(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
मनोज पटना के रहने वाले हैं. 47 साल के हैं. उन्हें काफ़ी समय से आर्थराइटिस की शिकायत है. जोड़ों में बहुत दर्द रहता है. इसलिए इलाज के साथ साथ उन्हें कई पेनकिलर भी दिए जाते हैं. ताकि दर्द कंट्रोल में रहे. अब इन दवाइयों की मदद से उन्हें दर्द से तो रहत मिलती थीं, पर धीरे-धीरे इन पेनकिलर ने मनोज के लिए और बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी. क्योंकि ये दवाएं सालोंसाल चलीं, इनका असर किडनियों पर पड़ा.
पिछले साल मनोज को कुछ लक्षण महसूस होने शुरू हुए. उनके पैरों और शरीर में सूजन रहती. पेशाब बहुत कम होने लगा. वज़न अपने आप घटने लगा. जब मनोज ने डॉक्टर को दिखाया तो उनके कुछ टेस्ट हुए. किडनियों का टेस्ट हुआ तो पता चला, उनकी एक किडनी लगभग काम करना बंद कर चुकी है. ऐसे में उनको किडनी फेलियर हो सकता था, इसलिए तुरंत डायलिसिस शुरू किया गया. लगभग एक साल बाद, उनकी हालत स्थिर है.
मनोज चाहते हैं कि हम किडनी फेलियर पर एक एपिसोड बनाएं. इसके कारण, लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में बात करें. साथ ही ये भी बताएं कि क्या पेनकिलर खाने से किडनी पर असर पड़ता है? तो ये सारे सवाल हमने पूछे डॉक्टर्स से. जानिए क्या पता चला.
किडनी फ़ेल होने का क्या मतलब है, इससे क्या हेल्थ रिस्क है?
ये हमें बताया डॉक्टर अनुराग ने.

-किसी भी बीमारी के कारण अगर किडनियां काम करना कम कर दें या बंद कर दें, तो उससे होने वाली सिचुएशन को किडनी फेलियर कहा जाता है.
-हेल्थ रिस्क को समझने के लिए, किडनियां क्या काम करती हैं, ये जानना ज़रूरी है.
-किडनियां शरीर में मौजूद अनावश्यक पदार्थों को खून से निकालती हैं.
-अत्यधिक पानी को शरीर से निकालती हैं.
-शरीर में नमक जैसे सोडियम और पोटाशियम को बैलेंस करती हैं.
-इसके अलावा कुछ ऐसे पदार्थ बनाती हैं जो शरीर को हेल्दी रखने के लिए बहुत ज़रूरी हैं.
-जैसे एरीथ्रोपोईटिन, जो हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है.
-विटामिन डी, जो हड्डियों के स्वास्थ के लिए ज़रूरी है.
-साथ ही रेनिन नाम का पदार्थ बनाती हैं जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है.
कारण
-डायबिटीज और हाइपरटेंशन किडनी फेलियर के मुख्य कारण हैं.

-इसके अलावा आर्थराइटिस के मरीज़ या वो लोग जिनको शरीर में बहुत दर्द होता है, वो ज़्यादा मात्रा में पेनकिलर खाएं जो NSAID ड्रग्स ( नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं) होते हैं, उनसे भी किडनी फेल हो सकती है.
-जिन लोगों को किडनी में स्टोन है या किडनी के रास्ते में रुकावट है, अगर वो सही समय पर इसका इलाज न करवाएं और रुकावट बनी रहे तो पीठ पर प्रेशर पड़ने के कारण किडनी खराब हो सकती है.
-कुछ लोगों को जन्म से कुछ बीमारियां होती हैं जैसे पॉलीसिस्टिक डिजीज, इम्युनिटी से जुड़ी बीमारियां या नेफ्रोपैथी, ये भी किडनी खराब होने के कारण हो सकते हैं.
लक्षण
-शरीर में सूजन आना, पैरों में सूजन आना शुरुआती लक्षण हो सकते हैं
-पेशाब की मात्रा का कम होना
-पेशाब में ज़्यादा झाग बनना
-सांस फूलना
-भूख न लगना
-शरीर में खुजली होना
-ब्लड प्रेशर ज़्यादा होना और कंट्रोल में न आना
-कुछ लोगों में शुरुआती दौर में कोई भी लक्षण नहीं दिखते
-ऐसे लोगों में किडनी फेलियर एक साइलेंट किलर होता है
-कोई भी लक्षण नहीं दिखते पर जब किडनी पूरी तरह से खराब हो जाती है तब पता लग पाता है.

बचाव
-35 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को किडनी फंक्शन टेस्ट ज़रूर करवाना चाहिए.
-ये टेस्ट सिरम क्रिएटिनिन नाम से जाना जाता है. बेहद आसानी से हो जाता है.
-अगर किसी को या उसके माता-पिता को ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की बीमारी है तो किडनी का टेस्ट ज़रूर करवाना चाहिए.
-डायबिटीज और ब्लड प्रेशर रहता है तो सही समय पर इलाज लेना चाहिए और उन्हें कंट्रोल में रखना चाहिए.
-जो स्टोन के मरीज़ हैं या जिन्हें पेशाब के रास्ते में रुकावट है, उन्हें सही समय पर इलाज करवाना चाहिए, ऑपरेशन करवाना चाहिए.
-अनप्रोफेशनल लोगों की सलाह न लें.
इलाज
-जब किडनी का बचाव न किया जा सके तब डायलिसिस ही एक विकल्प रह जाता है.
-ऐसे लोग डायलिसिस पर निर्भर हो जाते हैं.
-हर 3-4 दिन में डायलिसिस करवाना पड़ता है.

-किडनी ट्रांसप्लांट डायलिसिस का एक विकल्प है.
-किडनी डोनर 2 प्रकार के हो सकते हैं.
-वो लोग जिनकी किसी आकस्मिक कारण से मौत हो जाए और उनके परिवार के लोग अपनी मर्ज़ी से किडनी देने के लिए तैयार हो जाएं.
-या परिवार के ही लोग अपनी मर्ज़ी से अपनी किडनी मरीज़ को डोनेट कर दें.
-किडनी डोनेशन के बाद इंसान स्वस्थ रह सकता है.
जिन लोगों को ज़्यादा पेनकिलर खाने की ज़रूरत पड़ती है, वो डॉक्टर साहब की बातों पर ख़ास ध्यान दें. हां. पेनकिलर खाने से आपकी किडनियों पर असर पड़ता है. दूसरी बात, आपकी किडनी ठीक तरह से काम कर रही हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए टेस्ट मौजूद हैं. अगर आपको डॉक्टर बताए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो ये टेस्ट ज़रूर करवाएं ताकि समय रहते इसका पता चल सके और किडनी फेलियर की नौबत न आएं.
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