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स्लिप डिस्क की तकलीफ़ है तो डॉक्टर्स की ये सलाह ज़रूर मानें

अगर लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं तो सतर्क हो जाइए.

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स्लिप डिस्क रीढ़ की हड्डी के किसी भी भाग में हो सकता है
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12 फ़रवरी 2021 (Updated: 12 फ़रवरी 2021, 06:07 IST)
Updated: 12 फ़रवरी 2021 06:07 IST
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.

नंदन सैंतीस साल के हैं. गोंडा के रहने वाले हैं. उनके शरीर के बाएं हिस्से में काफ़ी दर्द रहता था. धीरे-धीरे ये दर्द हाथों और पैरों में भी होने लगा. रात में ये तकलीफ़ और भी ज़्यादा बढ़ जाती थी. न वो करवट ले पाते थे न ही सीधे लेट पाते थे. खड़े होने में, चलने में, बैठने में सबमें बहुत दर्द होता था. पीठ में ख़ासतौर पर उन्हें झनझनाहट होती थी. डॉक्टर को दिखाने पर कन्फर्म हुआ उन्हें स्लिप डिस्क है. फिर उनका इलाज शुरू हुआ. पर नंदन बताते हैं उन्होंने डॉक्टर को दिखाने में बहुत ढिलाई दिखाई. जब दर्द शुरू हुआ था उन्हें तब ही दिखा लेना चाहिए था. अपने आप पेन किलर नहीं खानी चाहिए थीं. अब नंदन चाहते हैं हम स्लिप डिस्क के बारे में लोगों को बताएं क्योंकि ये काफ़ी आम समस्या है. क्या होता है स्लिप डिस्क? ये हमें बताया डॉक्टर शिवानी ने.
डॉक्टर एल. शिवानी, एमपीटी न्यूरोलॉजी, आरोग्य फिजियोथैरेपी क्लिनिक, छत्तीसगढ़
डॉक्टर एल. शिवानी, एमपीटी न्यूरोलॉजी, आरोग्य फिजियोथैरेपी क्लिनिक, छत्तीसगढ़


-हमारी रीढ़ की हड्डियों के बीच छोटी-छोटी डिस्क होती हैं जो बहुत ही मुलायम होती हैं. इनके कारण रीढ़ की हड्डी आराम से अपना काम कर पाती है. ये डिस्क रीढ़ की हड्डियों के बीच में मौजूद गैप को बनाकर रखती है. कई बार चोट या रीढ़ की हड्डियों के चारों तरफ़ मौजूद मांसपेशियों में कमज़ोरी आने की वजह से डिस्क अपनी जगह से हटकर बाहर निकल जाती है. इस कारण डिस्क के आसपास मौजूद नसों पर प्रेशर पड़ता है. इसे ही स्लिप डिस्क कहा जाता है.
-स्लिप डिस्क रीढ़ की हड्डी के किसी भी भाग में हो सकता है, लेकिन ज़्यादातर ये कमर की हड्डी और गर्दन की हड्डी के बीच में देखा जाता है.
कारण
-स्लिप डिस्क होने का सबसे आम कारण है ग़लत पोजीशन में बैठना, लेटना, खड़े होना और चलना
-ग़लत पोजीशन में बैठने की आदत ज़्यादातर उन लोगों को होती है जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं. जैसे बैंक में काम करने वाले लोग, ऑफिस में काम करने वाले लोग, टीचर्स और स्पोर्ट्स प्लेयर्स
-एक ही पोज़ीशन में लंबे समय तक बैठकर काम करने से डिस्क पर प्रेशर पड़ता है और स्लिप डिस्क होने के चांसेज़ बढ़ जाते हैं
-एक्सीडेंट या स्पोर्ट्स खेलते हुए इंजरी होना. इनकी वजह से भी स्लिप डिस्क हो सकता है
-डिलीवरी के बाद स्पाइन (रीढ़ की हड्डी) के शेप में बदलाव आने की वजह से भी स्लिप डिस्क हो सकता है
Image result for slip disc स्लिप डिस्क का सबसे आम लक्षण है कमर से लेकर एड़ी तक दर्द


-अधिक वेट गेन. ज़्यादा वेट गेन करने से भी हमारी रीढ़ की हड्डी के शेप में बदलाव आता है
-पोषण की कमी और उम्र के साथ बदलाव. बढ़ती उम्र के साथ शरीर बदलता है. इसमें हमारे शरीर में मौजूद जो भी न्यूट्रीएंट होते हैं ख़ासतौर पर हड्डी या मांसपेशियों में, वो कम होने लगते हैं. इसके कारण मांसपेशियों में कमज़ोरी आती है और डिस्क के ऊपर प्रेशर पड़ता है.
-इनके अलावा तंबाकू के इस्तेमाल से भी स्लिप डिस्क हो सकता है. तंबाकू में टॉक्सिन (शरीर को नुक्सान पहुंचाने वाली चीज़) होते हैं. टॉक्सिन डिस्क में मौजूद पोषण को सोखने की ताकत को कम कर देता है. इस कारण स्लिप डिस्क होने के चांसेज़ रहते हैं
-जो लोग अपना ज़्यादातर वक़्त सोते हुए बिताते हैं, एक्सरसाइज़ नहीं करते, उनकी मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं और इसके कारण स्लिप डिस्क हो सकता है
अब बात करते हैं इसके लक्षणों की और साथ ही जानते हैं इलाज.
लक्षण
-स्लिप डिस्क का सबसे आम लक्षण है कमर से लेकर एड़ी तक दर्द
-ये हिस्सा सुन्न सा महसूस होता है
-ये दर्द कूल्हों और जांघों तक भी महसूस हो सकता है
-इस दर्द को सायटिका(Sciatica) कहते हैं. कई लोगों को लगता है ये एक बीमारी है पर ये स्लिप डिस्क का ही लक्षण है
-सायटिक (Sciatic Nerve) एक मोटी नस होती है जो कमर से निकलकर पैरों तक जाती है
-स्लिप डिस्क अगर कमर में हुआ है तो इसी नस पर प्रेशर पड़ता है
-इसके अलावा मांसपेशियों में कमज़ोरी महसूस होती है
Image result for slip disc ज़्यादा वेट गेन करने से भी हमारी रीढ़ की हड्डी के शेप में बदलाव आता है


-पैरों में झनझनाहट महसूस होती है
-चलते समय दर्द बढ़ जाता है
-छींकते या हंसते समय भी दर्द बढ़ जाता है
बचाव
-स्लिप डिस्क से बचाव का सबसे आसान और अच्छा तरीका है कि आप सही पोज़ीशन में बैठे, लेटे, खड़े हों और चलें
-लगातार काम करते समय किसी एक पोज़ीशन में न रहें
-हर 30 से 40 मिनट में अपनी पोज़ीशन को बदलते रहें
-एक्सरसाइज़ करें
इलाज
-स्लिप डिस्क का इलाज उसकी ग्रेडिंग यानी वो कितना सीरियस है, उसपर निर्भर करता है
-स्लिप डिस्क में ग्रेड 1 से 4 के बारे में MRI (शरीर को एक मशीन में डाला जाता है) की मदद से पता चलता है
-स्लिप डिस्क के ग्रेड 3 तक के केस में फिजियोथैरेपी और दवाइयों से 100 प्रतिशत तक इसका इलाज किया जा सकता है
-ग्रेड 4 के केस में, जिसमें डिस्क की झिल्ली फट जाती है, उसमें सर्जरी बहुत ज़रूरी होती है
-सर्जरी के बाद फिजियोथैरेपी से इसका इलाज किया जा सकता है
कोई भी एक्सरसाइज़ बिना अपने डॉक्टर की इजाज़त और निगरानी के हरगिज़ न करें.


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