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शादी के बाद पति का सरनेम लगाना आपकी तरह कानून को भी क्यूट लगता है क्या?

पति का सरनेम नहीं लगाने पर क्या होता है, सुप्रीम कोर्ट की वकील से जानिए.

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शादी के बाद सरनेम बदलने की कानूनी तौर पर कोई ज़रूरत नहीं है, लेकिन शादी का रजिस्ट्रेशन कराना बेहद ज़रूरी है. सांकेतिक फोटो- Pixabay
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2 अप्रैल 2021 (Updated: 2 अप्रैल 2021, 11:34 IST)
Updated: 2 अप्रैल 2021 11:34 IST
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सुनीति की कुछ महीनों पहले शादी हुई. लॉकडाउन वाली शादी. शादी के बाद उसने अपना सरनेम नहीं बदला. मायके-ससुराल दोनों ही पक्षों में कई रिश्तेदारों की भंवे तन गई. कि ऐसे कैसे पति का सरनेम नहीं लगाएगी? लोग क्या सोचेंगे? आखिर शादी के बाद लड़की को मिस ABC से मिसेज़ XYZ तो होना ही पड़ता है. विदेश जाने में वीज़ा की दिक्कत आएगी से लेकर स्कूल में बच्चों के दाखिले में परेशानी तक की बातें उससे कही गई.
उसे प्रियंका चोपड़ा जोनास, सोनम कपूर आहुजा, ऐश्वर्या राय बच्चन जैसी सेलेब्स के उदाहरण दिए गए. कि देखो इत्ती बड़ी-बड़ी सेलेब्स ने अपने नाम के आगे पति का सरनेम लगाया, कोई तो वजह होगी न. वरना इनको क्या कोई ज़रूरत थी एक्स्ट्रा सरनेम लगाने की?
सुनीति ने इसे लेकर हमसे सवाल किया और हमने पूछा हमारी वकील दोस्त से. एडवोकेट विजया लक्ष्मी. सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं. उन्होंने हमें बताया कि कानूनी तौर पर किसी भी औरत के लिए ये बाध्यता नहीं है कि वो शादी के बाद अपना सरनेम बदले.
विजया लक्ष्मी ने हमें बताया कि फलां महिला और फलां पुरुष की पति- पत्नी हैं. ये साबित करने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट या मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट काफी होता है. उन्होंने बताया कि सरनेम बदलना महिलाओं की पर्सनल चॉइस होती है, कुछ हद तक सोशल और पारिवारिक फैक्टर्स इसके लिए काम करते हैं. कानूनी तौर पर सरनेम बदलने की ज़रूरत ही नहीं है.
उमैद भवन में हिंदू रीति-रिवाजों से हुई शादी के दौरान प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस. प्रियंका चोपड़ा ने शादी के बाद अपने नाम में पति निक जोनास का सरनेम जोड़ लिया है. इसे लेकर भी सरनेम न बदलने वाली महिलाओं को उदाहरण दिया जाता है.
तो ज़रूरी क्या है? ज़रूरी है अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना. भारत में आप दो कानूनों के तहत अपनी शादी रजिस्टर करवा सकते हैं. पहला है हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 और दूसरा है स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954.
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी रजिस्टर कराने के लिए ज़रूरी है कि लड़का-लड़की दोनों हिंदू, बौद्ध, जैन या फिर सिख हों. वहीं स्पेशल मैरिज ऐक्ट में शादी तब रजिस्टर होती है जब दूल्हा-दुल्हन दोनों या कोई एक हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख न हो.
शादी रजिस्टर करने के लिए आपको अपने जिले के मैरिज ऑफिसर के पास आवेदन देना होता है. वो आपसे बर्थ सर्टिफिकेट, एड्रेस प्रूफ, पासपोर्ट फोटो आदि मांगते हैं. आपको डॉक्यूमेंट्स की जांच होती है. हिंदू मैरिज ऐक्ट में डॉक्यूमेंट्स की जांच के तुरंत बाद शादी/रजिस्ट्रेशन की डेट दे दी जाती है. स्पेशल मैरिज एक्ट में आवेदन के बाद 30 दिन का नोटिस दिया जाता है. लड़के और लड़की की तरफ से दिए गए एड्रेस पर नोटिस भेजा जाता है. शादी को लेकर कोई आपत्ति आने पर उसका निवारण करने के बाद शादी/रजिस्ट्रेशन की डेट दी जाती है.
रजिस्ट्रेशन के बाद कुछ दिनों के अंदर मैरिज सर्टिफिकेट या रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट शादीशुदा जोड़े को दे दिया जाता है.
Wedding 1562638572 749x421 सांकेतिक तस्वीर.
अगर कोई महिला अपना सरनेम बदलना चाहे तो उसके लिए क्या तरीके हैं? इसके लिए दो तरीके हैं.
पहला- मैरिज रजिस्टर कराते वक्त एफिडेविट दे दें कि शादी के बाद आप अपने नाम के साथ पति का सरनेम जोड़ना चाहती हैं. तो आपके मैरिज सर्टिफिकेट या मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर ये साफतौर पर लिखा होगा कि शादी से पहले आप क्या नाम लिखती थीं और शादी के बाद क्या नाम लिखेंगी. इसके आधार पर आप भविष्य में और दूसरे डॉक्यूमेंट्स में अपना नाम बदल सकती हैं.
दूसरा तरीका तीन स्टेप्स का है.
- सबसे पहले आपको एक एफिडेविट बनवाना होगा. इसमें आपको अपना पुराना नाम, नया नाम और नाम बदलने की वजह लिखनी होगी. अपना पता भी इसमें देना होगा.
- अपने इलाके में छपने वाले एक हिंदी और एक अंग्रेज़ी अखबार में नाम बदलने से जुड़ा विज्ञापन छपवाना होगा.
- इसके बाद भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिकेशन में एफिडेविट, अखबारों में छपे विज्ञापन, एड्रेस प्रूफ और पासपोर्ट फोटो देकर गजेट में अपने नाम बदलने को लेकर एक नोटिस छपवाना होगा.
इसके बाद आपका नाम या सरनेम बदलने की प्रोसेस पूरी हो जाएगी.
यहां आपको बता दें कि अगर आप शादी के बाद अपना सरनेम बदलने का फैसला लेती हैं तो फिर आपको अपने बैंक अकाउंट, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, पैन कार्ड और दूसरे ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स में भी अपना नाम बदलवाना होगा.

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