क्या शादी करते ही औरत का सेक्स के लिए न कहने का अधिकार छिन जाता है?
IPC का सेक्शन 375 पत्नी के साथ बिना सहमति के किए गए सेक्स को रेप नहीं मानता है.
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आज बात होगी दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले पर, जिस पर सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई है. बहस पुरानी है लेकिन चर्चा में अभी आई है. ये बहस है शारीरिक संबंधों के मामले में कंसेंट क्या है ये कैसे तय होगा? क्या साथ रहने का मतलब सेक्स के लिए सहमति है? या फिर क्या शादी का मतलब सेक्स के लिए डिफॉल्ट सहमति है? ये मामला एक ज़रूरी सवाल खड़ा करता है कि क्या मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए?
मैरिटल रेप यानी पत्नी के मना करने के बावजूद पति द्वारा जबरन बनाया गया शारीरिक संबंध. फिलहाल ये अपराध नहीं है. IPC का सेक्शन 375 पत्नी के साथ जबरन बनाए गए यौन संबंध को रेप नहीं मानता है. दिल्ली हाई कोर्ट में कई याचिकाएं डालकर इस सेक्शन को बदलकर मैरिटल रेप को अपराध बनाने की मांग की गई है.
मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को कहा था कि शादी के आधार पर ये कैसे तय किया जा सकता है कि एक महिला के साथ हुआ रेप अपराध है या नहीं. जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने सवाल किया था,
“ये एक अविवाहित महिला के केस से इतना अलग क्यों है? ये एक अविवाहित महिला की मर्यादा को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन विवाहित महिला की मर्यादा को इससे कोई हानि नहीं होती? ऐसा कैसे है? इसका जवाब क्या है? क्या वो 'न' कहने का अपना अधिकार खो देती है? क्या रेप को अपराध बनाने वाले 50 देशों ने इसे गलत समझा है?”बेंच ने कहा था कि सेक्शन 375 रेप करने वाले पतियों को बचाने के लिए एक फायरवॉल का काम करता है और कोर्ट को यह देखना होगा कि यह फायरवॉल संविधान के आर्टिकल 14 और आर्टिकल 21 का उल्लंघन तो नहीं करता है? (आर्टिकल 14 बराबरी का और आर्टिकल 21 जीवन और व्यक्तिगत आज़ादी का अधिकार देता है.) Marital Rape को लेकर क्या है सरकार का स्टैंड? दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. 13 जनवरी को केंद्र सरकार ने जवाब दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब तक सभी स्टॉकहोल्डर्स से राय नहीं ली जाती तब तक मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता है. सरकार ने पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमिटी की 2008 और 2010 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मैरिटल रेप को अपराध बनाने के लिए देश के क्रिमिनल लॉ में बड़े बदलाव करने होंगे, किसी खास लेजिस्लेशन में छोटे बदलाव करने से कुछ नहीं होगा. साल 2017 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में नहीं लाया जा सकता है, क्योंकि ये शादी नाम की संस्था को तहस-नहस कर देगा. सरकार ने ये भी कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध बना देने से पत्नियां कानून का गलत इस्तेमाल करके, पतियों को परेशान करेंगी. सरकार ने सबूत जुटाने में मुश्किल, निरक्षरता और संस्कृति का हवाला भी इसके लिए दिया था.
सरकार के अभी के और साल 2017 के स्टैंड से ये तो तय है कि सरकार अब मैरिटल रेप को अपराध बनाने के एकदम खिलाफ नहीं दिखना चाह रही है. हालांकि, वो इसके साथ भी खड़ी नहीं दिख रही है. 17 जनवरी को कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वो हां या न में सरकार का रुख कोर्ट को बताएं, हालांकि SG इसे लेकर कहा कि केंद्र को अपना रुख साफ करने के लिए वक्त की ज़रूरत है. पक्ष-विपक्ष में क्या कह रहे हैं लोग? कोर्ट में सुनवाई चल रही है, तो ज़ाहिर है सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी कुछ लिखा जा रहा है. कई लोग मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखने की मांग कर रहे हैं, वहीं कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं. 16 जनवरी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मैरिटल रेप को लेकर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा,SG: Yes or No is the end of the consultative process. Bench: You get that Yes or No and then we will give you more time. #DelhiHighCourt #MaritalRape
— Bar & Bench - Live Threads (@lawbarandbench) January 17, 2022
"हमारे समाज में जिन चीज़ों को सबसे कम महत्व दिया जाता है, कंसेंट उनमें से एक है. महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे आगे रखना ज़रूरी है."
सीनियर जर्नलिस्ट आंद्रे बोर्जेस ने लिखा,Consent is amongst the most underrated concepts in our society.
It has to be foregrounded to ensure safety for women. #MaritalRape — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 16, 2022
जिन पुरुषों को लगता है कि महिलाओं को न कहने की बजाए, एक अपराध को स्वीकार कर लेना चाहिए वो अपराधी हैं.
भास्कर नाम के यूज़र ने लिखा,Men who believe that women should endure a violent crime, rather than have the right to say no to sex are criminals.
If you're in a marriage that needs to have a law saying you can legally rape your wife, you're a criminal, upholding a viciously criminal law. — Andre Borges (@borges) January 17, 2022
"हमने बहुत बहाने सुन लिए, अब मैरिटल रेप को अपराध बनाने की ज़रूरत है."
We have heard this excuse quite a few times in the past. However, now is the time to make Marital rape an offense. — Bhaskar Bhar (@BhaskarCBhar) January 17, 2022अनिता टैगोर नाम की यूज़र ने लिखा,
"रेप में कोई कंसेंट नहीं हो सकता. कोई महिला रेप की सहमति नहीं दे सकती. चाहे शादी में हो या उसके बाहर."
हालांकि, कई ऐसे लोग हैं जो मैरिटल रेप को अपराध बनाने के खिलाफ खड़े हैं. उनका क्या कहना ये भी देख लेते हैं. रिटायर्ड IPS अधिकारी एम नागेश्वर राव ने लिखा,There can be no consent in rape. No woman can give consent to be raped. In marriage and outside it.#maritalrape
— The Tagore (@anitatagore) January 17, 2022
'शादी का मतलब क्या है अगर पत्नी की मर्ज़ी के खिलाफ सेक्स करने पर पति को जेल जाना पड़े. क्या ये परिवार को बर्बाद नहीं करता? बच्चों को बिगाड़ता नहीं है और शादी नहीं तोड़ता है'एक यूज़र ने लिखा,
पुरुषों को अपने घर में सहमति पत्रों का बंडल लेकर रखना पड़ेगा.
Men will have to keep bundle of Consent Papers in their houses! #MaritalRape pic.twitter.com/cSCv5yr3dJ — Inder Kumar (@InderKumar1894) January 13, 2022एक यूज़र ने एक फोटो डाली, फोटो में दुल्हन बेड पर बैठी है वहीं दूल्हा कम्प्यूटर खोलकर बैठा है. इसमें लिखा है कि मैरिटल रेप क्रिमिनलाइज़ हो जाने के बाद का सीन- पति बैठकर सर्वर पर इंतज़ार करेगा. Scenes after criminalisation of #MaritalRape Groom: Wait a minute abhi portal khul jayega Consent form ka server down hai filaal. pic.twitter.com/XqeB3uCcCM — Mohit Tandel 🏴☠️ (@MohitTandel35) January 14, 2022मैरिटल रेप होने पर महिला के पास अभी क्या रास्ते हैं? लोग बंटे हुए हैं. लेकिन क्या मैरिटल रेप को लेकर हमारे देश में कोई कानून नहीं है, पति की जबरदस्ती की शिकार महिला की क्या कहीं सुनवाई नहीं होती? सुनवाई तो होती है, लेकिन बस सुनवाई होती है. इंसाफ नहीं मिलता. पति के रेप करने पर महिला उसके खिलाफ डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत केस दर्ज कर सकती है. लेकिन ये ऐक्ट केवल केस दर्ज कर सकता है इसमें मैरिटल रेप के लिए सज़ा का कोई प्रावधान नहीं है. औरत को बस एक सहूलियत मिलती है कि इसके आधार पर वो अपने पति से तलाक ले सकती है. मेरी एक दोस्त हैं. वो बताती हैं कि एक बार सड़क चलते एक शख्स ने उनकी जांघों के बीच अपना हाथ डाल दिया था. उस घटना के बाद कई दिनों तक वो बाहर नहीं निकली थीं, उन्हें खुद से घिन आती थी. रेप यौन शोषण की उस घटना से कई गुना ज्यादा हिंसक होता है, कई गुना ज्यादा चोट वो महिला के मन और शरीर पर देता है. कई महिलाएं सिर्फ इसलिए अपने रेपिस्ट के खिलाफ केस दर्ज नहीं करा पाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उससे कुछ होगा नहीं. और कानून नहीं होने की वजह से कई पुरुष पत्नी को अपनी प्रॉपर्टी समझते हैं और उसके साथ जबरदस्ती करते हैं. एक शादी में दो लोगों के बीच क्या होता है, ये उन दोनों की ही निजता के दायरे में आता है. लेकिन उस निजता की आड़ में अगर पत्नी प्रताड़ित हो रही है, रेप का शिकार हो रही है तो उसे प्रोटेक्ट करने के लिए एक कानून बनाए जाने की ज़रूरत है. ऐसा कानून जो उसे किसी पुरुष की संपत्ति बनाकर छोड़ नहीं दे, बल्कि उसे ताकत दे.