कोविड की नई दवा के साइड इफ़ेक्ट ज़रूर जान लो!
मोलनुपिरावीर नाम की दवाई को WHO ने कोविड के इलाज के लिए मंजूरी दी है.
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
देश-दुनिया में कोविड के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं. कोविड के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. इससे लड़ने के लिए पिछले साल दो वैक्सीन इंडिया में लगनी शुरू हुई थीं. कोवीशील्ड और कोवैक्सीन. कुछ समय बाद रूस में बनी वैक्सीन स्पूतनिक वी को भी मंजूरी मिल गई. हालांकि ऐसे कई मामले देखे गए जिनमें दोनों डोज़ लगने के बाद भी कोविड हो गया. डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसा हरगिज़ ज़रूरी नहीं कि दोनों डोज लगने के बाद आपको कोविड नहीं होगा. पर हां, वैक्सीन आपको अस्पताल में एडमिट होने से, क्रिटिकल होने से, और मौत से बचा सकती है. इसलिए वैक्सीन लगवाना बेहद ज़रूरी है.
अभी हाल-फ़िलहाल में ख़बरें आई कि भारत सरकार ने दो नई वैक्सीन को मंजूरी दी है. साथ ही कोविड से लड़ने के लिए एक नई दवाई को भी स्वीकृति दी गई है. हमें सेहत पर बहुत सारे लोगों के मेल्स आए हैं जो इन नई वैक्सीन और दवाई के बारे में जानकारी हासिल करना चाहते हैं. वो जानना चाहते हैं कि ये वैक्सीन और दवाई कौन सी हैं. क्या ये लगवानी चाहिए, ये कैसे काम करती हैं, पुरानी वैक्सीन से कैसे अलग हैं, वगैरा-वगैरा.
कोविड से लड़ने के लिए जितने हथियार हमारे पास हैं, सबके बारे में सही जानकारी होना बेहद ज़रूरी है ताकि आप खुद को और अपने परिवार को बचा सकें. तो सबसे पहले जानते हैं इन नई वैक्सीन के बारे में. किन नई वैक्सीन को मंजूरी दी गई है? ये हमें बताया डॉक्टर राहुल भार्गव ने.
डॉक्टर राहुल भार्गव, प्रिंसिपल डायरेक्टर, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
-कोविड से लड़ने के लिए भारत सरकार ने दो नई वैक्सीन को मंजूरी दी है.
-ये हैं कोवोवैक्स और कॉर्बेवैक्स. ये वैक्सीन पुरानी कोविड वैक्सीन से कैसे अलग हैं? -अभी तक जो वैक्सीन थीं जैसे फाइज़र, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन, ये mRNA प्लैटफार्म की वैक्सीन हैं.
-RNA फॉर्म मतलब जो शरीर में जाकर इम्युनिटी को बढ़ाता है.
-कोवैक्सीन स्वदेशी वैक्सीन है.
-इसमें वायरस को मारा गया, सस्पेंड किया गया और फिर शरीर में डाला गया.
-ताकि शरीर पहचान पाए कि वायरस कैसा दिखता है.
-कोवीशील्ड वैक्सीन में वायरस का एक पार्ट डाला गया ताकि वो शरीर में जाकर उस वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ा पाए.
-नई वैक्सीन जो आई हैं वो प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन हैं.
कोविड से लड़ने के लिए भारत सरकार ने दो नई वैक्सीन को मंजूरी दी है
-कॉर्बेवैक्स वैक्सीन में जहां से वायरस शरीर को इन्फेक्ट करता है, उसके छोटे से प्रोटीन के पार्ट को लेकर यीस्ट में डाला गया.
-यीस्ट में उसको बढ़ाया गया.
-फिर प्यूरिफाई करके उस प्रोटीन के प्रोडक्ट को सस्पेंड करके शरीर में डाल दिया गया.
-ये वैक्सीन 89 प्रतिशत तक असरदार है. जल्दी उपलब्ध होगी.
-इसके दो डोज़ लगते हैं.
-2 से 8 डिग्री में स्टोर की जाती है.
-mRNA वैक्सीन को मायनस 80 डिग्री में स्टोर करना पड़ता था.
-मॉडर्ना 4 डिग्री पर स्टोर की जाती थी.
-कोवीशील्ड और कोवैक्सीन को नॉर्मल तापमान पर स्टोर किया जाता था, ताकि दूर इलाकों में भी लोगों को लग सके.
-कॉर्बेवैक्स को 2-8 डिग्री में स्टोर किया जाता है.
-कोवोवैक्स अमेरिका में बनी वैक्सीन है.
- भारत में इसको सीरम इंस्टिट्यूट ने बनाया है.
-ये भी प्रोटीन संबंधित वैक्सीन है,
-ये प्लैटफार्म हेपेटाइटिस बी वैक्सीन बनाने के काम आता है,
-ये पुराना प्लैटफार्म है,
-इसकी 2 डोज़ दी जाती हैं,
-भारत सरकार ने 1 लाख डोज़ को मंजूरी दी हुई है,
-इसमें वायरस के छोटे से प्रोटीन पार्ट को निकाला जाता है,
कोवीशील्ड और कोवैक्सीन को नॉर्मल तापमान पर स्टोर किया जाता था, ताकि दूर इलाकों में भी लोगों को लग सके
-दूसरे वायरस में डाला जाता है,
-मोथ सेल्स में इन्फेक्ट किया जाता है,
-प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाया जाता है,
-फिर उसको सस्पेंड करके वैक्सीन बनाई जाती है.
-शरीर को लगता है कि वो वायरस का अटैक झेल रहा है.
-ऐसे में वो वायरस से लड़ने के लिए तैयार होता है.
-हर वैक्सीन के अपने-अपने फ़ायदे हैं. कोविड की नई दवाइयां -सिर्फ़ नई वैक्सीन ही नहीं, कुछ नई दवाइयां भी कोविड से लड़ने के लिए मार्किट में उतारी गई हैं.
-मोलनुपिरावीर नाम की दवाई को WHO ने कोविड के इलाज के लिए मंजूरी दी है.
-ये दवाई 18 साल से ऊपर के लोगों में इस्तेमाल होती है.
-ये ओरल दवाई है.
-200 मिलीग्राम की टैबलेट के रूप में आती है.
-800 मिलीग्राम की गोली सुबह और शाम 5 दिनों तक खानी होती है.
-5 दिन से ज़्यादा इस दवाई को नहीं खाना होता.
-हाई रिस्क पेशेंट जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर के मरीजों में इसका फ़ायदा देखा गया है.
-ये दवाई वायरस की बढ़ोतरी को 50 प्रतिशत तक कम करती है.
-इसलिए ये दवाई परेशानी की वजह भी बन सकती है.
मोलनुपिरावीर नाम की दवाई को WHO ने कोविड के इलाज के लिए मंजूरी दी है
-वायरस में म्यूटेशन ला सकती है.
-इसलिए पैनडेमिक के टाइम को बढ़ा सकती है.
-ट्रायल में उल्टी, डायरिया जैसे साइड इफ़ेक्ट 2-3 प्रतिशत लोगों में देखे गए थे.
-उसके अलावा कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं पाया गया.
-प्रेगनेंट औरतें इस दवाई को नहीं खा सकतीं.
-ये दवाई बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है.
उम्मीद है कोविड की नई वैक्सीन और दवाई के बारे में जो जानकारी डॉक्टर राहुल भार्गव ने दी, वो आपके काम आएगी. जिन लोगों ने अभी तक अपने दोनों डोज़ नहीं लगवाएं हैं, वो वैक्सीन ज़रूर लगवाएं. साथ ही मास्क ज़रूर पहनें. अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए.