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शादी के पहले 'गलती' कर चुकी लड़की को फिर 'कुंवारी' बनाने का दावा करती सर्जरी

ऐसा माना जाता है कि औरतों में एक झिल्ली होती है. जो पहला संबंध बनाने में टूटती है. ये कितना सच है?

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(तस्वीर: फेसबुक/पिक्साबे)
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5 अक्तूबर 2019 (Updated: 14 नवंबर 2019, 09:15 IST)
Updated: 14 नवंबर 2019 09:15 IST
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महाराष्ट्र में कंजरभाट नाम का एक समुदाय है. इनमें एक प्रथा है. शादी के बाद जब दूल्हा-दुल्हन सुहागरात मनाने कमरे में जाते हैं, तो उनके बिस्तर पर सफ़ेद चादर बिछा दी जाती है. ये इसलिए ताकि अगर दूल्हा दुल्हन शारीरिक सम्बन्ध बनाएं तो ये जांचा जा सके कि दुल्हन को खून आया या नहीं. यानी वो कथित रूप से ‘वर्जिन’ है या नहीं.
दुल्हन की 'वर्जिनिटी' पक्की करने का एक ही तरीका जानते हैं वो लोग- पहली बार शारीरिक सम्बन्ध बनाते हुए खून आना. जिसे झिल्ली फटना भी कहते हैं. अगर ब्लीडिंग न हो तो शादी टूट जाती है. ऊपर से लड़की और उसके परिवार की बदनामी अलग. अगर लोगों को अपनी इज्ज़त और शादी बचानी है, तो उन्हें पंचायत को अच्छी-ख़ासी रकम देनी पड़ती है.
ये सिर्फ कंजरभाट समुदाय में नहीं होता. पब्लिक में ये बात गहरे पैठी हुई है कि वर्जिनिटी का मतलब हाइमन या पतली सी झिल्ली होती है. इसे लड़की की इज्ज़त से, उसके चरित्र से जोड़कर देखा जाता है. शायद इसी वजह से दिल्ली एनसीआर के एक क्लिनिक ने ये ऐड देना उचित समझा.
ये है वो ऐड जो आप फेसबुक पर देख सकते हैं. ((तस्वीर: फेसबुक)
ये है वो ऐड जो आप फेसबुक पर देख सकते हैं. ((तस्वीर: फेसबुक)


इसमें 'हाइमनोप्लास्टी' का ऐड दिया गया है. यानी आपकी फटी हुई झिल्ली को वापस जोड़ने की सर्जरी. इसमें ये भी लिखा हुआ है, अपनी अरेंज्ड मैरिज को अफेक्ट करने का मौका अपने पास्ट को न दें. यानी कि अगर आपने पहले ‘सेक्स’ कर लिया है, और आप नहीं चाहतीं कि किसी को पता चले कि आप कथित रूप से ‘कुंवारी’ नहीं हैं, तो चुपचाप आकर ये सर्जरी करा लें.
हमने इस बाबत फोन कर बात करनी चाही इस क्लिनिक में. जानकारी लेने के लिए कि आखिर इस क्लिनिक ने ये ऐड क्यों दिया. उनके पास ऐसे कितने केसेज आते हैं. बार-बार फोन करने पर भी यही जवाब दिया गया कि लोग व्यस्त हैं. बाद में फोन कीजिये. खैर.
सबसे पहले समझें, हाइमन क्या होता है
ज़्यादातर लोगों को लगता है कि एक झिल्ली वजाइना की ओपनिंग को ढक कर रखती है. जब पीनस अंदर जाता है तो ये झिल्ली फट जाती है. मगर ये पूरी तरह सच नहीं है. आप ख़ुद सोचिए. अगर ऐसा होता तो क्या कुंवारी लड़कियां पीरियड के दौरान ब्लीड कर पातीं?
आपने कभी डोनट देखा है? एक विदेशी मिठाई होती है गोल आकार की. बीच में छेद होता है. यानी टायर जैसा छल्ला.
अलग-अलग तरह की क्रीम वाले डोनट.
अलग-अलग तरह की क्रीम वाले डोनट.


हाइमन एक टिश्यू होता है उसी आकार का. ये वजाइना के अंदर होता ज़रूर है, पर डोनट की तरह, इस में भी एक छोटा सा छेद होता है. उसी की बदौलत पीरियड में खून वजाइना के बाहर आ पता है. हाइमन को एक प्लास्टिक की थेली समझिए. ये इलास्टिक की तरह खीचीं जा सकती हैं. फट सकती है. पर टूट नहीं सकती. ठीक वैसे ही हाइमन होता है. अगर आपको लगता है कि हाइमन पहली बार सेक्स करते ही गायब हो जाता है, तो आप गलत हैं. ये कहीं जादू से गायब नहीं होता. ये वहीं रहता है. बस वक़्त के साथ-साथ पतला होता जाता है.
हाइमनोप्लास्टी के पहले और बाद में वजाइना की तस्वीर. (तस्वीर साभार: Manhattan Centre for Vaginal Surgery)
हाइमनोप्लास्टी के पहले और बाद में वजाइना की तस्वीर. (तस्वीर साभार: Manhattan Centre for Vaginal Surgery)


फिर खत्म हो जाता है. जब लड़की पैदा होती है, तब उसका टिश्यूनुमा हाइमन काफ़ी मोटा होता है. पर जैसे-जैसे वो बड़ी होती है, हाइमन पतला होता जाता है. कई सारी वजहों के चलते. जैसे: चलना, दौड़ना, खेल-कूद, और हस्तमैथुन. इन सारी वजाहों से हाइमन पतला होता जाता है और धीरे-धीरे ख़त्म हो जाता है. यही नहीं, उसकी जो ओपनिंग होती है, वो और चौड़ी होती जाती है. जब तक लड़की का शरीर सेक्स के लिए तैयार होता है, तब तक हाइमन काफ़ी पतला हो चुका होता है. और पहली बार सेक्स के दौरान खून आए ही, ऐसा कोई नियम नहीं होता.

हाइमनोप्लास्टी में क्या होता है?

दो तीन तरीके हैं इस सर्जरी के.
1. एक तो बचा हुआ हाइमन इस्तेमाल किया जाता है, उसे वापस स्टिच लगाकर सिल दिया जाता है.
2. दूसरे इसमें जेलेटिन की कैप्सूल्स इस्तेमाल की जाती हैं जिनमें लाल रंग भरा होता है और इंटरकोर्स के दौरान वो फट जाती हैं. ताकि पतिदेव को लगे कि पत्नी ब्लीड कर रही है और सबकुछ सही है.
3. तीसरा, वजाइना के फ्लैप्स का इस्तेमाल करके हाइमन ठीक किया जाता है. इसे ठीक होने में समय लगता है. इसमें कम से कम तीन महीनों तक शारीरिक सम्बन्ध बनाने से बचने की सलाह दी जाती है.
अगर आप गूगल पर हाइमनोप्लास्टी सर्च करें तो आपको ये देखने को मिलेगा कि किस तरह ये क्लिनिक लड़कियों को 'दुबारा वर्जिन' बनाने का वादा करते दिखाई देते हैं.
अगर आप गूगल पर हाइमनोप्लास्टी सर्च करें तो आपको ये देखने को मिलेगा कि किस तरह ये क्लिनिक लड़कियों को 'दुबारा वर्जिन' बनाने का वादा करते दिखाई देते हैं.

इसमें दिक्कत क्या है?

साराह पैटर्सन ब्राउन अपने आर्टिकल एजुकेशन अबाउट द हाइमन इज नीडेड में लिखती हैं,
‘मैंने अपनी 41 महिला कलीग्स से इस बारे में पूछा: 14 (34 फीसद) को अपने पहले शारीरिक सम्बन्ध के दौरान ब्लीडिंग हुई, 26 (63 फीसद) को बिलकुल नहीं हुई, और एक को याद नहीं था इस बारे में.
फिर भी हाइमन को लेकर क्रेज बना दिया गया है. और ये कोई नई बात नहीं है. 1865 में ज्यूइश-ऑस्ट्रियन फिजिशियन जेकब पोलैक ईरान के राजसी दरबार में काम करते थे. उन्होंने बताया कि कुछ दूल्हे हाइमन को लेकर दुल्हन के परिवार को ब्लैकमेल करते थे और उनसे मोटा दहेज़ मांगते थे. जिन परिवारों के पास साधन होते थे, वो पहले से ही तैयार कर लेते थे. वो लड़की को शादी से पहले ही बच्चा पैदा करने वाली दाई के पास ले जाते थे. वो बता देती थी कि लड़की वर्जिन है या नहीं. अगर वो वर्जिन नहीं होती थी, किसी भी कारण से, तो उसका हाइमन वापस सिलवा दिया जाता था. यानी ये घटिया प्रथा नई नहीं है. .
एक लड़की के लिए शादी से पहले ये प्रेशर बनाया जाता है कि उन्हें अपनी वर्जिनिटी साबित करनी है. लड़कों पर ऐसा कोई प्रेशर नहीं होता. (सांकेतिक तस्वीर: पिक्साबे)
एक लड़की के लिए शादी से पहले ये प्रेशर बनाया जाता है कि उन्हें अपनी वर्जिनिटी साबित करनी है. लड़कों पर ऐसा कोई प्रेशर नहीं होता. (सांकेतिक तस्वीर: पिक्साबे)


अब दो बातें, जिसे समझना बहुत जरूरी है:
1. ये ज़रूरी नहीं है कि हर लड़की के हाइमन से खून आए ही. जैसा हमने पहले बताया कि ब्लीडिंग न होने की कई वजहें हो सकती हैं.
2. वर्जिनिटी का कॉन्सेप्ट अपने-आप में बेहद पुराना और परेशान कर देने वाला है. शादी के पहले सेक्स के साथ जुड़ा टैबू, नुकसान लड़कों को भी पहुंचाता है, और लड़कियों को भी. लेकिन इसकी सजा सिर्फ लड़कियां भुगतती हैं. लड़की ने सेक्स किया है या नहीं, इस बात से उसका पूरा चरित्र तय कर दिया जाता है. भले ही वो कितनी भी काबिल, कितनी टैलेंटेड हो. भले ही एक पत्नी और एक पत्नी के तौर पर वो कितनी ही समझदार हो.
चरित्र पर लांछन से बचने के लिए वो इस हद तक जाने को तैयार हो जाती हैं कि खुद को दुबारा ‘वर्जिन’ बनाने की कोशिश करती हैं. सिर्फ खुद को साबित करने के लिए सर्जरी की टेबल तक पहुंच जाती है, अपनी बचत के जरूरी पैसे खर्च करने को तैयार हो जाती है, क्योंकि समाज की बुद्धि के दरवाजे बंद हैं.
और बाज़ार पैसे कमाने के लिए हम औरतों को रूढ़ीवाद के गटर में धक्का देकर विजयी महसूस करता है.


वीडियो: Amazon और Flipkart जैसी ऑनलाइन शॉपिंग सेल से कैसे और फायदेमंद डील निकालें

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