अमेरिकी डॉक्टर्स ने बताया, कोरोना हुआ तो बिना अस्पताल गए इस तरह बचाएं खुद को
घर पर देखभाल के साथ ही रेमडेसिविर पर वो बात बताई कि चिंता कम होगी.
Advertisement
मेरे पिता कोरोना पॉज़िटिव हैं. हॉस्पिटल में बेड नहीं मिल रहा. प्लीज़ मदद कीजिए.सोशल मीडिया खोलते ही ऐसे संदेश आम हैं. बेड खोजने जाएं तो ज़मीनी हक़ीक़त खुलकर सामने आ जाती है. एक सच ये भी है कि सभी कोरोना मरीजों को हॉस्पिटल में एडमिट नहीं किया जा सकता. दो कारण हैं. पहला भारत का हेल्थकेयर सिस्टम. और दूसरा ये कि सभी मरीजों को हॉस्पिटल की ज़रूरत भी नहीं. एक्स्पर्ट्स बार-बार दोहरा चुके हैं कि कोरोना के माइल्ड सिम्प्टम वाले पेशेंट घर पर भी रह सकते हैं. बशर्ते, वो सावधानी से रहें. दवा और खुराक का ध्यान रखें. लक्षण बिगड़ने पर ही हॉस्पिटल में एडमिट हों.
कोरोना की वजह से मेरे अंकल का ऑक्सीजन लेवल गिरता जा रहा है. किसी ऑक्सीजन सप्लायर का नंबर दीजिए. प्लीज़
ऐसे ही घर पर रहने वाले मरीजों के लिए कृतिका कुपल्ली ने समाधान निकाला है. कौन हैं कृतिका कुपल्ली? जवाब है FIDSA यानी फेलो ऑफ द इन्फेक्शियस डिसिज़ेस सोसाइटी ऑफ अमेरिका की MD. करीब 12,000 फिज़िशन, साइंटिस्ट और हेल्थ एक्स्पर्ट्स से मिलकर बनी ये संस्था संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों पर काम करती है. कृतिका ने डॉ. मधु पाई और फिज़िशन ज़ैन चागला के साथ मिलकर एक इंफोग्राफिक बनाया. घर पर रहनेवाले कोरोना पेशेंट्स के लिए. इसे बनाने में डॉ. जोएल क्लिनटन से भी टिप्स ली. तीन हिस्सों में बंटे इस इंफोग्राफिक में क्या-कुछ जानकारी है, इसी के बारे में आपको बताते हैं.
#1. कोविड-19 का शुरुआती फेज़ ये सबसे पहली स्टेज है. इंफोग्राफिक के अनुसार कोरोना के शुरुआती लक्षणों में इन-इन बातों का पूरी तरह पालन करना होगा –#COVID19
— Krutika Kuppalli, MD FIDSA (@KrutikaKuppalli) April 21, 2021
has become a public health crisis in #India
leading to a collapse of the healthcare system@paimadhu
@zchagla
and myself developed this infographic (w/help from @drjoelklinton
) with tips to advise people on how to care for themselves at home. Please share! pic.twitter.com/bLHTpy4m9G
1. हम सभी जान चुके है कि कोरोना वायरस सीधा फेफड़ों को अफेक्ट करता है. जिससे शरीर में ऑक्सीजन लेवल घटने लगता है. सबसे पहले घर पर एक ढंग का ऑक्सीमीटर ले आइए. ताकि आप अपने ऑक्सीजन लेवल और पल्स को मॉनिटर कर सकें.
2. मास्क पहनिए मास्क. ‘मुझे तो कोरोना हो चुका है, अब मास्क पहनने की क्या जरूरत’. ऐसा सोचना बेवकूफी है, बहादुरी नहीं. साथ ही अपने परिवार वालों को भी मास्क पहनने को कहिए. ये वायरस को नियंत्रण में लाने का सबसे बेसिक तरीका है.
3. खिड़कियां खोलिए. ताकि घर में सही मात्रा में वायुसंचार हो सके.
4. घर में खुद को आइसोलेट कर लीजिए. ताकि दूसरे सदस्यों को संक्रमित होने के खतरे से बचा सकें. इस दौरान प्रॉपर रेस्ट लीजिए.
5. पानी का नाम सुनकर ‘भूल भुलैया’ वाले छोटे पंडित की तरह घबराना नहीं है. बल्कि, भरपूर पानी पीजिए. मम्मी की शिकायतें भी दूर हो जाएंगी और साथ ही आपकी बॉडी भी हाइड्रेटिड रहेगी.
अब बारी आती है दूसरे हिस्से की.
पानी पीने में कोई कंजूसी नहीं करनी. फोटो - इंडिया टुडे फाइल
#2. जब ऑक्सीजन सेचुरेशन 92% से ज़्यादा हो इसका ज़िक्र हो चुका है कि कोरोना की वजह से बॉडी का ऑक्सीजन लेवल गिरने लगता है. इसलिए कोरोना के मरीजों को हमेशा ऑक्सीजन लेवल मॉनिटर करने की सलाह दी जाती है. इंफोग्राफिक के इस हिस्से में बताया गया है कि तब क्या करना चाहिए जब आपका ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 92% से ज़्यादा हो.
1. कोरोना में अकसर लोगों को बुखार और शरीर में दर्द की शिकायत होती है. उसके लिए कहा गया कि आप पैरासेटामॉल ले सकते हैं. आमतौर पर भी पैरासेटामॉल नॉर्मल फीवर के लिए प्रिस्क्राइब की जाती है.
2. पानी पीजिए. भरपूर पानी पीजिए. साथ ही ORS भी ले सकते हैं. ये सब इसलिए ताकि बॉडी में पानी की सही मात्रा बनी रहे.
3. सोने के लिए प्रोन पोज़िशन अपनाइए. प्रोन पोज़िशन यानी पेट के बल सोना. बताया जाता है कि इस प्रैक्टिस से कोरोना मरीजों के फेफड़ों को ज़्यादा ऑक्सीजन मिलता है. पिछले दिनों इस दावे को लेकर एक वीडियो भी वायरल हुआ था. उस दावे की जांच करते हुए हमारे साथी मुरारी ने विस्तार से प्रोन पोज़िशन पर स्टोरी की थी. जिसे आप यहां
पढ़ सकते हैं.
4. इनहेल्ड बडसोनाइड यूज़ करें. आमतौर पर ये अस्थमा के मरीजों को प्रेस्क्राइब किया जाता है. ताकि वो अपनी सांस की कमी पूरी कर सकें. इंफोग्राफिक के मुताबिक दिन में दो बार इनहेल्ड बडसोनाइड से सांस खींचिए. इससे सांस की कमी जैसी शिकायतें दूर रहेंगी.
अब आता है तीसरा और सबसे क्रिटिकल हिस्सा. क्या करें जब ऑक्सीजन लेवल गिरने लगे.
लगातार अपने ऑक्सीजन लेवल को मॉनिटर करते रहिए.
#3. जब ऑक्सीजन सेचुरेशन 92% से नीचे हो इस हिस्से में पांच बातें हैं, जिनका सख्ती से पालन किया जाना जरूरी है.
#1. डेक्सामेथासोन की 6 एमजी की एक टैबलेट रोज़ाना लेनी है. वो भी दस दिनों तक. डॉक्टर्स डेक्सामेथासोन को रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी गतिविधियों के लिए प्रिस्क्राइब करते हैं. साथ ही इसे कुछ खास किस्म की एलर्जी के दौरान भी लेने का परामर्श देते हैं.
#2. घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर रखिए. चाहे छोटा ही सही. ताकि जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन लेवल को स्टेबल रखा जा सके.
#3. ऑक्सीजन लेवल मॉनिटर करते रहिए. अगर ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 85% से नीचे गिरने लगे या शरीर की ऑक्सीजन की आवश्यकता 4 लीटर प्रति मिनट होने लगे, तो फौरन हॉस्पिटल की मदद लीजिए.
#4. सोने के लिए प्रोन पोज़िशन अपनाइए.
#5. हर थोड़ी देर में पानी पीते रहिए. साथ ही बुखार आने पर पैरासेटामॉल भी ले सकते हैं.
# पॉइंट्स टू बी नोटेड
रेमडेसिविर क्यों कर कोरोना मरीज को नहीं दी जा सकती, इसपर भी बात की अपने इंफोग्राफिक में.
रेमडेसिविर और टोसिलीजुमाब. कोरोना मरीजों को प्रिस्क्राइब किए जाने वाले दो वायल. जिन्हें इंजेक्शन में भरकर दिया जाता है. दोनों के नाम का बहुत हल्ला मच रहा है कि रेमडेसिविर मार्केट से खत्म हो गई. तो कहीं इसके कालाबाज़ारी की भी खबरें आ रहीं हैं. बड़ी आबादी नहीं जानती कि ये दोनों इंजेक्शन हर कोरोना मरीज को प्रिस्क्राइब नहीं किए जाते. केवल क्रिटिकल केसेस में ही ये यूज़ किए जाते हैं. इंफोग्राफिक में रेमडेसिविर और टोसिलीजुमाब के यूज़ का भी मेंशन है. रेमडेसिविर के लिए बताया गया कि ये सिर्फ सिम्प्टम्स की अवधि कम कर सकती है. मॉर्टेलिटी कम नहीं कर सकती. साथ ही इसे केवल लो-ऑक्सीजन सेचुरेशन वाले मरीजों को दिया जाना चाहिए. वो भी फिज़िशन की देखरेख में.
टोसिलीजुमाब के लिए लिखा गया कि ये सिर्फ क्रिटिकल मरीजों को दिया जाना चाहिए. जिनकी बॉडी को 10 लीटर या उससे ज़्यादा ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही हो.
इस महामारी से लड़ने के लिए हमें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी ध्यान देने की जरूरत है. हेल्दी खाइए. प्रॉपर रेस्ट लीजिए. घर से बाहर तभी निकालिए जब बेहद ज़रूरी हो. वो भी मास्क लगाकर.