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बच्चों में बढ़ रहा है हड्डियों को कमजोर करने वाला सूखा रोग, पैरेंट्स ये रिपोर्ट जरूर पढ़ें

सूखा रोग को रिकेट्स भी कहते हैं.

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शरीर की लंबी हड्डियां नरम होने के कारण कुछ टाइम बाद टेढ़ी हो जाती हैं
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30 दिसंबर 2021 (Updated: 30 दिसंबर 2021, 16:55 IST)
Updated: 30 दिसंबर 2021 16:55 IST
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

मनदीप पालमपुर के रहने वाले हैं. उनका एक बेटा है जिसकी उम्र 4 साल है. मनदीप बताते हैं कि जैसे-जैसे उसका विकास हो रहा था, उन्हें और उनकी पत्नी को एहसास हुआ कि उसकी हड्डियां और मांसपेशियां बेहद कमज़ोर हैं. वो न ठीक से खड़ा हो पाता था, न चल पाता था. जब उन लोगों ने डॉक्टर को दिखाया तो पता चला उनके बेटे को रिकेट्स नाम की कंडीशन है. इसे सूखा रोग भी कहते हैं, जिसमें बच्चों की हड्डियां बेहद कमज़ोर हो जाती हैं. कुछ समय मनदीप के बेटे का इलाज चला, पर कोई ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ. हाल में डॉक्टर्स ने उन्हें बेटे की सर्जरी करवाने की सलाह दी है.
मनदीप जानना चाहते हैं कि क्या रिकेट्स का कोई और इलाज उपलब्ध है. वो चाहते हैं हम अपने शो पर इस कंडीशन के बारे में बात करें. ये क्या होता है, क्यों होता है, इसके लक्षण, बचाव और इलाज पर डॉक्टर से बात करें.
अगस्त में NDTV में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिकेट्स के केसेस इंडिया में लगातार बढ़ रहे हैं. दिल्ली में स्थित The Indian Spinal Injuries Centre (ISIC) का कहना है कि उसके यहां पिछले साल से हर महीने लगभग 12 रिकेट्स के केसेस आ रहे हैं. ISIC के मुताबिक ऐसे बच्चों की उम्र 2 से 12 साल के बीच है.
तो सबसे पहले समझते हैं रिकेट्स क्या होता है और आप अपने बच्चे को इसे होने से कैसे बचा सकते हैं. रिकेट्स क्या होता है? ये हमें बताया डॉक्टर दिनेश ने.
डॉक्टर दिनेश लिम्बाचिया, ऑर्थोपेडिक सर्जन, गोकुल सार्वजानिक हॉस्पिटल, सिधपुर
डॉक्टर दिनेश लिम्बाचिया, ऑर्थोपेडिक सर्जन, गोकुल सार्वजानिक हॉस्पिटल, सिधपुर


-रिकेट्स बच्चों में विटामिन डी की कमी के कारण होता है.
-इसमें हड्डियां नरम और कमज़ोर रह जाती हैं.
-हड्डियां ठीक तरह से ग्रो नहीं कर पाती हैं.
-विटामिन डी हमारे शरीर को दो तरह से मिलता है.
-पहला है सूरज की रोशनी, जो विटामिन डी का मेन सोर्स है.
-दूसरा है डाइट.
-सूरज की रोशनी में अल्ट्रावायलेट किरणें होती हैं, वो स्किन के अंदर जाकर विटामिन डी का प्रोडक्शन करती हैं.
-ये विटामिन डी आगे जाकर हड्डियों में कैल्शियम और फॉसफेट डिपॉजिट करता है.
-इससे हड्डियां मज़बूत होती हैं और नॉर्मल तरीके से ग्रो करती हैं.
-अगर किसी भी कारण से शरीर को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलता है तो कैल्शियम और फॉसफेट हड्डियों में सही तरह से डिपॉजिट नहीं हो पाता.
-ऐसे में हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं.
-कुछ समय बाद वो टेढ़ी हो जाती हैं जिसको रिकेट्स कहते हैं.
-ज़्यादातर 6 महीने से लेकर 4 साल के बच्चों में रिकेट्स देखने को मिलता है.
Aetiology of rickets and its dietary management – Dutable रिकेट्स बच्चों में विटामिन डी की कमी के कारण होता है


कारण -पहला कारण है पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं मिलना.
-क्योंकि विटामिन डी का मेन सोर्स सूरज की रोशनी है.
-अगर किसी भी कारण से बच्चे को धूप सही मात्रा में नहीं मिलती है.
-जैसे बच्चा बाहर नहीं खेलता है, धूप में नहीं बैठता.
-धूप की कमी से शरीर में ज़रूरी विटामिन डी नहीं बन पाता है.
-कुछ समय बाद विटामिन डी की कमी हो जाती है.
-जो आगे जाकर रिकेट्स में तब्दील हो जाती है.
-दूसरा कारण है खाना.
-अगर बच्चे को लंबे समय तक ब्रेस्टफ़ीड करवाया जाए और बाहर से कोई सप्लीमेंट न दिया जाए
Research to investigate the prevalence and causes of rickets in remote NW Myanmar — MORU Tropical Health Network ज़्यादातर 6 महीने से लेकर 4 साल के बच्चों में रिकेट्स देखने को मिलता है


-तो भी विटामिन डी की कमी हो सकती है.
-बढ़ती उम्र के साथ विटामिन डी की ज़रूरत ब्रेस्ट मिल्क पूरी नहीं कर पाता.
-वैसे भी ब्रेस्ट मिल्क में विटामिन डी की कमी होती है.
-तीसरा कारण है पेट, लिवर या किडनी की कोई बीमारी.
-जो लंबे समय से चल रही हो.
-उसके कारण विटामिन डी के मेटाबॉलिज्म पर असर पड़ता है. लक्षण -हड्डियों और मांसपेशियों का विकास ठीक तरह से न हो पाना.
-नॉर्मल बच्चे की तुलना में जिन बच्चों को रिकेट्स है या विटामिन डी की कमी है
-उनमें विकास, (बैठना, खड़े रहना, चलना या दौड़ना) ठीक तरह से हो नहीं पाता.
-ये चीज़ें बच्चा जल्दी सीख नहीं पाता है.
-हड्डियों और जोड़ों में सूजन.
-ये ज़्यादातर कलाई और घुटनों के जोड़ों में होता है.
What Is Rickets? - Symptoms And Treatment | familydoctor.org अगर किसी भी कारण से शरीर को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलता है तो कैल्शियम और फॉसफेट हड्डियों में सही तरह से डिपॉसिट नहीं हो पाता


-शरीर की लंबी हड्डियां नरम होने के कारण कुछ टाइम बाद टेढ़ी हो जाती हैं.
-ये ज़्यादातर घुटने के आसपास देखने को मिलता है.
-जिसको नॉक नीज़ कहते हैं.
-खोपड़ी की हड्डियां एकदम नरम हो जाती हैं.
-आगे की तरफ़ सूजन आ जाती है.
-छाती की हड्डियां भी विटामिन डी की कमी के कारण नरम हो जाती हैं.
-उसके आसपास भी सूजन आ जाती है.
-रिकेट्स के कारण बच्चों में दांतों का विकास भी ठीक तरह से नहीं हो पाता. बचाव -बच्चों को ज़रूरी मात्रा में विटामिन डी मिलता रहे,
- इसके लिए रोज़ 20-30 मिनट बच्चे को सूरज की रोशनी मिलनी ही चाहिए.
-ऐसा करने से विटामिन डी शरीर में बनता है.
-रोज़ सुबह बच्चे को कम कपड़ों में 20-30 मिनट सूरज की धूप लगने दी जाए. ठंड में कम कपड़ों में बच्चे को बाहर न लेकर जाएं.
Rickets in Kids - Reasons, Signs, Diagnosis & Remedies रिकेट्स के कारण बच्चों में दांतों का विकास भी ठीक तरह से नहीं हो पाता


-डार्क स्किन के बच्चों में ये टाइम थोड़ा ज़्यादा रखना पड़ता है.
-डार्क स्किन में ज़्यादा मेलानिन होने के कारण, अल्ट्रावायलेट किरणें ठीक तरह से स्किन सोख नहीं पाती है.
-विटामिन डी से भरपूर डाइट दी जाए.
-जब बच्चा 6 महीने के बाद सप्लीमेंट लेना शुरू करता है.
-तब उसे ऐसी खाने की चीज़ें दें जिनमें विटामिन डी की मात्रा ज़्यादा हो.
-जैसे विटामिन डी युक्त दूध, जूस, मिल्क प्रोडक्ट्स और फ़िश ऑइल.
-फ़िश ऑइल में विटामिन डी की मात्रा सबसे ज़्यादा होती है.
-ये सप्लीमेंट्स सही मात्रा में देने से बच्चे में विटामिन डी की कमी नहीं होती है.
-ऐसे रिकेट्स से बचा जा सकता है. इलाज -जिन बच्चों को रिकेट्स डायग्नोज़ हो जाता है, डॉक्टर उन्हें विटामिन डी के सप्लीमेंट देते हैं.
-बच्चे में विटामिन डी की कमी कितनी है, उसकी उम्र, वज़न के हिसाब से विटामिन डी के सप्लीमेंट का डोज़ और कितने समय तक के लिए देना चाहिए, ये तय होता है.
-जैसे-जैसे बच्चा रिकवर करता है, वैसे-वैसे विटामिन डी के सप्लीमेंट का डोज़ और समय कम किया जाता है.
-आमतौर पर 3 महीने से लेकर 6 महीने तक विटामिन डी के सप्लीमेंट देने की ज़रूरत पड़ सकती है.
-ठीक होने के बाद विटामिन डी के सप्लीमेंट बंद कर दिए जाते हैं.
-बहुत ही कम केसेस हैं जिनमें हड्डियों को ज़्यादा नुकसान पहुंच चुका है.
Huge increase in 'Victorian diseases' including rickets, scurvy and scarlet fever, NHS data reveals | The Independent | The Independent जिन बच्चों को रिकेट्स डायग्नोज़ हो जाता है, डॉक्टर उन्हें विटामिन डी के सप्लीमेंट देते हैं


- विटामिन डी के सप्लीमेंट देने के बाद भी कंडीशन ठीक न हो रही हो,
-तो ऐसे में सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है.
लगातार बढ़ते रिकेट्स के केसेस के पीछे एक बड़ी वजह ये कोविड काल भी है. कोविड और लॉकडाउन के दौरान बच्चे घर से ज़्यादा निकल नहीं पाते. बाहर जाकर खेल नहीं पाते, जिसकी वजह से उन्हें पर्याप्त सूरज की रोशनी नहीं मिलती. क्योंकि रिकेट्स होने की वजह शरीर में विटामिन डी की कमी है, और धूप में बिल्कुल न रहने के कारण उन्हें वो विटामिन डी मिल नहीं रहा, इसलिए रिकेट्स के केसेस में बढ़त आई है. पेरेंट्स इस चीज़ का ध्यान रखें कि एक सेफ़ स्पेस में, मास्क लगाकर वो अपने बच्चे को थोड़ी देर धूप में भेजें. क्योंकि धूप मिलना बेहद ज़रूरी है. साथ ही खाने में वो चीज़ें दें जिनसे उनके शरीर में विटामिन डी थोड़ा पहुंचे.

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