बेहेश्ता अरघंद. अफगानिस्तानी पत्रकार. टोलो न्यूज़ की एंकर. देश में तालिबानी कब्जे के बाद 17 अगस्त को बेहेश्ता ने तालिबान के एक सदस्य का इंटरव्यू लिया था. इंटरव्यू के स्क्रीनशॉट्स और क्लिप्स पूरी दुनिया में वायरल हुए. इसका इस्तेमाल करके तालिबान समर्थकों ने ये जताने की कोशिश की थी कि तालिबान बदल गया है. पुराना तालिबान औरतों को बर्दाश्त नहीं कर सकता था, नया तालिबान एक औरत के सवालों के जवाब दे रहा है, टाइप की बातें. लेकिन अफगानिस्तान में हिम्मत का चेहरा बनीं बेहेश्ता ने अब देश छोड़ दिया है. तालिबान के डर से.
दरअसल, तालिबान के सदस्य के इंटरव्यू के दो दिन बाद, यानी 19 अगस्त को बेहेश्ता ने एक और इंटरव्यू लिया. नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफज़ई का. मलाला जिन्हें 2012 में तालिबान के लड़ाकों ने गोली मार दी थी. ये पहली बार था जब किसी अफगानिस्तानी चैनल ने मलाला का इंटरव्यू किया था. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, इस इंटरव्यू के बाद ही बेहेश्ता के ऊपर दबाव बढ़ने लगा था. जिसके बाद उन्होंने कई दूसरे पत्रकारों की तरह अफगानिस्तान छोड़ने का फैसला किया. बेहेश्ता ने CNN को बताया कि उन्होंने देश इसलिए छोड़ा क्योंकि अफगानिस्तान के लाखों लोगों की तरह, उन्हें भी तालिबान से डर लगता है.
‘बेहद मुश्किल था तालिबान का इंटरव्यू’
टोलो न्यूज के मालिक साद मोहसेनी ने भी CNN से बात की. उन्होंने कहा कि टोलो न्यूज की हालत ठीक वैसी है, जैसी अफगानिस्तान की. उन्होंने आगे बताया कि उनके यहां काम करने वाले पत्रकार तालिबान से डर रहे हैं और लगातार नौकरी छोड़ रहे हैं. मोहसेनी ने बताया कि उनके सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं. पहली, जो लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, उन्हें बाहर निकलने में मदद करना और दूसरी मीडिया संस्थान को चलाते रहना.
बेहेश्ता अरघंद ने नौ साल की उम्र में पत्रकार बनने का सपना देखा था. काबुल यूनीवर्सिटी से उन्होंने चार साल तक पत्रकारिता की पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी करने के बाद कई न्यूज एजेंसियों और रेडियो स्टेशन में काम किया. इस साल की शुरुआत में टोलो न्यूज आ गईं.
तालिबान के सदस्य का जो इंटरव्यू अरघंद ने लिया, उसे वो काफी मुश्किल बताती हैं. CNN को उन्होंने बताया कि इंटरव्यू काफी मुश्किल था, लेकिन उन्होंने अफगानिस्तान की महिलाओं के लिए ये किया. उन्होंने आगे बताया,
“मैंने खुद से कहा कि किसी को तो शुरुआत करनी होगी. अगर हम अपने घर में बने रहेंगे और ऑफिस नहीं जाएंगे तो तालिबान के पास एक बहाना होगा. वो कहेंगे कि औरतें तो खुद ही बाहर नहीं आना चाहतीं.”
उस इंटरव्यू के बारे में अरघंद बताती हैं कि उन्होंने तालिबान के सदस्य से कहा कि अफगानिस्तान की महिलाएं अपने अधिकार चाहती हैं. काम पर जाना चाहती हैं. ये अधिकार उनको हर हाल में मिलने चाहिए.
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, मलाला का इंटरव्यू करने के बाद अरघंद ने अफगानिस्तान से बाहर निकलने के लिए उनसे ही मदद मांगी. बाद में वे अपने परिवार के साथ अफगानिस्तान से चली गईं. हालांकि, उन्हें अभी भी अफगानिस्तान वापस आने की आस है. उनका कहना है कि अगर तालिबान सच में उन वादों को निभाता है, जो उसने इस बार किए हैं और अगर उन्हें सुरक्षित महसूस होता है, तो वो अफगानिस्तान वापस आएंगी और अपने देश के लोगों के लिए काम करेंगी.
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