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दोनों वैक्सीन लगने के बाद कोविड हुआ, फिर भी क्या बूस्टर डोज लेनी चाहिए?

हेल्थ एक्सपर्ट से जानें किन लोगों को बूस्टर डोज़ लेनी ज़रूरी है

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डेटा के मुताबिक भारत के केवल 30-40 एडल्ट जनसंख्या को कोविड का दूसरा डोज़ लगा है
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28 दिसंबर 2021 (Updated: 28 दिसंबर 2021, 11:43 IST)
Updated: 28 दिसंबर 2021 11:43 IST
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(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

दुनियाभर में कोविड-19 के मामले फिर तेज़ी से बढ़ने लगे हैं. इंडिया में भी कोविड फिर रफ्तार पकड़ रहा है. कोविड का एक और नया स्ट्रेन आ गया है, नाम है ओमिक्रॉन. ऐसे में कोविड की तीसरी वेव का डर सबको सता रहा है. इंडिया की क्या तैयारी है, सरकार क्या कर रही है, Lallantop पर हम लगातार इसके अपडेट्स आपको दे रहे हैं. पर एक चीज़ में हम अभी भी पीछे हैं. वो है बूस्टर डोज़. यानी कोविड वैक्सीन का तीसरा डोज़. यूरोप के कई देशों में और अमेरिका में बूस्टर डोज़ लगना शुरू हो चुका है. लेकिन इंडिया में 10 जनवरी से केवल फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को ही बूस्टर डोज़ लगाई जाएगी.
हमें सेहत पर कई ऐसे लोगों के मेल्स आए हैं जो बूस्टर डोज़ के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं. वो जानना चाहते हैं कि क्या बूस्टर डोज़ लेना ज़रूरी है? ये कैसे काम करता है? अगर दोनों वैक्सीन लगवाने के बाद कोविड हुआ है तो फिर क्या बूस्टर डोज लगवानी चाहिए? हाई रिस्क पेशेंट्स के लिए ये सेफ़ है और सबसे ज़रूरी बात, अगर बूस्टर लगवाना ज़रूरी है तो इंडिया में अभी तक ये लगनी शुरू क्यों नहीं हुई है. इन सारे सवालों के जवाब जानते हैं एक्सपर्ट्स से. कोविड-19 से बचने के लिए क्या बूस्टर शॉट लेना ज़रूरी है? ये हमें बताया डॉक्टर मोनिका लांबा ने.
Monika SAINI | Molecular Pathology | MD, DNB, PhD | Université Catholique de Louvain - UCLouvain, Louvain-la-Neuve | UCLouvain | School of Medicine डॉक्टर मोनिका लांबा, एमडी, पीएचडी, बेल्जियम


-जैसे-जैसे कोविड-19 की वैक्सीन पर रिसर्च हो रही है, ये पता चल रहा है कि बूस्टर डोज़ यानी तीसरा शॉट लेना बहुत ज़रूरी है
-इज़राइल के क्लैलिट रिसर्च इंस्टिट्यूट और हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी छापी है
-इसमें पता चला है कि इज़राइल में जहां फ़ाइज़र वैक्सीन का तीसरा डोज़ दिया गया था, वहां क्रिटिकल केसेस में 90 प्रतिशत की कमी पाई गई है
-ये स्टडी 7 लाख लोगों पर की गई है
-इसके अलावा mRNA वैक्सीन बनाने वाली कंपनी जैसे मॉडर्ना, फ़ाइज़र ने भी स्टडी की है
-वायरस बदल रहा है, म्यूटेट हो रहा है, नए स्ट्रेन आ रहे हैं
-सेकंड डोज़ से मिलने वाली इम्युनिटी 6 महीने बाद कम होने लगती है
-इन सब कारणों से बूस्टर डोज़ लेना ज़रूरी है बूस्टर शॉट कैसे काम करता है? -बूस्टर डोज़ की मदद से शरीर की इम्युनिटी को फिर से प्रेरित किया जाता है
-ताकि वो बेहतरीन एंटीबॉडी बना सके और ज़्यादा मात्रा में बना सके
Medical Certificates Needed for Senior Citizens to Get 'Precautionary' Booster Dose सेकंड डोज़ से मिलने वाली इम्युनिटी 6 महीने बाद कम होने लगती है


-इसके अलावा एक प्रक्रिया और भी है जिसे अफ़िनिटी मैच्यूरेशन कहते हैं
-यानी जब कोई वायरस शरीर में आता है तो इम्यून सिस्टम उसे अच्छी तरह से पहचान सके
-साथ ही उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बना सके
-इसके लिए भी बूस्टर डोज़ बहुत ज़रूरी हो जाता है
-जैसे फ्लू की वैक्सीन हर साल दी जाती है ताकि वो नए स्ट्रेन से लड़ सके, ठीक वैसे ही बूस्टर डोज़ में बदलाव किया जाता है ताकि वो नए वायरस से लड़ पाए
-हो सकता है कोविड के नए स्ट्रेन को देखते हुए बूस्टर डोज़ में भी बदलाव किए जाएं दोनों वैक्सीन लगने के बाद कोविड हुआ, फिर भी क्या बूस्टर लेना चाहिए? -इस बारे में अभी डेटा आना बाकी है
-दोनों डोज़ लगने के बाद अगर कोविड होता है तो कितनी इम्युनिटी वो प्रदान कर पाता है, इसके बारे में पता लगना बाकी है
-इसलिए अगर आपको दो डोज़ लगवाने के बाद कोविड होता है तो अपना बूस्टर शॉट ज़रूर लीजिए
-अगर आपने एक डोज़ लिया है तो आप कुछ हद तक सुरक्षित हैं, दोनों डोज़ लिए हैं तो सुरक्षा का कवच थोड़ा और बढ़ जाता है
Moderna says booster dose effective against Omicron - Axios जैसे फ्लू की वैक्सीन हर साल दी जाती है ताकि वो नए स्ट्रेन से लड़ सके, ठीक वैसे ही बूस्टर डोज़ में बदलाव किया जाता है ताकि वो नए वायरस से लड़ पाए


-पर अगर आपको पूरी तरह वैक्सिनेटेड होना है तो आपको बूस्टर डोज़ लेना ज़रूरी है अगर कोविड से बचने के लिए बूस्टर शॉट ज़रूरी है तो इंडिया में बूस्टर शॉट सबको क्यों नहीं लग रहे? -भारतीय अधिकारियों का कहना है कि देश की एडल्ट संख्या को दूसरा डोज़ देने के बाद ही बूस्टर डोज़ के बारे में सोचा जाएगा
-डेटा के मुताबिक भारत के केवल 55% एडल्ट जनसंख्या को ही कोविड की वैक्सीन के दोनों डोज लगे हैं
-पर ये भी देखा जा रहा है कि फ्रंटलाइन वर्कर, बुज़ुर्ग या वो लोग जिनके डोज़ को 6 महीने से ज़्यादा हो गया है, उममें इम्युनिटी कम होने लगी है
-ऐसे लोगों को बूस्टर डोज़ अब दे देना चाहिए हाई रिस्क पेशेंट्स बूस्टर शॉट्स लगवा सकते हैं? -जितने भी हाई रिस्क पेशेंट हैं जैसे- लिवर, किडनी के पेशेंट, जिन्हें डायबिटीज है, हाइपरटेंशन है, जो कैंसर के मरीज़ हैं, जिनकी इम्युनिटी कम है, जिनकी उम्र ज़्यादा है, ये सभी हाई रिस्क पेशेंट्स कहलाते हैं. इन सभी को बूस्टर डोज़ दे देना चाहिए
-यूरोप और अमेरिका में बूस्टर डोज़ देना शुरू कर दिया गया है
-यहां सबसे पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स और हाई रिस्क पेशेंट्स को ही बूस्टर डोज़ दिया गया है
-अगर बूस्टर डोज़ उपलब्ध है तो अपना तीसरा डोज़ ज़रूर लें
-मास्क पहने रहें
booster dose: Govt's scientific groups deliberating on need for booster dose of Covid-19 vaccine, Health News, ET HealthWorld डेटा के मुताबिक भारत के केवल 55% एडल्ट जनसंख्या को ही कोविड के दोनों डोज़ लगे हैं 


डॉक्टर मोनिका की बातें सुनकर एक चीज़ तो साफ़ हो गई है, कोविड से बचने के लिए बूस्टर डोज़ लगवाना ज़रूरी है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि दूसरी डोज़ से मिलने वाली इम्युनिटी कुछ समय बाद कमज़ोर पड़ने लगती है. ऊपर से आए दिन कोविड के नए स्ट्रेन आ रहे हैं. इसलिए जिन लोगों को बूस्टर लगवाने की छूट मिल गई है, वो ज़रूर लगवाएं.

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