कुतुबमीनार को नीला कर दिया गया, वजह बहुत अच्छी है
अमेरिका का वाइट हाउस भी नीला हो गया था.
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ऑटिज्म अवेयरनेस डे पर इस तरह दिखाई दी क़ुतुब मीनार.
पर सवाल ये है कि क्या ये बीमारी इतनी बड़ी हो गई है भारत में. एक्शन फॉर ऑटिज्म नाम के एनजीओ के अनुसार भारत में हर 500 में एक बच्चा ऑटिज्म का शिकार हैं. ये आंकड़ा अधूरा और कम है. क्योंकि कई मामले जांच के लिए सामने नहीं आ पाते. इसलिए विशेषज्ञ भारत में हर 250 बच्चों में 1 बच्चे के इससे प्रभावित होने की आशंका जाहिर करते हैं.
https://twitter.com/autismspeaks/status/848706111419142145?ref_src=twsrc%5Etfw&ref_url=http%3A%2F%2Fwww.news18.com%2Fnews%2Findia%2Fqutub-minar-dons-blue-on-world-autism-awareness-day-1367401.html
क्या है ऑटिज्म
अगर आपने बर्फी फिल्म देखी होगी तो उस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा के किरदार को याद करिए. प्रियंका चोपड़ा ने उस लड़की का किरदार निभाया है जिसे ऑटिज्म होता है.ऑटिज्म, न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है. इसके चलते बच्चे अपनी बात ठीक से नहीं कह पाते. स्पीच डिसऑर्डर होता है. उन्हें दूसरों की बात समझने में भी मुश्किल आती है. कई बार ये बीमारी काफी देरी से पहचान में आती है. लेकिन ज्यादातर ये बचपन से ही दिखने लगती है.
इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसॉर्डर भी कहा जाता है. जैसे स्पेक्ट्रम में अलग अलग रंग होते हैं, वैसे ही इस बीमारी के लक्षण भी हर बच्चे में अलग हो सकते हैं. ऑटिज्म पीड़ित बच्चा बहुत जीनियस भी हो सकता है. हो सकता है कि उसका आईक्यू सामान्य बच्चों की तरह हो. मगर इतना तय है कि उन्हें बोलने और सामाजिक व्यवहार में परेशानी होती है. कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सीखने-समझने में परेशानी होती है. और वे एक ही तरह की हरकत बार-बार करते हैं. मसलन, खिलौनों को तोड़ना. ये बच्चे बहुत एक्टिव होते हैं. मगर बिना किसी समझ के.

ऑटिज्म पीड़ित बच्चा. (Photo: Reuters
कैसे करें पहचान इस बीमारी की
6 महीने के बच्चे को मुस्कराना आना चाहिए. उंगलियां पकड़ना आना चाहिए. आवाज़ पर प्रतिक्रिया भी देना आना चाहिए. जिन बच्चों को आटिज्म की परेशानी होती है उन्हें ये सब करने में दिक्कत होती है. अगर बच्चा अपना नाम नहीं पहचान रहा है. आई कॉन्टेक्ट नहीं कर पा रहा है तो उसे ऑटिज्म हो सकता है.
क्या करना चाहिए
डॉक्टर्स का मानना है कि पेरेंट्स को चाहिए कि वो बच्चों को प्यार और अपना पूरा सहयोग दें. साथ ही ये जानने की कोशिश करें कि बच्चे को कौन-कौन सी बातें परेशान करती हैं. जो बच्चा कुछ पॉजिटिव करता है तो उस चीज़ को बढ़ावा देना चाहिए. ऐसे बच्चों को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. बल्कि जो वो कर रहे हैं उनके साथ उसी खेल में शामिल हो जाना चाहिए. उसी खेल से दूसरी तरफ उसका ध्यान लगवाने की कोशिश करें. बच्चे को सहयोग करके इस परेशानी को दूर करने में मदद मिलती है.ये भी पढ़िए :
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