स्मृति मंधाना को 'नेशनल क्रश' बताने वाले क्या उन्हें 'सेक्स ऑब्जेक्ट' के तौर पर पेश कर रहे हैं?
सोशल मीडिया पर वायरल स्मृति की फोटो पर विवाद छिड़ गया है.
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स्मृति मंधाना. भारतीय महिला टेस्ट क्रिकेट टीम की ओपनर. हाल ही में जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम सात साल बाद इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच खेलने उतरी, तो मंधाना ने पहली पारी में बढ़िया शॉट्स लगाए. 14 चौकों की मदद से उन्होंने 78 रन बनाए. अपनी साथी शेफाली वर्मा के साथ मिलकर उन्होंने पहले विकेट के लिए 167 रन जोड़े. हालांकि, दूसरी पारी में मंधाना कुछ खास कमाल नहीं कर पाईं और आठ रन के निजी स्कोर पर आउट हो गईं.
आखिर में यह टेस्ट मैच ड्रॉ हो गया. टीम की टेलेंडर्स स्नेह राणा और तानिया भाटिया की जमकर तारीफ हुई. दोनों ने अपना विकेट नहीं गंवाया और एक लंबी पार्टनरशिप करके हाथ से निकल चुका मैच बचा लिया. इस बीच स्मृति मंधाना की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई. जिसमें उन्हें नेशनल क्रश बताया गया. लोगों ने कहा कि बिना मेकअप वाली मंधाना लुक्स में बॉलीवुड अभिनेत्रियों से कहीं बेहतर हैं. जैसे ये ट्वीट देखिए-
मंधाना को इस तरह से प्रोजेक्ट करने की बात का विरोध भी हुआ. गरिमा नाम की यूजर ने ट्वीट किया- "हां. क्योंकि इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप किस जगह पर हैं, अगर आप एक महिला हैं तो आखिर में हर बात आपके लुक्स पर ही आएगी. आप एक सेक्सुअल ऑब्जेक्ट से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं. एक एथलीट होने के बाद भी."Bollywood actresses with all those makeup and fancy dresses can sit down. Queen is here 👑 pic.twitter.com/IvFFJEtNYc
— डी.के. (@itsdhruvism) June 19, 2021
Yes, because no matter which industry you enter, if you're a woman, it's always about your looks in the end. You're nothing more than a sexual object even as an athlete. Other women in cricket may not be "queens" for you, I suppose. https://t.co/uN7CtDe3nc — Garima (@j_garima_j) June 19, 2021इस ट्वीट को लेकर गरिमा की आलोचना हुई. लोगों ने कहा कि वे बात का बतंगड़ बना रही हैं. पुरुष खिलाड़ियों को लड़कियां भी नेशनल क्रश घोषित कर देती हैं. इसका मतलब यह नहीं कि उन खिलाड़ियों को ऑब्जेक्टिफाई किया जा रहा है. इसके बाद गरिमा ने अपने ट्वीट में आगे जोड़ा- "हां, पुरुषों के लुक्स के बारे में भी बात होती है. लेकिन वे जिस फील्ड में काम कर रहे होते हैं पहले उसकी बात होती है, बाद में उनके लुक्स की. मॉडल्स को छोड़कर. क्योंकि मैंने अपने ट्वीट में 'सेक्सुअल ऑब्जेक्ट' शब्द का यूज किया, इसलिए लोग पागल हो गए. अगर ये लोग गूगल पर 'मेल गेज' सर्च कर लें, तो इससे उनके सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा."
Smriti Mandhana को क्रश बताने में समस्या नहीं है इस पूरे विवाद को लेकर हमने दी लल्लनटॉप के लिए क्रिकेट कवर करने वालीं पत्रकार मेघा से बात की. मेघा जेंडर स्टडी स्कॉलर भी हैं. उन्होंने हमें कुछ जरूरी बातें बताईं. उन्होंने कहा-1. Yes, looks of men are also talked about but they're secondary to their professions, except when men are models. 2. Just because I used the term "sexual object" people have lost their minds. A simple Google search on the "male gaze" would answer your questions.
— Garima (@j_garima_j) June 20, 2021
"मेल और फीमेल, दोनों क्रिकेटर्स को अब केवल क्रिकेटर्स के तौर पर ही नहीं देखा जाता. वे अब सेलिब्रिटी हैं. उनके आसपास एक फैन फॉलोइंग है. ग्राउंड से बाहर की उनकी जिंदगी पर भी लोगों की नजर रहती है. कईयों के वे रोल मॉडल्स होते हैं. कई उन्हें अपना क्रश बना लेते हैं. उदाहरण के लिए विराट कोहली. इसी तरह से स्मृति मंधाना को भी नेशनल क्रश बना लिया गया है और यह कोई आज की बात नहीं है. खिलाड़ियों को चाहे वे महिला हों या पुरुष, क्रश बनाना कोई समस्या वाली बात नहीं है. समस्या तब होती है, जब उनकी अचीवमेंट पर बात ना हो. प्रॉब्लम तब भी होती है, जब लोग मोरल पोलिसिंग पर उतर आएं. उदाहरण के लिए कुछ साल पहले लोग मिताली राज के कपड़ों से आहत हो गए और बताने लगे कि उन्हें किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए."मेघा आगे बताती हैं कि आपत्ति इस बात पर जरूर जताई जानी चाहिए कि एक महिला को अच्छा दिखाने के लिए आप किसी दूसरी महिला को नीचा दिखाने लगें. जैसे इस मामले में स्मृति मंधाना को अच्छा दिखाने के लिए बॉलीवुड अभिनेत्रियों पर निशाना साधा जा रहा है. उनके मेकअप और कपड़ों पर टिप्पणियां की जा रही हैं. स्मृति मंधाना की तारीफ करने वालों, उन्हें क्रश बनाने वालों को यह हक नहीं है कि वे दूसरी औरतों के पहनावे और उनके मेकअप पर कमेंट करें. किसी को भी अपने मन मुताबिक कपड़े पहनने और मेकअप कैरी करने का हक है.