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बीजेपी का ये तगड़ा 'मास्टरस्ट्रोक' एकनाथ शिंदे के CM बनने से ज्यादा हैरान करने वाला है

बीजेपी की इस घोषणा ने राजनीतिक विश्लेषकों को अपने निष्कर्षों पर एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है. उसने एक बड़ी रणनीति के तहत ये कदम उठाया है.

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Eknath Shinde
(बीच में) एकनाथ शिंद (बाएं) और देवेंद्र फडणवीस (दाएंं) (फाइल फोटो)
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मुरारी
30 जून 2022 (Updated: 30 जून 2022, 07:32 PM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट का गुरुवार 30 जून को अंत हो गया. एक अप्रत्याशित कदम में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से घोषणा की गई कि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) महाराष्ट्र (Maharashtra) के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. बीजेपी की इस घोषणा ने राजनीतिक विश्लेषकों को अपने निष्कर्षों पर एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है. 

इससे पहले 29 जून को उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के सीएम पद से इस्तीफे के बाद ये उम्मीद लगाई जा रही थी कि सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) ही राज्य के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. लेकिन ऐसा अब नहीं होने जा रहा है. देवेंद्र फडणवीस ने खुद एकनाथ शिंदे के सीएम बनने की जानकारी दी. ये भी कहा कि वो खुद सरकार में शामिल नहीं होंगे. हालांकि अब कहा जा रहा है कि फडणवीस सरकार का हिस्सा हो सकते हैं. उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.

बहरहाल, इंडिया टुडे/आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी ने एक बड़ी रणनीति के तहत एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने की घोषणा की है. रिपोर्ट की मानें तो इस रणनीति के केंद्र में शिवसेना को ठाकरे परिवार के नियंत्रण से बाहर निकालना है. इंडिया टुडे से जुड़े हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के सूत्रों ने इस घोषणा के पीछे कुल दस बड़ी वजहें बताई हैं.

- बीजेपी संदेश देना चाहती है कि ठाकरे परिवार शिवसेना नहीं है.

- पार्टी के तौर पर शिवसेना ठाकरे परिवार से बड़ी है.

- शिवसेना पर अब एकनाथ शिंदे का नियंत्रण है.

- अंदरूनी कलह की वजह से शिवेसना का विभाजन हुआ.

- फडणवीस को अब केंद्र में बुलाया जा सकता है.

- 2019 में बीजेपी का सीएम ना बनने देने का बदला उद्धव ठाकरे से लिया गया.

- एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने से उद्धव कैंप के विधायक शिंदे के पाले में आ जाएंगे.

- शिवसेना के कमजोर होने से बीजेपी को आने वाले चुनावों में फायदा होगा. पार्टी को अब सीधे कांग्रेस और एनसीपी से मुकाबला करना पड़ेगा.

- 2019 में अजीत पवार वाले कांड के बाद संदेश गया था कि बीजेपी सत्ता को लेकर लालची है. पार्टी अब ऐसा संदेश नहीं देना चाहती.

- बीजेपी संदेश देना चाहती है कि वो बालासाहेब ठाकरे की विरासत का समर्थन करती है और इसलिए एक शिवसैनिक को ही महाराष्ट्र का सीएम बनाना चाहती है.

इसके अलावा पार्टी ये भी चाहती है कि उद्धव की भावुक अपीलों का मतदाताओं पर असर ना हो. ये संदेश ना जाए कि सत्ता के लालच में बीजेपी ने साजिश रचकर उद्धव ठाकरे की कुर्सी छीन ली. एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने पर पार्टी 2024 के विधानसभा चुनाव में ये संदेश दे पाएगी कि शिवसेना उसके साथ है.

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