छात्राओं को यौन शोषण से 'बचाने' के लिए JNU की हिदायत पढ़कर सिर पीट लेंगे
यूनिवर्सिटी के मुताबिक, ये लड़कियों को 'जागरूक' करने के लिए है.
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जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय (JNU) एक बार फिर चर्चा में आ गया है. इस यूनिवर्सिटी और विवादों का पुराना रिश्ता है, जिस वजह से ये आए दिन ख़बरों में बनी रहती है. इस बार चर्चा में रहने की वजह है एक नई एडवाइजरी.
जेएनयू की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने महिलाओं को सेक्शुअल हैरेसमेंट से बचने की सलाह देने के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में कहा गया है कि लड़कियों को अपने पुरुष मित्रों के साथ दूरी बनाकर रखनी चाहिए जिससे ऐसे मामलों की कोई नौबत न आए.
एडवाइजरी में क्या लिखा है?
जेएनयू की इंटरनल कम्प्लेन कमिटी यानी ICC ने तय किया कि स्टूडेंट्स को सेक्शुअल हैरेसमेंट से रिलेटेड Do's and Dont's बताए जाएं. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर छपी एडवाइजरी के मुताबिक 17 जनवरी 2022 को पहला सेशन रखा गया है. आगे लिखा गया कि जेएनयू सेक्शुअल हैरेसमेंट के केस में जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाता है. यौन उत्पीड़न के बारे में "लड़कियों और लड़कों दोनों को जागरूक करने के लिए 'काउंसलिंग सत्र' की आवश्यकता है. और स्टूडेंट्स को इस बारे में अवेयर करने के लिए हर महीने ऐसे सेशन रखे जाएंगे."
'काउंसलिंग सत्र' की ज़रूरत क्यों?
इस 'काउंसलिंग सत्र' के पीछे यूनिवर्सिटी ने तीन वजह बताईं.
1. लड़के और लड़कियों को सेक्शुअल हैरेसमेंट के बारे में अवेयर करना. समय-समय पर इस नॉलेज को रिफ्रेश करना.
2. ICC के पास बहुत बार ऐसे केस आते हैं जिसमें करीबी दोस्त ही सेक्शुअल हैरेसमेंट का शिकार होते हैं. लड़के आमतौर पर दोस्ताना मजाक और यौन उत्पीड़न के बीच की (कभी-कभी जान कर, कभी-कभी अनजाने में) पतली रेखा को पार कर जाते हैं.
3. लड़कियों को अपने पुरुष मित्रों के बीच एक रेखा खींचनी जरूरी है ताकि वो उत्पीड़न से बच सकें.
छात्र समूहों ने एडवाइजरी पर विरोध दर्ज किया
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) सहित कई छात्र समूहों ने एडवाइजरी पर विरोध दर्ज किया है. AISA ने एक बयान में कहा - "आईसीसी की यह एडवाइजरी विक्टिम ब्लेमिंग की विचारधारा को उजागर करती है. इससे कोई लाभ होने के बजाय जेएनयू महिलाओं के लिए और अधिक असुरक्षित होगा."
जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की प्रेसिडेंट आइशी घोष ने भी ट्वीट कर इस एडवाइजरी का विरोध किया. आइशी ने लिखा,
"आईसीसी अक्सर ऐसी दकियानूसी टिप्पणियां करता रहा है या पीड़िता को ही नैतिकता सिखाता रहा है."
इस मसले पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट बॉक्स में बताएं.The ICC in JNU makes a blatant victim blaming remark where it asks "women to draw a tangible line to not get harassed by their male members." The ICC time and again in JNU has passed such regressive remarks or conducted itself in a way to moral police the survivor.(1/2) pic.twitter.com/WiMKIZ0gK2
— Aishe (ঐশী) (@aishe_ghosh) December 28, 2021