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17 साल की लड़की घर से गायब हो गई, पेरेंट्स ने बताया- वो पूरी तरह बदल गई थी

परिवार वाले उसे खोजने के लिए ट्विटर पर कैम्पेन चला रहे हैं.

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शमनिज़्म 'आत्माओं की दुनिया' और नैचुरल साइकेडेलिक्स के माध्यम से आध्यात्मिक और शारीरिक उपचार का एक प्राचीन अभ्यास है
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30 दिसंबर 2021 (Updated: 30 दिसंबर 2021, 12:31 IST)
Updated: 30 दिसंबर 2021 12:31 IST
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बेंगलुरु की 17 साल की अनुष्का. दो महीने से लापता है. घर वालों का कहना है कि वह शमनिज़्म (इसे शैमनिज़्म भी कहते हैं) के बारे में ऑनलाइन पढ़ती थी और वहीं से इस प्रैक्टिस की ओर आकर्षित हुई. उनको शक है कि इसी की वजह से उसने घर छोड़ दिया. पुलिस CCTV डेटाबेस की मदद से उसकी तलाश कर रही है. इसके अलावा, माता-पिता अनुष्का को खोजने के लिए ऑनलाइन कैम्पेन भी चला रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?

31 अक्टूबर, 2021. अनुष्का दो जोड़ी कपड़े और 2500 रुपये कैश लेकर घर से निकली थी. घर वालों ने अगले ही दिन पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई. सुब्रमण्यनगर पुलिस स्टेशन, मल्लेश्वरम सब डिवीज़न बेंगलुरु में FIR दर्ज की गई.
परिभाषा के मुताबिक़, शमनिज़्म 'आत्माओं की दुनिया' और नैचुरल साइकेडेलिक्स के माध्यम से आध्यात्मिक और शारीरिक उपचार का एक प्राचीन अभ्यास है. 12वीं कक्षा पास करने के बाद अनुष्का इसके प्रति आकर्षित हुई. मीडिया रिपोर्ट्स में अनुष्का  के माता-पिता के हवाले से कहा गया है कि वो आध्यात्मिक प्रशिक्षकों और साइकेडेलिक इन्फ़लूएंसर से प्रभावित थी और उसने बताया था कि वो शमनिज़्म प्रैक्टिस करना चाहती है.
अनुष्का के पिता अभिषेक को शक है कि किसी ने उनकी बेटी को घर छोड़ने के लिए प्रभावित किया है. अभिषेक ने NDTV को बताया,
"वह नाबालिग है. हो सकता है कि वह ख़ुद फैसला लेने की स्थिति में न हो. उसने मुझसे कहा था कि वह इस प्रैक्टिस को आगे परस्यू करना चाहती है.”
उन्होंने कहा कि सितंबर से पहले तक अनुष्का एक 'सामान्य बच्ची' थी. सितंबर से वह अकेले रहने लगी और हर किसी से बचने की कोशिश करने लगी. उन्होंने कहा,
“हमने सितंबर से ही उसके व्यवहार में बदलाव देखा. उसने हमसे बात करना बंद कर दिया. उसने ख़ुद को बंद कर लिया और ख़ुद को घरेलू गतिविधियों से रोकने लगी थी. मैं उसे एक काउंसलर के पास ले गया था.”
बेंगलुरु पुलिस अभी भी सुराग की तलाश कर रही है. पुलिस कई जगहों के CCTV कैमरों की फुटेज खंगाल रही है. उन्होंने कहा कि जिस जगह से अनुष्का ट्रेसलेस हुई थीं, वहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था.
बेंगलुरु नॉर्थ के डीसीपी विनायक पाटिल ने कहा कि ये एक ट्रिकी केस है. कहा,
“हमने सीसीटीवी कैमरों से अनुष्का के मूवमेंट का विश्लेषण किया है. हम फोरेंसिक की मदद से उसकी ऑनलाइन गतिविधियों से उसकी रुचि के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं. इधर बीच उसने किसी से संपर्क नहीं किया है. हम लगातार सीसीटीवी डेटाबेस की तलाश कर रहे हैं.”

अनुष्का के माता-पिता चला रहे हैं ऑनलाइन कैम्पेन -

अनुष्का के माता-पिता लगभग दो महीने से अपनी बेटी के बारे में किसी सुराग का इंतजार कर रहे हैं. पुलिस के साथ काम करने के अलावा अब उन्होंने जनता की ओर रुख किया है. उन्होंने अपनी नाबालिग बेटी को खोजने के लिए ट्विटर पर मदद मांगी है. #helpfindanushka नाम से एक कैम्पेन चला रहे हैं.
अनुष्का
इसी पेज से अनुष्का के माता-पिता मामले की जानकारियां अपडेट और प्रसारित करते हैं

क़ानून क्या कहता है?

क़ानून के हिसाब से शमनिज़्म और इस तरह की प्रथाएं अवैध हैं. और इस तरह की प्रथाओं को ख़त्म करने के लिए अलग-अलग राज्य सरकारों ने क़ानून बनाए हैं. महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकारों ने मानव बलिदान का रोकथाम और उन्मूलन तथा अन्य अमानवीय, बुराई और अघोरी प्रथाएं और काला जादू अधिनियम, 2013 लागू किया है. इस अधिनियम को आमतौर पर अंधविश्वास विरोधी ऐक्ट के रूप में जाना जाता है. लेकिन पूरे देश में ऐसा कोई ऐक्ट नहीं है.
शमनिज़्म जैसी प्रैक्टिसेज़ हज़ारों साल पुरानी हैं. शमनवादी चेतना के अलग डायमेंशन में जाने का दावा करते हैं. हालांकि, इसका कोई साइंटिफिक आधार नहीं है.

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