(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
समय के साथ साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है. इंसान चांद और मार्स तक पहुंच गया है. ख़तरनाक बीमारियों के लिए वैक्सीन बन गई है. एक तरक्की और हुई है. रोबोटिक सर्जरी. यानी अब सर्जरी रोबोट्स करेंगे! आमतौर पर इंसान जब सर्जरी करवाने जाता है तो डॉक्टर्स चीरा लगाते हैं. फिर ऑपरेशन किया जाता है. पर रोबोट्स की मदद से ये प्रोसेस बहुत आसान बन गया है. चीरों की ज़रूरत नहीं पड़ती. ज्यादा ब्लड लॉस नहीं होता. पेशेंट जल्दी ठीक भी हो जाता है.
NCBI यानी नेशनल सेंटर फ़ॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन के मुताबिक, पिछले 10 सालों में देश में रोबोटिक सर्जरी के केसेज बढ़े हैं. पिछले 12 सालों में 12,800 से ज्यादा सर्जरीज़ इसकी मदद से की गई हैं. हालांकि ऐसी मशीन बनाने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन्हें बनाने में बहुत पैसे लगते हैं. इसलिए ये सर्जरी काफी महंगी होती हैं. खर्चे के कारण आम आदमी इसे अफॉर्ड नहीं कर पाता. इसलिए कोशिश की जाए कि देश में ये मशीन सस्ते दामों पर बनें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इससे फ़ायदा मिले.
रोबोट्स इंसान द्वारा किए जाने वाले सारे काम कर सकते हैं, ऐसा हम सालों से सुनते आ रहे हैं. पर सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या लोग एक रोबोट से सर्जरी करवाना चाहेंगे? यानी क्या लोग ऐसी टेक्निक पर भरोसा करेंगे? सुनिए एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं.
रोबोट्स अगर सर्जरी करेंगे तो क्या लोग इस टेक्नीक पर भरोसा कर पाएंगे?
ये हमें बताया डॉक्टर सुधीर पी श्रीवास्तव, फाउंडर, एसएस इनोवेशंस, एसएसआई मंत्रा ने.

-ये बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी है कि रोबोट ऑपरेशन करता है.
-सर्जन के हाथ में एक इंस्ट्रूमेंट रहता है.
-यानी वो चीज़ें जो सर्जरी में इस्तेमाल की जाती हैं.
-रोबोट भी यही चीज़ करता है.
-रोबोट अपने आप कुछ नहीं करता है.
-सर्जन रोबोटिक सिस्टम को कंट्रोल करता है.
-ऐसे ऑपरेशन किया जाता है.
-रोबोट का मेन रोल बहुत कॉम्प्लेक्स ऑपरेशन में होता है.
-जो दूसरी तरह से नहीं किए जा सकते.
-जिसमें बड़े-बड़े चीरे लगाने पड़ते हैं.
इस तरह की सर्जरी कैसे होती है?
-शरीर में बहुत छोटे छेद किए जाते हैं.
-इन छेदों से कैमरा डालकर 3D की मदद से देखा जाता है.
-बॉडी के अंदर का अच्छा व्यू मिलता है.
-रोबोट के बाकी हिस्से इन छेदों से शरीर के अंदर डाले जाते हैं.
-इस दौरान सर्जन दूसरी जगह बैठकर स्क्रीन पर देखता है.
-मशीन की मदद से रोबोट को कंट्रोल किया जाता है.
-और ऑपरेशन किया जाता है.
-इसका सबसे बड़ा फायदा है कि शरीर में बड़े चीरे नहीं लगाने पड़ते.
-ठीक होकर घर जाने में ज़्यादा समय नहीं लगता.

-ब्लड लॉस ज्यादा नहीं होता.
-पुराने लाइफस्टाइल में जल्दी वापस जा सकते हैं.
कौन-कौन सी सर्जरी इस टेक्निक से करवा सकते हैं?
-इस टेक्निक का इस्तेमाल यूरोलॉजी से जुड़े ऑपरेशन में किया जाता है यानी मूत्ररोग विज्ञान.
-औरतों से जुड़ी बीमारियों में होता है.
-जनरल सर्जरी में होता है.
-लंग्स सर्जरी में होता है.
-दिल की सर्जरी में होता है.
-मुंह और गले के ऑपरेशन में होता है.
-ये सारे ऑपरेशन रोबोटिक मदद से किए जा सकते हैं.

-ट्रेंड डॉक्टर्स 80 प्रतिशत ऐसी सर्जरी बड़े आराम से कर सकते हैं.
इस तरह की सर्जरी कहां करवा सकते हैं?
-इंडिया में इस समय 100 के करीब रोबोटिक सिस्टम हैं.
-ज़्यादातर हर बड़े अस्पताल में ये रोबोटिक सिस्टम मौजूद हैं.
-दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में 10 ऐसे सिस्टम हैं.
-क्योंकि इसमें ख़र्चा बहुत ज्यादा होता है, इसलिए हमारी आबादी के हिसाब से ये सिस्टम अभी कम हैं.
-हिंदुस्तान में लगभग 70 हज़ार अस्पताल हैं, उसके मुकाबले 100 सिस्टम कुछ भी नहीं हैं.
-इसलिए ज़रूरी है कि रोबोटिक सिस्टम बनने की कीमत कम हो.
-ताकि सभी मरीज़ों को उसकी मदद मिल सके.
ये सर्जरी कितने काम की है, ये तो आपको समझ में आ ही गया होगा. पर जब मैनें डॉक्टर सुधीर से पूछा कि कितना ख़र्चा आएगा, तो उन्होंने ये बात साफ़ की ये सर्जरी एक तो महंगी होती है. और इसकी कॉस्ट अस्पताल और किस तरह की सर्जरी हो रही है, उस पर निर्भर करता है. पर हां, क्योंकि इस सर्जरी में इंसान जल्दी ठीक हो जाता है. जल्दी घर चला जाता है तो ऐसे में अस्पताल में होने वाला ख़र्चा बच जाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये सर्जरी सेफ़ है और काफ़ी कारगर है. तो उम्मीद है आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस तरह की सर्जरी से फ़ायदा मिलेगा.
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