हाल ही में फ़ैब इंडिया का ऐड कैंपेन ‘जश्न-ए-रिवाज़’ सोशल मीडिया पर चर्चा का मुद्दा बन गया था. कुछ ने कहा कि ये हिंदू रीति-रस्मों का उर्दूकरण है. कुछ ने कहा कि उर्दू भी ठीक नहीं है, ‘रिवाज़’ नहीं ‘रिवाज’ होता है. अंततः, फैब इंडिया ने कैंपेन का टाइटल बदल ही दिया. फिर आया आमिर ख़ान-स्टारिंग सिएट टायर्स का विज्ञापन. उस पर भी बवाल हुआ. अभी बवाल के बीच में है डाबर का ‘फ़ेम क्रीम’ का विज्ञापन.
क्यों है बवाल?
डाबर का एक ब्यूटी प्रोडक्ट है ‘फेम क्रेम’. चेहरे पर लगाने वाली ब्लीच. डाबर की मार्केटिंग टीम ने करवा चौथ को ध्यान में रखते हुए एक ऐड कैंपेन बनाया. ऐड कैंपेन में समलैंगिक रिश्ते को करवा चौथ के परिदृश्य में दिखाया है.
Well done, Fem/Dabur!
A nice film for a traditional, often-criticized festival by an otherwise conservative brand. pic.twitter.com/gHBTca6jP8
— Abhishek Baxi (@baxiabhishek) October 22, 2021
विज्ञापन में दो लड़कियां हैं. एक लड़की, दूसरे के चेहरे पर ब्लीच फ़ेस पैक लगा रही है और दोनों आपस में करवा चौथ के महत्व के बारे में बात कर रही हैं. फिर एक तीसरी औरत आती है और दोनों को एक-एक साड़ी देती है. इसके बाद, शॉट बदलता है और वे दोनों औरतें छलनी से चांद देखती हैं. इसके बाद रिवायती तौर से अपने साथी की ओर छलनी करती हैं. इस ऐड में भी ऐसा ही होता है. दोनों औरतें चांद को छलनी से देखती हैं, इसके बाद एक दूसरे को छलनी से देखती हैं. फिर वह तीसरी औरत आती हैं (जो संभवतः उनमें से किसी एक की मां है) और दोनों उनके पैर छूती हैं. विज्ञापन के अंत में एक बैकग्राउंड आवाज आती है जो कहती है, “जब ऐसा हो निखार आपका तो दुनिया की सोच कैसे ना बदले!”
क्या कह रही है पब्लिक?
इस पर सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त बवाल है. एक ख़ेमा इस इश्तिहार को प्रगतिशील बता रहा है, तो दूसरा समलैंगिक संबंधों को मेनस्ट्रीम में लाने से नाराज़ है. प्रोग्रेसिव बनने के चक्कर में इस तरह के विज्ञापन को गलत बता रहा है. वहीं कुछ लोगों ने इस विज्ञापन का स्वागत किया. कहा कि यह हिंदू रीति रिवाजों का आधुनिकीकरण है. चली आ रही परंपरा नये और ताजा मूल्यों को सम्मिलित किया गया है.
Wow! Shocked and very pleasantly surprised to see this progressive ad in Indian mainstream advertising! — Dimaagiडाकटर (@chdkidaizy) October 23, 2021
एक दूसरा ख़ेमा है. हिंदू परिधान वाला. उसका कहना है कि ऐसे विज्ञापन हमारे त्योहारों को ख़राब कर रहे हैं. त्योहारों का पश्चिमीकरण कर रहे हैं. समलैंगिक रिश्तों को साज़िशन रीति-रिवाजों में ठूंसा जा रहा है. #Boycott_Fem टि्वटर पर ट्रेंड कर रहा है.
#BoycottFem Your company depends on HINDU festivals , HINDU money And you are ATTACKING HINDU festivals and HINDU sentiments. Listen carefully it can not be tolerate. Boycott DABUR Products. Boycott FEM products.@NSO365 pic.twitter.com/SNfUB2YTFk — सनातनी हिंदु (@Santosh54272657) October 24, 2021
एक ट्विटर यूज़र ने तो लोगों को चेताते हुए यह लिख दिया कि इस प्रोडक्ट से सावधान रहें! यह साबुन सेम जेंडर के प्रति आकर्षण भी बढ़ा सकता है.
#BoycottFem and dabur We have been accepting We have been loving. In return they are attacking on our culture and festival. Boycott FEM Boycott Dabur@NSO365 pic.twitter.com/VJiHvPZhlD — Deep Aarya🇮🇳 (@DeepAarya5) October 24, 2021
कुछ लोग तो इतने नाराज़ हैं कि कह रहे हैं कि शहद भी नहीं खाएंगे. डाबर के सभी प्रोडक्टों का बहिष्कार करेंगे.
एक और ख़ेमा है-
कथित तौर पर संस्कृति बचाने वालों और बिगाड़ने वालों के अलावा, एक और ख़ेमा है. इसका कहना है कि यह पितृसत्तात्मक मूल्यों की ‘रीपैकेजिंग’ है. कई यूज़र्स ने तो ये तक लिख दिया कि करवा चौथ ख़ुद रूढ़ मूल्यों पर आधारित है और इसको मुख्यधारा में लाने के लिए एलजीबीटी समुदाय को मोहरा बनाया जा रहा है.
whats the point of this pride when you’re endorsing colorism AND PATRIARCHAL TRADITIONS??
KUCH BHI KAROGE MATLAB
THIS IS NOT THE QUEER REPRESENTATION WE ASKED FOR
WE DONT NEED REPACKAGED PATRIARCHY, COLORISM, AND OTHER PROBLEMATIC IDEALS https://t.co/Fd9MNRb1Ye— 🏳️🌈 CHEEKOO// ORASAADHA (@anugayeah) October 23, 2021
इस ख़ेमे ने साफ़ तौर पर कह दिया है कि प्रोग्रेसिस बनने के चक्कर में डाबर वालों ने मूर्खता की उत्तम मिसाल क़ायम की है.
I dont know man, this ad feels forced to me. As if inclusivity was an assignment, a checklist was followed just for the sake of it. And they still celebrating the idea of fairness (terming it glow doesn’t fool anyone). https://t.co/A9V3GctjtB — PratsD (@pratsd) October 23, 2021
त्योहारों का मौसम माने इश्तिहारों का मौसम. सोने-चांदी वाले इश्तिहार, सामाजिक मुद्दे वाले इश्तिहार. त्योहारों से संबंधित सामग्री बेचने वाले विभिन्न ब्रैंडों की मार्केटिंग टीमें ख़ूब मेहनत से फेस्टिव-स्पेसिफिक विज्ञापन बनाती हैं. जमकर प्रचार करती हैं. अब इनसे उनका आर्थिक फ़ायदा-नुक़सान क्या होता है, वही जानें! लेकिन कुछ विज्ञापन चर्चा का मुद्दा बन जाते हैं. जैसे फैब-इंडिया, सिएट टायर्स और अब डाबर फ़ेम क्रीम.
हालांकि, यह विज्ञापन एक ब्लीच क्रीम का है और हम सुंदरता को रंगों से मापने के विचार से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते.
आपकी इस विज्ञापन पर क्या राय है, हमें बताएं!
आते ही छा गया कैडबरी कंपनी का नया ऐड, क्या खास है उसमें?