विदेशों में बसे भारतीयों को जल्द ही पोस्टल वोटिंग का अधिकार मिल सकता है. यानी अब वो लोग अपने देश की मतदान प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं. हालांकि खाड़ी देशों में बसे लोगों को इस अधिकार के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, जापान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस और दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीयों को सबसे पहले ये अधिकार मिल सकता है.
पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा
इलेक्शन कमीशन और विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते एक मीटिंग की. इस बैठक में तय हुआ कि चुनाव आयोग विदेशों में होने वाली इस पोस्टल वोटिंग प्रक्रिया के लिए जरूरी मैनपावर (कर्मचारियों) की व्यवस्था करेगा. पैनल ने MEA (Ministry of External Affairs) को उन देशों के बारे में भी बताया जहां पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस पोस्टल वोटिंग सेवा को शुरू किया जा सकता है.
खाड़ी देशों को हिस्सा नहीं बनाया गया
फिलहाल के लिए इस पायलट प्रोजेक्ट में खाड़ी देशों को हिस्सा नहीं बनाया गया है. गैर लोकतांत्रिक देशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों को पोस्टल वोटिंग का अधिकार कैसे मिल पाएगा, इसको लेकर विदेश मंत्रालय की ओर से पहले भी चिंता जाहिर की गई थी. बता दें कि खाड़ी देशों में जो भारतीय रह रहे हैं उनके लिए फिलहाल कोई ठोस प्लान चुनाव आयोग के पास नहीं है. गैर लोकतांत्रिक देशों में भारतीय मिशनों और दूतावासों के बाहर मतदाताओं की कतार के लिए परमिशन की आवश्यकता होगी, और शायद मेजबान देश इसकी अनुमति ना दें. इन्हीं सभी चिंताओं के मद्देनजर अपने इस पायलट प्रोजेक्ट में आयोग ने खाड़ी देशों को शामिल नहीं किया है.
आयोग ने सरकार से कही थीं ये बातें
चुनाव आयोग ने कुछ वक्त पहले कानून मंत्रालय से कहा था कि NRI लोगों को भी पोस्टल बैलेट्स के जरिए वोट डालने का अधिकार दिया जाना चाहिए. आयोग ने सरकार को बताया था कि वोट डालने के लिए भारत आना किसी भी प्रवासी के लिए काफी महंगा सौदा होता है. आयोग ने बताया कि प्रवासी भारतीयों के द्वारा ही पोस्टल वोटिंग का सुझाव दिया गया था.
ETPBS के जरिए डाल पाएंगे वोट
मीटिंग में ये भी तय हुआ कि भारतीय मिशन में तैनात अधिकारी वोटर की ओर से बैलेट पेपर को डाउनलोड करेगा और उसे सौंप देगा. वोट डालने के बाद वोटर, एक सेल्फ डिक्लियरेशन फॉर्म भरेगा. इसके बाद बैलेट पेपर और इस फॉर्म को एक सीलबंद लिफाफे में पैक किया जाएगा जिसे संबंधित चुनाव अधिकारी को भेज दिया जाएगा. चुनाव आयोग ने सरकार को बताया था कि वो तकनीकी और प्रशानिक रूप से इसके लिए तैयार है. आयोग ने कहा कि वह असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में अगले साल होने वाले चुनावों के लिए मतदाताओं को डिजिटल तरीके से पोस्टल बैलट सिस्टम (ETPBS) भेजा जा सकता है.
दुनिया भर में फैले हैं भारत के लोग
फिलहाल रक्षा सेवाओं में काम कर रहे लोगों के लिए ETPBS सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें पोस्टल बैलेट इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजा जाता है और साधारण डाक से वापस मंगाया जाता है. विदेशी मतदाताओं को यह सुविधा देने के लिए, सरकार को चुनाव नियम 1961 में संशोधन करना पड़ेगा.
वर्तमान में, विदेश में रहने वाले मतदाता केवल अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में अपना वोट डाल सकते हैं. आयोग के प्रपोजल के मुताबिक कोई भी NRI जो पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करना चाहता हो, उसे चुनाव के नोटिफिकेशन के पांच दिनों के अंदर रिटर्निंग ऑफिसर को सूचित करना होगा. इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर इलेट्रॉनिक रूप से बैलेट पेपर को भेजेंगे.
साल 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे अधिक प्रवासी भारत के हैं. भारत के करीब 16 मिलियन यानी एक करोड़ 60 लाख लोग दुनिया भर में फैले हुए हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में करीब 25 हजार लोग वोट देने आए थे.