The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • yogi adityanath government kno...

योगी सरकार 2.0 में राज्यमंत्री बने नेताओं के बारे में ये बातें जानते हैं आप?

कई पुराने तो कुछ नए चेहरों को मंत्रीमंडल में जगह मिली है.

Advertisement
Img The Lallantop
बाएं से दाएं- राज्यमंत्री की शपथ लेते मयंकेश्वर सिंह, दिनेश खटिक, संजीव गोंड और बलदेव सिंह ओलख (साभार-आजतक)
pic
उदय भटनागर
25 मार्च 2022 (Updated: 25 मार्च 2022, 04:36 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

लखनऊ के इकाना स्टेडियम में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने लगातार दूसरी बार यूपी के सीएम पद की शपथ ले ली. योगी 1.0 की ही तरह इस बार भी दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं. केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) और ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak). वहीं मुख्यमंत्री के अलावा कुल 52 मंत्रियों ने शपथ ली है. इनमें 18 कैबिनेट मंत्री, 14 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 20 राज्यमंत्री (UP State Ministers) शामिल हैं. इसमें से कई मंत्री पिछली सरकार वाले ही हैं. वहीं कुछ नए चेहरे भी शामिल हैं.

यहां हम आपको जो 20 राज्यमंत्री बनाए गए हैं, उनके बारे में बताएंगे. चलिए एक-एक करके उनके बारे में जानते हैं.

1. मयंकेश्वर सिंह 

मयंकेश्वर शरण सिंह अमेठी जिले की तिलोई सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं. वे तिलोई रियासत के राजा भी है. चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के मोहम्मद नईम को 27,829 वोटों के अंतर से हराया था. यूपी चुनाव में प्रचार के दौरान बीजेपी प्रत्याशी मयंकेश्वर शरण सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो भड़काऊ भाषण देते नजर आए थे.

मयंकेश्वर सिंह के लिए इस बार अपने विधानसभा क्षेत्र में लोगों की समस्याओं से भी निपटना एक चुनौती रहेगी. रोजगार के लिए बढ़ता पलायन, सिंचाई और पेयजल की तिलोई में बड़ी समस्या है. गंदगी, सीवर जाम और जर्जर सड़कों को लेकर भी लोग यहां काफी परेशान हैं.

2. दिनेश खटीक

दिनेश खटीक मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा सीट से विधायक हैं. हस्तिनापुर विधानसभा सीट को लेकर एक मिथक है कि जो हस्तिनापुर जीतता है, उसी की सरकार बनती है. ये मिथक इस बार भी नहीं टूटा. मेरठ में जहां भाजपा के दिग्गज हार गए वहीं, दिनेश खटीक इस सीट से दूसरी बार विधायक बने. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में चुनाव से ठीक पहले हुए मंत्रीमंडल विस्तार में दिनेश खटीक को भी कैबिनेट में शामिल किया गया था.

दिनेश खटीक इस बार दोबारा मंत्री बने हैं. दिनेश खटीक की तीन पीढ़ियां संघ से जुड़ी रही हैं. उनके दादा बनवारी खटीक जनसंघी थे. पिता देवेंद्र कुमार भी स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे.

3. संजीव गोंड

संजीव कुमार उर्फ संजय गोंड सोनभद्र जिले की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित ओबरा सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं. 2021 में हुए मंत्रीमंडल विस्तार में संजय गोंड को अनुसूचित जनजाति कोटे से कैबिनेट में शामिल किया गया था. इस बार भी उन्हें अनुसूचित जनजाति कोटे से ही मंत्री बनाया गया है.

कुल 403 विधायकों में से भाजपा के दो विधायक ही अनुसूचित जनजाति से हैं. समाज सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय रहने वाले संजीव 2017 से पहले समाजवादी पार्टी के जिला सचिव रह चुके हैं. 2017 में वो सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे.

4. बलदेव सिंह औलख

बलदेव सिंह औलख रामपुर की बिलासपुर सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं. इस बार उन्हें मात्र 307 वोटों के अंतर से जीत मिली. वो पिछली सरकार में राज्यमंत्री (जलशक्ति) रह चुके हैं. इस बार उन्हें एक बार फिर राज्यमंत्री बनाया गया है. वे योगी कैबिनेट में एकमात्र सिख चेहरा हैं.

उत्तराखंड और यूपी के बॉर्डर पर स्थित बिलासपुर में सिख समुदाय की काफी आबादी है. जाट किसानों के वोट यहां हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. ऐसे में किसान आंदोलन के असर के चलते इस बार बलदेव सिंह औलख के लिए राह आसान नहीं लग रही थी, लेकिन उन्होंने जीत हासिल की.

5. अजीत पाल त्यागी

अजीत पाल त्यागी गाजियाबाद जिले की मुरादनगर सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं. इस बार उन्होंने रालोद के सुरेंद्र कुमार मुन्नी को 97095 मतों के भारी अंतर से हराया. अजित पाल त्यागी के पिता मुरादनगर सीट से छह बार विधायक रहे हैं.

6. जसवंत सैनी

जसवंत सैनी रामपुर मनिहारान क्षेत्र के गांव आजमपुर के रहने वाले हैं. फिलहाल वो उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हैं. उन्होंने 1989 में संघ कार्यकर्ता के रूप में काम किया और फिर छात्र राजनीति में आए. करीब 32 साल के सफर में संगठन के अंदर कई उच्च पद हासिल किए. 2009 में एकमात्र चुनाव लोकसभा का लड़ा, लेकिन नहीं जीत पाए.

इस चुनाव में वो बीजेपी के स्टार प्रचारक के रूप में उतरे थे. जसवंत सैनी के लिए कहा जाता है कि उन्होंने भले ही आज तक एक भी चुनाव नहीं जीता हो लेकिन पार्टी में उनका काफी दबदबा है. इसी का परिणाम रहा कि उन्होंने इस बार मंत्री बनाया गया है.

7. रामकेश निषाद

रामकेश निषाद बांदा जिले की तिंदवारी सीट से पहली बार विधायक बने हैं. उन्होंने इस बार बीजेपी से पाला बदलकर सपा में गए बृजेश कुमार प्रजापति को हराया. रामकेश क्षेत्र में निषाद समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं. साथ ही जिलाध्यक्ष रहते हुए भी उन्होंने कड़ी मेहनत की.

बांदा के तिदवारी के अलावा हमीरपुर और पड़ोसी जिले फतेहपुर में निषाद समाज की बहुलता है. इसी को देखते हुए बीजपी ने रामकेश निषाद को पिछड़ा वर्ग कोटे से मंत्री बनाया है.

8. मनोहर लाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी

मनोहर लाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी 2017 में पहली बार भाजपा के लिए चुनाव जीते थे, तब उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया था. 2022 में उन्होंने भाजपा के लिए दूसरी बार ललि​तपुर के महरौनी विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की. इस बार फिर उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है. मन्नू कोरी को बुंदेलखंड की दलित राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता है.

बुंदेलखंड के मशहूर बुंदेला परिवार के संपर्क में आने के बाद कोरी का सियासी उदय हुआ. 1995 में वह पहली ज़िला पंचायत में शामिल हुए. शुरू से ही बीजेपी के साथ रहे कोरी जिला पंचायत से लेकर विधानसभा तक कई बार चुनाव हारे. उनके बेटे चंद्रशेखर भी राजनीति में सक्रिय हैं.

9. संजय गंगवार

संजय सिंह गंगवार पीलीभीत शहर विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक बने हैं. ये उनका तीसरा चुनाव था. 2012 में बसपा से मैदान में उतरे, लेकिन चुनाव हार गए. 2017 में बीजेपी से चुनाव लड़ा और जीते. फिर 2022 में दोबारा जीतने पर उन्हें मंत्री बनाया गया है.

संजय के मंत्री बनने की सबसे बड़ी वजह पीलीभीत सांसद वरुण गांधी का खुल कर विरोध करना माना जा रहा है. वरुण गांधी के विरोध के बाद भी संजय चुनाव जीते. इसलिये ही वरुण को साइड लाइन कर कुर्मी समाज से संजय सिंह गंगवार को मंत्री बनाया गया है.

10. बृजेश सिंह 

बृजेश सिंह ने सहारनपुर के देवबंद सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव जीता. इस बार उन्होंने सपा के कार्तिकेय राणा को 20 हजार वोटों से हराया. देवबंद विधानसभा सीट का समीकरण बहुत अलग है. यह इलाका मुस्लिम बहुल है, बावजूद इसके यहां पर ठाकुरों का दबदबा रहा है.

हिंदुत्ववादी नेता की छवि वाले बृजेश सिंह संघ की पृष्ठभूमि से हैं. 2017 में वह पहला चुनाव जीते और यहां से विधायक बने थे. बृजेश ने अपनी राजनीति की शुरुआत भाजपा युवा मोर्चा से की. जिसके बाद वो मोर्चा के कई पदों पर रहे. बृजेश सिंह भाजपा के कई केंद्रीय मंत्रियों के नजदीकी माने जाते हैं.

 11. केपी मलिक

केपी मलिक बागपत जिले की जाट बाहुल्य बड़ौत विधानसभा सीट से दोबारा विधायक बने. 61 साल के केपी मलिक ने सभासद से मंत्री बनने का सफर तय किया है. 34 साल के इस सफर में वे कभी उत्तर प्रदेश सहकारी विकास बैंक लिमिटेड लखनऊ के निदेशक नामित किए गए, तो कभी रिकॉर्ड मतों से विधान परिषद सदस्य का चुनाव जीते.

मूल रूप से शामली के कुड़ाना गांव निवासी केपी मलिक कई दशक से बड़ौत शहर के देवनगर में रहते हैं. केपी मलिक की पत्नी सरला मलिक भी राजनीति में हाथ आजमा चुकी हैं. वे साल 2006 में नगर पालिका परिषद, बड़ौत की चेयरमैन रह चुकी हैं.

12. सुरेश राही

सीतापुर के हरगांव सुरक्षित सीट पर सुरेश राही ने लगातार दूसरी बार जीत का परचम लहराया. इस बार सपा के रामहेत भारती को 38,481 मतों से हराकर जीत दर्ज की. उन्होंने 2017 में भी सपा के रामहेत भारती को ही पटखनी दी थी. रामहेत भारती 2002, 2007 और 2012 में लगातार तीन बार विधायक बने थे.

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सुरेश राही को टिकट दिया. उन्होंने लगातार तीन बार से विधायक रामहेत भारती को करीब 45 हजार वोटों से हरा दिया. 2022 में जब  सुरेश राही ने जीत दोहराई तो उन्हें इसका ईनाम अब मंत्री बनाकर दिया गया है.

13. सोमेंद्र तोमर

सोमेंद्र तोमर को भी राज्यमंत्री बनाया गया है. वो मेरठ दक्षिण से विधायक बने हैं. ये उनकी लगातार दूसरी जीत है. 2017 में उन्होंने बसपा के हाजी याकूब को हराया था.  2022 में वो सपा गठबंधन के आदिल चौधरी को हराकर दोबारा विधायक बने हैं.

बीजेपी ने उन्हें मंत्री बनाया है. सोमेंद्र तोमर छात्र राजनीति से जुड़े रहे हैं. उनके अपने कई कॉलेज भी हैं.

14. अनूप प्रधान वाल्मीकि

 अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से अनूप प्रधान वाल्मीकि लगातार दूसरी बार जीते हैं. अनूप प्रधान वाल्मीकि को मंत्री बनाने के लिए वाल्मीकि समाज ने भी मांग की थी. सांसद सतीश गौतम लखनऊ में मौजूद रहकर पैरवी कर रहे थे.

17 साल से राजनीति में सक्रिय हैं. साल 2005 में पिसावा से जिला पंचायत चुनाव लड़ा था. उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से खैर विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ा, मगर तीसरे स्थान पर रहे थे. 2017 में फिर भाजपा ने भरोसा जताया और उस भरोसे पर अनूप वाल्मीकि खरे उतरे.

15. प्रतिभा शुक्ला

प्रतिभा शुक्ला ने अकबरपुर-रनियां विधानसभा सीट से जीत हासिल की है. कुछ महीने पहले प्रतिभा ने अपने ही पार्टी के सांसद देवेन्द्र सिंह भोले पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगाया था. इसे लेकर वह खूब चर्चा में रहीं. अब योगी कैबिनेट में प्रतिभा शुक्ला को राज्यमंत्री बनाया गया है.

अकबरपुर रनिया विधानसभा सीट को दलित बाहुल्य सीट माना जाता है. 2017 में भाजपा के ट‍िकट पर प्रत‍िमा शुक्‍ला मैदान में थीं. उन्होंने चुनाव से पहले ही बसपा छोड़कर भाजपा की सदस्‍यता ली थी. इस चुनाव में प्रत‍िमा ने 27 हजार वोटों के अंतर से सपा के नीरज स‍िंह को हराया था.

16. राकेश राठौर गुरु

राकेश राठौर गुरु सीतापुर सदर सीट से पहली बार विधायक बने हैं. वे चुनाव के पहले तक भाजपा के एक अनजान चेहरा थे. इन्हें समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता राधेश्याम जयसवाल के खिलाफ काफी हल्का प्रत्याशी समझा जा रहा था. लेकिन वो 1200 वोटों से जीत गए.

राकेश राठौर गुरु विधायक बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी में सामान्य कार्यकर्ता थे. राकेश राठौर तेली बिरादरी के हैं. माना जा रहा है कि मंत्रीमंडल में जातिगत बैलेंस बनाने के मकसद से उन्हें मंत्री बनाया गया है.

17.  रजनी तिवारी

रजनी तिवारी हरदोई की शाहाबाद विधानसभा से विधायक चुनी गई हैं. वे 2008 में विधायक उपेंद्र तिवारी की मौत के बाद हुए उपचुनाव में जीतकर पहली बार विधायक बनी थीं. जिसके बाद 2012 में सपा की लहर में भी बसपा से चुनाव जीतीं. सपा के कद्दावर नेता अशोक बाजपेयी को चौथे नम्बर पर धकेला.

2017 में बसपा से बीजेपी में शामिल हुईं. बसपा के कद्दावर नेता आसिफ खान बब्बू को हराया, फिर 2022 में फिर से आसिफ खान बब्बू को हराया, इस बार बब्बू सपा से चुनाव से लड़े थे. बीजेपी से दूसरी और कुल लगातार चौथी बार विधायक बन चुकी हैं. अब उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया है.

18. सतीश शर्मा

अयोध्या लोकसभा के अंतर्गत आने वाली बाराबंकी की दरियाबाद सीट पर सतीश शर्मा ने लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीता. इस बार उन्होंने पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप को 32 हजार वोट से हराया.

सतीश शर्मा ने भाजयुमो से राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. 2010 और 2015 में वह सिद्धौर से जिला पंचायत सदस्य चुने गए. 2017 के विधानसभा चुनाव में बाराबंकी जिले में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले विधायक थे.

19. दानिश आजाद अंसारी

दानिश आजाद अंसारी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं. मूलरूप से बलिया के बसंतपुर के रहने वाले हैं. विद्यार्थी जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं.

लखनऊ से बीकॉम किया है, यहीं से क्वालिटी मैनेजमेंट और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की. दानिश 2018 में फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के सदस्य रहे, उसके बाद उन्हें उर्दू भाषा समिति का सदस्य बना दिया गया. वो योगी कैबिनेट के इकलौते मुस्लिम मंत्री हैं.

20. विजय लक्ष्मी गौतम

विजय लक्ष्मी गौतम सलेमपुर विधानसभा क्षेत्र से आती हैं. देवरिया की रहने वाली विजय लक्ष्मी गौतम ने 1992 से भाजपा से अपने राजनीति की शुरुआत की. जिसके बाद बीजेपी में कई पदों पर रहीं.

फिर 2012 के चुनाव में सलेमपुर सीट से लड़ीं लेकिन सपा के मनबोध प्रसाद के हाथों हार मिली. 2017 में सपा के टिकट पर लड़ीं, इस बार भाजपा के काली प्रसाद से हार गईं. 2022 में दोबारा बीजेपी से ताल ठोकी और इस बार ना सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि मंत्रीपद की शपथ भी ली.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement