103 साल की महिला. कोरोना पॉजिटिव पाई गईं. अस्पताल में एडमिट हुईं. ठीक हुईं और घर वापस आ गईं. उनके परिवार की जान में जान आई. लेकिन हमीदा नाम की बुजुर्ग महिला के घर लौटने के बाद पड़ोसियों के व्यवहार ने हमीदा के घरवालों का दिल तोड़ दिया.
क्या है मामला?
‘इंडिया टुडे’ की पत्रकार शालिनी मारिया लोबो के अनुसार, हमीदा अपनी बेटी और नवासी के साथ वेल्लोर, तमिलनाडु में रहती हैं. उनकी नवासी शमा घर की इकलौती कमाने वाली हैं. उन्होंने बताया,
‘पड़ोसियों ने हमें घर छोड़कर इस इलाके से चले जाने के लिए कहा है. 15 साल से हमारा परिवार इस किराए के मकान में रह रहा है. पता नहीं हम कहां जा सकते हैं, जहां हमारा गुज़ारा हो जाए.
हमीदा के पड़ोसी ही नहीं, बल्कि वहां के लोकल दुकानदार भी उनके साथ भेदभाव कर रहे हैं. उन्होंने परिवार को सामान बेचने से इनकार कर दिया है, वायरस के डर से. जब वहां के लोकल विधायक विल्वनाथन को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने जरूरत का सामान और 5,000 रुपए परिवार को उपलब्ध कराए.

हमीदा इस बीमारी से लड़कर जीतने वाले सबसे उम्रदराज लोगों में से एक हैं. कोरोना वायरस को 65 साल से अधिक उम्र वालों, प्रेग्नेंट महिलाओं, बहुत छोटे बच्चों, और पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है. अभी तक की ख़बरों के अनुसार, कोरोना वायरस पर जीत हासिल करने वाली सबसे उम्रदराज व्यक्ति स्पेन की मारिया ब्रेन्यास हैं. उन्होंने 113 साल की उम्र में कोरोना वायरस पॉजिटिव होने के बाद COVID-19 को हराया.
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