दिल्ली के स्कूलों में तेजी से फैल रही हाथ, पैर और मुंह की बीमारी, कुछ तो वापस ऑनलाइन हो गए
स्कूलों ने पैरेंट्स के लिए बाकायदा एडवाइजरी जारी कर उन्हें हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के बारे में जानने और संवेदनशीलता बरतने को कहा है.

दिल्ली के स्कूलों में Hand, Foot, Mouth Disease (HFMD) तेजी से फैल रही है. कुछ स्कूलों ने तो इस बीमारी की वजह से वापस ऑनलाइन क्लास का रुख कर लिया है. राजधानी के कई नामचीन स्कूलों ने पैरेंट्स के लिए बाकायदा एडवाइजरी जारी कर उन्हें हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के बारे में जानने और संवेदनशीलता बरतने को कहा है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक एक एडवाइजरी में कहा गया है,
“एक जूनियर स्कूल में HFMD के कुछ केस सामने आए हैं. ये कॉमन है, अपनेआप कंट्रोल हो जाता है, लेकिन काफी ज्यादा संक्रामक रोग है जो आमतौर पर नवजातों और 5 साल की उम्र तक के बच्चों पर असर डालता है. लेकिन कभी-कभी बड़े बच्चे और वयस्क भी इससे प्रभावित हो जाते हैं.”
एडवाइजरी में आगे बीमारी को लेकर सतर्क रहने की बात कही गई है. लिखा है,
क्या है Hand, Foot, Mouth Disease?"बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए बच्चों के हाथ बार-बार साबुन से धोएं. कप, तौलिये, बर्तन आपस में शेयर ना करें. इन्हें और घरों को डिसइन्फेक्ट करें. किसी संक्रमित बच्चे के करीब जाने, जैसे गले लगने और चूमने, से बचें. क्लास की फर्श को डिसइन्फेक्ट करें जिन्हें लोग बार-बार छूते हैं."
इस समस्या से पीड़ित ज्यादातर लोगों को हाथ, पैर और मुंह की बीमारी (Hand, Foot, Mouth Disease या HFMD) है. इसमें बच्चों के हाथ, पैर और मुंह में छाले पड़ जाते हैं. ये बीमारी संक्रमित व्यक्ति के स्लाविया या अन्य रिसाव, जैसे कि नाक और गले के डिस्चार्ज या संक्रमित वस्तुओं को छूने से फैल सकती है.
हाथ, पैर और मुंह की बीमारी मुख्य रूप से वायरस के एक समूह के कारण होती है, जिसे एंटेरोवायरस (Enteroviruses) कहते हैं. इसके साथ ही कौक्स्सैकी वायरस A 16 (Coxsackievirus A16) भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार होते हैं.
ये बीमारी मुख्य रूप से सात साल से कम उम्र के बच्चों में होती हैं. इसके प्रमुख लक्षणों में सर्दी, भूख न लगाना, खांसी, हल्का बुखार शामिल हैं. इसके अलावा हाथ और पैर में बिना खुजली वाले लाल दाग उभर आते हैं और कभी-कभी ये लाल रैश दर्दनाक फोड़ों में बदल जाते हैं. शुरुआती संक्रमण के बाद 3 से 6 दिन में लक्षण दिखने लगते हैं.
आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक सर गंगाराम हॉस्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञ धीरेन गुप्ता ने बताया कि हाथ, पैर और मुंह की बीमारी में आमतौर पर मुंह और गले में दर्द की शिकायत मिलती है. ऐसे में बच्चे खाना खाने से इनकार करने लगते हैं. फिर हल्का बुखार आता है. शुरु में तो दाने निकलते हैं, लेकिन बाद में ये छाले में तब्दील हो जाते हैं. त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं.
धीरेन गुप्ता ने बताया कि इस बीमारी के पीछे की वजह एंटेरोवायरस होता है. यह माइल्ड क्लीनिकल सिंड्रोम है. आमतौर पर 7 से 10 दिनों में लक्षण और निशान खत्म हो जाते हैं. डॉक्टर ने कहा कि अगर इस बीमारी से ग्रसित बच्चा सुस्त है, लगातार उल्टी हो रही है और लगातार 3 दिन से अधिक समय तक 100 डिग्री से ज्यादा बुखार आ रहा है, तो ऐसे में मरीज को अस्पताल ले जाना चाहिए.
हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है. यह आमतौर पर अपने आप 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाती है. चूंकि यह एक वायरल संक्रमण है, इसलिए इसका इलाज एंटीबायोटिक्स द्वारा नहीं हो सकता है. इसमें सिर्फ दर्द कम करने के लिए दवाई दी जाती है. मरीज की स्थिति के अनुसार इसमें Non-steroidal anti-inflammatory drug भी दिया जाता है.
बच्चों को आराम देने के लिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थ दिए जाएं और उन्हें आसानी से खाए जाने वाली चीजें खिलाई जानी चाहिए.
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