से हटा दिया है जिस पर विवाद शुरू हुआ था.
ICC ने विवादास्पद बिंदु का समर्थन किया
ICC की पीठासीन अधिकारी पूनम कुमारी ने इसे लेकर कहा कि सर्कुलर में लिखी गई जिस बात पर विवाद हो रहा है, वो असल में बहुत ज़रूरी है. कहा कि जब लड़के लड़कियों के अनुचित रूप से छुएं तो उन्हें तुरंत अलार्म करना आना चाहिए.
पूनम कुमारी ने न्यूज़ एजेंसी ANI से कहा,
“मुझे नहीं लगता कि यह बिल्कुल भी विवादास्पद है. बहुत से छात्रों को पता नहीं है कि यौन उत्पीड़न क्या है. क्या किया जाना चाहिए, क्या नहीं किया जाना चाहिए, इसके क्या परिणाम हो सकते हैं?”
उन्होंने कहा था कि लड़कियों के लिए यह ज़रूरी है कि वो पहली बार में ही साफ बता दें कि उन्हें किसी व्यक्ति के एक्शन पसंद हैं या नहीं. अगर वो नहीं बोलती हैं तो लड़कों को संदेश नहीं मिलेगा. गौर करने वाली बात ये है, जिस बात को ICC की चेयरपर्सन बेहद ज़रूरी बता रही हैं, उससे जुड़ा पूरा हिस्सा ही यूनिवर्सिटी ने सर्कुलर से हटा दिया है.
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