कर्नल संजय पंडे (Col Sanjay Pande). इंडियन आर्मी से रिटायर्ड कर्नल हैं. अपना यूट्यूब चैनल चलाते हैं. दिल्ली में रहते हैं. 8 मई को उन्होंने एक ट्वीट किया. उसमें बताया कि कैसे सिंगल पैरेंट होने के बावजूद उन्होंने मिलों दूर रह रही अपनी गर्भवती बेटी का ध्यान रखा.
पैरेंटिंग बहुत बड़ी और कठिन ज़िम्मेदारी है. ये ज़िम्मेदारी सिंगल पैरेंट के लिए और बढ़ जाती है. कर्नल ने बताया जब उनकी बेटी ने बताया कि वो मां बनने वाली हैं, तब उन्होंने अपनी बेटी के लिए मां और बाप दोनों बनने का फैसला लिया.
उन्होंने ट्वीट किया,
“मेरी पत्नी इस दुनिया में नहीं रहीं. उनके जाने के एक साल बाद मुझे मेरी बेटी ने बताया कि मैं नाना बनने वाला हूं. ट्रेडिशनली देखा जाए तो पिता होने की वजह उसकी प्रेग्नेंसी के दिनों में, पोस्ट प्रेग्नेंसी, बच्चे की ग्रोथ के दिनों में मैं यूज़लेस होता. लेकिन मैं फाइटर हूं.”
वो आगे लिखते हैं,
“उसी दिन मैंने अपनी बेटी की मां बनने का फैसला किया. यूट्यूब और बुजुर्गों से जानकारी लेकर उसका डायट प्लान किया. रातभर जाग कर रिसर्च की और 30 दिनों के लिए लड्डू का फर्स्ट बैच तैयार कर दिया. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत थी दिल्ली और यूके के बीच की दूरी.”
2. I decided to be my daughters ‘mother’. Right from the day she informed me, I planned her traditional diet, learnt by researching through nights, YouTube, elders, books and everything I could lay my hands on. The FIRST batch of laddus for 30 days was ready. Problem? Delhi & UK! — Col Sanjay Pande (Retd) (@ColSanjayPande) May 8, 2022
उन्होंने बताया कि उन्होंने लड्डुओं को फूड ग्रेड प्लास्टिक में वैक्यूम पैक किया, उन्हें 96 घंटे तक फ्रीज़ करके रखा ताकि उन्हें बिना किसी दिक्कत के यूके भेजा जा सके. वो लिखते हैं,
“पहले बैच ने मेरी बेटी की जान बचाई क्योंकि वह कुछ नहीं खा रही थी. 15 दिन बाद दूसरे अलग तरह के लड्डू बनाकर मैंने फ्रीज किये. 21वें दिन वो पार्सल करवाया”.
उन्होंने लिखा कि इसके बाद उनका एक साइकल शुरू हो गया, बेटी के लिए पौष्टिक लड्डू बनाने का. ताकि उन्हें यूके में रहते हुए वो सारे न्यूट्रिएंट्स मिलें जो अगर वो यहां होती तो उनकी मां उन्हें देती. उन्होंने लिखा,
“प्रेग्नेंसी में जो भी पौष्टिक खाना भारतीय मां बनाती है वो सब मैंने अुपनी बेटी के लिए बनाया. सफाई, कैलोरी, लड्डू का वेट सब चीजों का मैंने ध्यान रखा”.
4. The cycle started. Every type of healthy & nutritious food that a traditional Indian mother would give to her daughter, was made by me personally. Hygiene, calculation of nutrients, calories, weight of laddus, storing technique etc. all were meticulously written down. — Col Sanjay Pande (Retd) (@ColSanjayPande) May 8, 2022
आगे बताते हैं,
“आठवां, सातवां, छठा, पांचवां, चौथा, तीसरा, दूसरा और आखिरी महीना. मैंने उसे सभी न्यूट्रिएंट्स वाली चीजें खिलाई. CoVID में जो यहां उसे मिलता वो सब मैंने उसके लिए वहां भेजा. पोस्ट प्रेग्नेंसी मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती थी.”
कर्नल संजय पंडे लिखते हैं कि बच्चे के जन्म के बाद की केयर के लिए उन्होंने फिर से रिसर्च करना शुरू किया. ऐसी चीज़ों के बारे में खोजा जो दूध आने में मदद करते हैं. उन्होंने लिखा,
“फिर से मैंने ऐसे खानों, सुपरफूड्स पर रिसर्च किया जो लैक्टेशन या दूध बढ़ाने में मदद करते हैं. रिसर्च करके मैंने सारी चीज़े अगस्त में भेजी. कुछ महीनों बाद मैं यूके गया. वहां मैंने बल्क में सारी चीज़ें बनाई. चाहे वो गार्डन क्रेस हो, मेथी और एडिबल गम हो”.
6. Again research, foods & super foods helping in lactation or increasing milk etc was studied and the first lot was dispatched in August. It continued for each month. I visited UK and made in bulk. Whether it was Garden Cress, Edible Gum, Methi, Shatawari or many such things, — Col Sanjay Pande (Retd) (@ColSanjayPande) May 8, 2022
फिर कर्नल ने बताया,
“इंग्रेडिएंट्स को मिक्स करने, उनकी कैलरी को मेंटेन करने में मैं मास्टर हो गया. और उनका असर मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा था. जनवरी, 2019 से अब तक मेरी बेटी को उसका पिता, यानी मैं मदर्स स्पेशल फूड लगातार भेज रहा था. एक साल बीत चुका है और मेरे ग्रैंड किड के दिन की शुरुआत मेरे हाथ के बनाए लड्डू से होती है.”
आगे के ट्वीट में लिखा,
“आज मैं 12 से ज़्यादा तरह के लड्डुओं की रेसिपी जानता हूं. जिनकी ज़रूरत एक महिला को प्रेग्नेंसी के दिनों से लेकर बच्चा पैदा होने के बाद एक साल तक होती है. मुझे अपने आप पर गर्व महसूस होता है कि मैंने अपनी पत्नी को निराश नहीं किया. मेरी बेटी कहती है कि वो दूसरों की बनाई हुई चीजों को छूती भी नहीं है.”
8. day. Today I have perfect recipes of more than 12 laddus that women require from conception to the baby crossing a year of age. I feel so proud of myself that I did not let my wife down. My daughter swears by me and refuses to touch anything given by others. Interesting? — Col Sanjay Pande (Retd) (@ColSanjayPande) May 8, 2022
आखिरी पोस्ट में कर्नल ने लिखा,
“मैंने जनवरी 2019 से आज तक जो कुछ भी किया वो मेरा फर्ज था. मैं ट्विटर के मित्रों के कमेंट्स, लाइक्स और उनके दिए हुए सुझावों से हैरान हूं. आप सभी ने मुझे आज रुला दिया. आप सभी को प्यार.”
9. I never realised that what I did from Jan 2019 up to today was anything but my duty. A random thought triggered the thread today. I am amazed at response, comments, suggestions & kind words from Twitter friends. Admitting unashamedly, you all made me cry today. Love you all.
— Col Sanjay Pande (Retd) (@ColSanjayPande) May 8, 2022
प्रेग्नेंसी में बेटी का ख्याल रखना, उसके लिए पौष्टिक खाना बनाना ताकि उसकी इम्युनिटी बनी रहे, ये सब खालिस औरतों के काम माने जाते हैं. माने जाते हैं, हैं नहीं. ये जेंडर न्यूट्रल काम हैं और उन्हें कोई भी कर सकता है. बस नीयत होनी चाहिए.
ये खबर हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहीं मनीषा ने लिखी है.
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