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प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस का मतलब क्या है? किस रंग के नोटिस क्या काम करते हैं?

इंटरपोल नोटिस के जरिए अलग-अलग देश किसी व्यक्ति, आरोपी या अपराधी की जानकारी के लिए एक-दूसरे को अलर्ट या कोई रिक्वेस्ट भेज सकते हैं. ये नोटिस सात तरह के होते हैं- रेड, येलो, ब्लू, ब्लैक, ग्रीन, ऑरेंज और पर्पल. सबका अलग-अलग काम है.

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प्रज्वल रेवन्ना भारत से भागकर जर्मनी चला गया. (फाइल फोटो- आजतक)
6 मई 2024
Updated: 6 मई 2024 16:38 IST
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कर्नाटक के सेक्स वीडियो केस के आरोपी JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना जर्मनी में हैं. मामले में कार्रवाई करते हुए CBI ने उनके खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है. पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें दूसरे देश में छिपे आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग रंग वाले इंटरपोल नोटिस जारी किए गए (Interpol Notice). जानेंगे कि संगीन मामलों के आरोपियों और भगोड़ा घोषित हो चुके लोगों को पकड़ने में कलर कोड वाले ये नोटिस क्या रोल निभाते हैं, ये भी कि रेवन्ना CD केस में ब्लू नोटिस से जांचकर्ताओं को क्या फायदा होगा.

पहले जान लें कि ये नोटिस अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन (इंटरपोल) के किसी सदस्य देश के सेंट्रल ब्यूरो के अनुरोध पर इंटरपोल के जनरल सचिवालय की तरफ से जारी किए जाते हैं. इंटरपोल दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है. ये इसके सदस्य देशों को पुलिस सहयोग, अपराध कंट्रोल और अपराध-संबंधी जानकारी साझा करने में मदद करता है. इंटरपोल नोटिस के जरिए सदस्य देश किसी व्यक्ति या आरोपी की जानकारी के लिए एक दूसरे को अलर्ट भेज सकते हैं.

ये नोटिस सात तरह के होते हैं- रेड नोटिस, येलो नोटिस, ब्लू नोटिस, ब्लैक नोटिस, ग्रीन नोटिस, ऑरेंज नोटिस और पर्पल नोटिस.

रेड नोटिस कार्रवाई या सजा के लिए वॉन्टेड लोगों की लोकेशन और गिरफ्तारी की तलाश करने के लिए जारी किया जाता है.

येलो नोटिस खोए हुए (अक्सर नाबालिग) या उन लोगों की पहचान करने में मदद करता है जो खुद को पहचानने में असमर्थ हैं.

ब्लू नोटिस आपराधिक जांच के संबंध में किसी व्यक्ति की पहचान, स्थान या गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त जानकारी इकट्ठा करने के लिए जारी किया जाता है.

ब्लैक नोटिस अज्ञात शवों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में मदद करता है.

ग्रीन नोटिस किसी व्यक्ति की आपराधिक गतिविधियों के बारे में चेतावनी देने के लिए होता है. ये उस जगह के लिए होता है जहां उस शख्स को आशंका के तहत सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है. 

ऑरेंज नोटिस सार्वजनिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे वाली किसी घटना, व्यक्ति, वस्तु या प्रक्रिया के बारे में चेतावनी देने के लिए होता है.

पर्पल नोटिस अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तौर-तरीकों, उपकरणों और छिपने के तरीकों के बारे में जानकारी मांगने या देने में मदद करता है.

रेवन्ना वाले मामले में CBI ने जो ब्लू नोटिस जारी किया है वो किसी शख्स के आइडेंटिटी वेरिफिकेशन या किसी के आपराधिक रिकॉर्ड की डिटेल निकालने में मदद करता है. ये उन लोगों की लोकेशन का पता लगाने में भी मदद करता है जो या तो लापता हों, अंतरराष्ट्रीय अपराधी हों या सामान्य आपराधिक कानून के उल्लंघन के लिए वॉन्टेड हों.

ये भी पढ़ें- हरियाणा के 19 साल के गैंगस्टर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस, कौन है योगेश कादयान?

ये भी जानना जरूरी है कि इंटरपोल खुद कानून प्रवर्तन अधिकारियों को किसी नोटिस पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है. नोटिस पर कार्रवाई होगी या नहीं, कितनी देर में होगी, ये बातें दो देशों के बीच संबंधों पर भी निर्भर करती है. 

ये देखना होगा कि भारत और जर्मनी की जांच एजेंसियों के बीच सहयोग से प्रज्वल रेवन्ना की डिटेल निकालकर उन्हें वापस भारत लाया जा सकेगा या नहीं.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: मेहुल चौकसी का रेड कॉर्नर नोटिस हटवा कर बचाने के पीछे कौन?

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