चांद की सतह पर चंद्रयान 2 का लैंडर ‘विक्रम’ पहुंचे, ये हम सब चाहते थे. उसके लिए प्रार्थना भी कर रहे थे. मगर ऐसा नहीं हो सका. फिर भी पूरा देश गर्व से चौड़ा है. क्योंकि हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत सिर्फ एक प्रोजेक्ट के एक हिस्से के फेल होने से तय नहीं होगी. इसलिए हम रात भर जगते रहे, इतिहास बनता देखने के लिए. पर अगर साइंस एक इंसान होता तो फ़वाद हुसैन की बातें सुनकर आज आत्महत्या कर लेता. कहता, मैं *अपशब्द* हूं जो मैं यहां आया. असल में फ़वाद हुसैन का होना ही साइंस के साथ किया जाने वाला सबसे बड़ा अन्याय है. मगर क्यों. क्योंकि रात भर जाग कर चौधरी ये मना रहे थे कि इंडिया का मिशन फ़ेल हो जाए. और लैट्रिन टाइप के ट्वीट कर रहे थे.