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सिंधु जल समझौते पर वर्ल्ड बैंक ने जो कहा, सुनकर जल भुन जाएगा पाकिस्तान

Indus Waters Treaty (IWT) पर रोक लगने के बाद Pakistan ने India के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी थी. मगर अब World Bank के प्रेसिडेंट Ajay Banga इस मसले पर ऐसा बयान दिया, जिसे सुनकर पाकिस्तान बिलकुल खुश नहीं होगा. उन्होंने क्या कहा? यहां जानिए.

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World Bank President Ajay Banga, Indus Waters Treaty
वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडेंट अजय बंगा ने सिंधु जल संधि पर स्थिति साफ की. (PTI)
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मौ. जिशान
9 मई 2025 (Published: 09:52 PM IST)
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भारत ने 1960 में पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) पर रोक लगा रखी है. इसके बाद से ही पाकिस्तान बुरी तरह भड़का हुआ है. पाकिस्तान ने इसके खिलाफ वर्ल्ड बैंक जाने की भी धमकी दी थी. अब वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडेंट अजय बंगा ने इस मसले पर खुद स्थिति साफ कर दी है. उन्होंने कहा कि सिंधु जल समझौते पर वर्ल्ड बैंक एक फेसिलिटेटर से ज्यादा कुछ नहीं है.

22 अप्रैल को पहलगाम में हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता सस्पेंड करने का एलान किया था. पाकिस्तान ने इस पर सख्त एतराज जताया था. भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते में वर्ल्ड बैंक ग्रुप की एक यूनिट 'इंटरनेशनल बैंक फॉर रीकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट' (IBRD) ने एक फेसिलिटेटर यानी मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी.

वर्ल्ड बैंक की तरफ से प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने एक पोस्ट में अजय बंगा के हवाले से लिखा,

"हमारी भूमिका केवल एक मध्यस्थ की है. मीडिया में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि वर्ल्ड बैंक इस समस्या को सुलझाएगा, लेकिन ये सब निराधार है."

सिंधु जल संधि में भारत को पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज का पानी इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी का ज्यादा हिस्सा मिलता है.

भारत की तरफ से समझौता सस्पेंड होने के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाने की तैयारी की. 29 अप्रैल को रॉयटर्स ने पाकिस्तान के कानून और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक के हवाले से बताया था कि पाकिस्तान सरकार तीन अलग-अलग कानूनी विकल्पों पर काम कर रही है. इनमें से एक विकल्प वर्ल्ड बैंक के पास जाकर इस मुद्दे को उठाना भी है.

हालांकि, वर्ल्ड बैंक का साफ-साफ कहना है कि उसकी भूमिका सीमित है और वो भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद सुलझाने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जरूरी समर्थन मिलना मुश्किल लग रहा है.

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