शशांक ओबरॉय एक पान की दुकान खोलता है- बनारसी पान भंडार प्राइवेट लिमिटेड. शशांकको इसमें प्रॉफिट होना शुरू हो जाता है. तो शशांक सोचता है कि क्यूं न लोन लेकर इसपान की दुकान को बड़ा कर इसे परचून की दुकान में बदल दिया जाए. लेकिन एक दिक्कत है.उसे कहीं से लोन मिल नहीं रहा. तो शशांक मन मसोस कर रह जाता है और ‘देख पराईचुपड़ी’ ललचाना बंद कर देता है. एक दिन उसके पास पान खाने असलम चचा आते हैं. बोलतेहैं, ‘पान की दुकान तो बहुत अच्छी जगह लगाई है. यहां पर परचून की दुकान खोल लो, आधेपैसे मैं दूंगा. मगर आधा प्रॉफिट भी मेरा.’ आगे की कहानी देखें वीडियो में.